दुनिया हर साल 2 जुलाई को यूएफओ दिवस मनाती है। यूएफओ यानी ‘अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स’ या उड़न-तश्तरियाँ। एक वैश्विक संस्था यह दिन मनाती है। इस साल जब यह दिन मनाया जा रहा था तब यूएफओ को लेकर एक रोचक जानकारी भी हमारे पास थी। अमेरिकी रक्षा विभाग ने यूएफओ पर गठित अपनी टास्क फोर्स की रिपोर्ट गत 25 जून को प्रकाशित की है। इस टीम को आकाश में विचरण करने वाली अनोखी वस्तुओं से जुड़ी जानकारी जमा करने को कहा गया था। जाँच में कोई निर्णायक जानकारी नहीं मिली, पर कुछ महत्वपूर्ण सूत्र जरूर जुड़े हैं। इस रिपोर्ट के बाद अचानक लोगों का ध्यान अंतरिक्ष में जीवन की सम्भावनाओं की ओर भी गया है।
अमेरिका के ऑफिस ऑफ डायरेक्टर
ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (ओडीएनआई) की इस रिपोर्ट का लम्बे अरसे से इंतजार था। पिछले
साल जून में सीनेट की इंटेलिजेंस कमेटी ने ओडीएनआई से कहा था कि वह इस मामले में उपलब्ध विवरणों
को एकत्र करने के लिए एक टास्क-फोर्स बनाए, जो प्राप्त विवरणों को एक जगह एकत्र
करे। इस साल जनवरी में इस टास्क-फोर्स को छह महीने का समय रिपोर्ट दाखिल करने के
लिए दिया गया था। अब नौ पेज की यह प्राथमिक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।
सबसे
बड़ा रहस्य
यह दस्तावेज इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण रहस्य पर रोशनी डालने वाले बीज-विवरण के रूप में दर्ज जरूर किया जाएगा। इसने हालांकि रहस्य को खोला नहीं है, पर जो विवरण दिया है, उससे नए सवाल खड़े हुए हैं। इस बात की पुष्टि हुई है कि परिघटना सच्ची है, पर यह क्या है, हम नहीं कह सकते। अमेरिकी सेना ने इस परिघटना के लिए यूएफओ की जगह नया शब्द गढ़ा है, यूएपी (अनआइडेंटिफाइड एरियल फेनॉमेना)। वह यूएफओ से जुड़ी दकियानूसी धारणाओं से बचना चाहती है।
एक अरसे से दुनिया
यूएफओ का मतलब सुदूर अंतरिक्ष से आए वाहनों को मानती रही है। हालांकि इस रिपोर्ट
में इस मान्यता को न तो स्वीकार किया गया है और न इसका खंडन किया गया है, पर डेटा को परिभाषित करने के पारम्परिक
तरीके से हटने की कोशिश जरूर की है। इस रिपोर्ट से दुनिया किसी निष्कर्ष पर जरूर
नहीं पहुँचेगी, पर
इसके साथ इस रहस्यमय परिघटना के अध्ययन के गम्भीर प्रयास शुरू होंगे।
कुछ
निष्कर्ष
सवाल अंतरिक्ष के
प्राणियों का नहीं है, बल्कि
इन घटनाओं के साथ नागरिक उड्डयन और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल जुड़े हैं। इन
घटनाओं का वैज्ञानिक विवेचन होना ही चाहिए। बावजूद सैकड़ों खबरों के अभी तक यूएफओ
को वैज्ञानिक अध्ययन का विषय माना ही नहीं जाता है। बहरहाल इस रिपोर्ट के कुछ
निष्कर्ष हैं, जो
भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे:-
1.यूएपी के अध्ययन के
सामने सबसे बड़ी चुनौती सीमित डेटा और अधूरी रिपोर्टिंग की है।
2.हमारे पास जो
जानकारियाँ हैं, उनमें
से कुछ सेंसरों की त्रुटियों, मजाकिया
या धोखा देने का प्रयास (स्पूफिंग) या देखने वालों की गलतफहमी के कारण हो सकती
हैं।
3.इन परिघटनाओं पर
स्पष्ट-दृष्टि वैमानिकी, उड़ानों
और रक्षा से जुड़े मामलों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। अमेरिकी पायलटों ने कम से कम
11 ऐसी घटनाओं का जिक्र किया है, जिनमें
दुर्घटना होते-होते बची। रिपोर्ट में किसी अविश्वसनीय तकनीक की सम्भावनाओं का
जिक्र किया गया है। ऐसे वाहन जो आकाश में अतुलनीय गति से चलते हैं और समुद्र में
भी प्रवेश कर जाते हैं।
4.इन 144 परिघटनाओं
में केवल एक मामला ऐसा है, जिसके
बारे में सूचना पक्की है कि वह एक विशाल बैलून से जुड़ी है, जो गैस कम होने से पिचक रहा था। शेष
घटनाओं के बारे में निर्णायक जानकारी नहीं है।
5.कुछ घटनाएं
अंतरिक्ष से जुड़ी हो सकती हैं। मसलन धूमकेतु या वातावरण या जलवायु से जुड़े मसले
हो सकते हैं।
6.कुछ परिघटनाएं चीन,
रूस या किसी दूसरे देश या किन्हीं
गैर-सरकारी संस्थाओं के आकाश में होने वाले प्रयोगों से जुड़ी भी हो सकती हैं।
7.यह जानकारी केवल
अमेरिकी सेना के प्राप्त स्रोतों से है, जबकि ऐसी परिघटनाओं से जुड़े विवरण दुनिया भर से मिले हैं। इस
लिहाज से यह जानकारी अपर्याप्त है।
सिर्फ
एक रहस्य खुला
सन 2004 से 2021 के
बीच 17 साल में अमेरिकी सेना के पायलटों ने आकाश में यूएफओ (अन-आइडेंटिफाइड
फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स) के दर्शन किए। इनमें से केवल एक को छोड़कर बाकी 143 का रहस्य
आज तक सेना समझ नहीं पाई है। सेना मानती है कि यह अंतरिक्ष से आए प्राणियों का काम
हो भी सकता है और नहीं भी। अलबत्ता जो भी था, वह भौतिक था। आँखों का धोखा नहीं।
उन्हें देखने या दर्ज करने में कोई तकनीकी खामी नहीं थी। आधी से ज्यादा परिघटनाएं
ऐसी हैं, जिन्हें अनेक सेंसरों,
कैमरों, रेडारों और इंफ्रारेड रिकॉर्डरों ने
दर्ज किया है। इनमें ‘18 घटनाएं अनोखी’ हैं। यानी कि इन वस्तुओं की उड़ान या तो
हवा के विपरीत दिशा में हुई या वे अचानक गतिशील हो गईं। या अनायास प्रकट हुईं।
रिपोर्ट में चेतावनी
भरे स्वरों में कहा गया है कि ऐसा सेंसरों की खामी के कारण भी हो सकता है। आमतौर
पर वैज्ञानिक-समुदाय इन परिघटनाओं को मजाक मानकर चलता है, पर कुछ वैज्ञानिकों ने इस दिशा में
गम्भीर प्रयास भी किए हैं। जैसे कि 1968 में कोलोरैडो विश्वविद्यालय के एडवर्ड यू
कोंडॉन यूएफओ पर पहला गम्भीर अकादमिक शोध किया था। उन्होंने लिखा कि पिछले 21 साल
में ऐसी कोई नई जानकारी नहीं मिली है, जिसके सहारे खोज जारी रखी जाए।
इसके बाद 1998 में
स्टैनफर्ड विवि के एप्लाइड फिजिक्स के पीटर स्टरॉक के नेतृत्व में एक पैनल ने
निष्कर्ष निकाला कि अनेक परिघटनाओं के भौतिक प्रमाण मौजूद हैं, इसलिए इनका वैज्ञानिक अध्ययन किया जाना
चाहिए। परिघटनाएं हैं और कुछ प्रमाण भी हैं, तब वैज्ञानिक समुदाय इस खोज को आगे
क्यों नहीं बढ़ाता? अकेले
अमेरिका के साइंस फाउंडेशन की हाल के वर्षों में 90,000 से ज्यादा ग्रांट में से
कोई भी यूएफओ के अध्ययन से जुड़ी नहीं है। दूसरी तरफ अंतरिक्ष में बुद्धिमान
प्राणी की सम्भावनाओं पर सेटी (सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) के
अंतर्गत दशकों से काम चल रहा है। अनुमान है कि अकेले हमारी आकाशगंगा में 30 करोड़
से ज्यादा ग्रह ऐसे हैं, जहाँ
जीवन सम्भव है। वहाँ तक जाना दूर की बात है, अभी हम अपने घर के इस रहस्य का ताला
तोड़ नहीं पाए हैं।
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