Monday, August 23, 2021

अहमद मसूद क्या कर पाएंगे पंजशीर घाटी में तालिबान का मुकाबला?

 

अहमद शाह मसूद का बेटा अहमद मसूद
तालिबानी व्यवस्था अच्छी तरह पैर जमाने की कोशिश कर रही है, वहीं कुछ जगहों से प्रतिरोध की खबरें हैं। खासतौर से पंजशीर घाटी को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। तालिबान की तरफ से पहले कहा गया था कि अहमद वली मसूद ने हमसे हाथ मिला लिया है और वे प्रतिरोध नहीं करेंगे, पर आज सुबह खबर थी कि तालिबान ने काफी बड़ा दस्ता पंजशीर घाटी की ओर रवाना किया है।

आज दिन में खबर थी कि तालिबान ने नॉर्दर्न अलायंस के लोगों के हाथों से उन तीन जिलों को छुड़ा लिया है, जिनपर उन्होंने हफ्ते कब्जा कर लिया था। ये जिले हैं बागलान प्रांत के बानो, देह सालेह और पुल-ए-हेसार। तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्ला मुज़ाहिद ने ट्वीट किया कि हमारे सैनिक पंजशीर घाटी के पास बदख्शां, ताखर और अंदराब में जमा हो रहे हैं। दूसरी तरफ़ विरोधी ताक़तों ने तीन सौ तालिबानी लड़ाकों को मार गिराने का दावा किया है। तालिबान ने इस दावे को ग़लत बताया है।

समाचार एजेंसी एएफपी ने तालिबान की ओर से किए गए दावा के जानकारी देते हुए बताया है कि तालिबान के लड़ाके पंजशीर में आगे बढ़ रहे हैं। बीबीसी उर्दू सेवा ने तालिबान सूत्रों के हवाले से बताया है कि तालिबानी कमांडर कारी फ़सीहुद्दीन इन दस्तों का नेतृत्व कर रहे हैं।

उधर पंजशीर घाटी में अहमद मसूद के सैनिकों ने मोर्चेबंदी कर ली है। इसके एक दिन पहले तालिबान की अलमाराह सूचना सेवा ने दावा किया था कि सैनिकों तालिबानी सैनिक पंजशीर की ओर गए हैं। ज़बीउल्ला मुज़ाहिद ने दावा किया कि दक्षिणी अफगानिस्तान से उत्तर की ओर जाने वाले मुख्य हाईवे पर सलांग दर्रा खुला हुआ है और दुश्मन की सेना पंजशीर घाटी में घिरी हुई है। बहरहाल इस इलाके से किसी लड़ाई की खबर नहीं है।

अहमद वली मसूद पुराने नॉर्दर्न अलायंस के नेता अहमद शाह मसूद के भाई हैं। उन्होंने तालिबान के प्रतिरोध की घोषणा की है। उनके अलावा अहमद शाह मसूद का बेटा अहमद मसूद भी इस सेना का नेतृत्व कर रहा है। माना जाता है कि वह करिश्माई नेता है। उनके साथ अफगानिस्तान सरकार के उपराष्ट्रपति अमीरुल्ला सालेह भी हैं। इस सेना में अफगान सेना के ताजिक मूल के सैनिक भी आ मिले हैं।

अमीरुल्ला सालेह ने इस बात की पुष्टि की है कि तालिबान पंजशीर घाटी में दाखिल होने के रास्ते में अपने लड़ाकों को इकट्ठा करने की कोशिश कर रहा है उन्होंने तालिबान को आगाह किया है कि उनके लड़ाकों को इस इलाके से बचना चाहिए। अभी स्पष्ट नहीं है कि अहमद मसूद का इरादा क्या है। वे काबुल सरकार में हिस्सेदारी चाहते हैं या अपनी स्वतंत्र हैसियत चाहते हैं।

उन्होंने एक वीडियो इंटरव्यू में तालिबान से कहा है कि वे समावेशी सरकार बनाएं। यदि समझौता हुआ, तो हम सब सरकार में शामिल होंगे। ऐसा नहीं हुआ, तो बात सिर्फ पंजशीर की नहीं है। अफगानिस्तान की महिलाएं, नागरिक समाज, नौजवान पीढ़ी और जनता प्रतिरोध करेगी। ताकत के जोर से राष्ट्रपति महल पर कब्जा करने का मतलब यह नहीं है कि आपने जनता के दिलों को जीत लिया है। उधर तालिबान के एक प्रवक्ता ने काबुल में दावा किया था कि उनकी पंजशीर घाटी के लोगों से बातचीत हो रही है। प्रवक्ता ने ये भी दावा किया कि जल्दी ही पंजशीर घाटी पर शांतिपूर्ण तरीके से तालिबान का कब्ज़ा हो जाएगा।

अहमद वली मसूद के भाई अहमद शाह मसूद ने 1979 में रूसी सेना और फिर तालिबानियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और आईएसआई के सहयोग से तालिबान ने धोखे से उनकी हत्या करा दी थी। उनकी हत्या के दो दिन बाद ही न्यूयॉर्क में ट्विन टावर्स पर अल कायदा ने हमला बोला था। इसके बाद जब अमेरिकी सेना ने तालिबान पर आक्रमण किया, तब नॉर्दर्न अलायंस ने अमेरिकी सेना का साथ दिया था। बहरहाल अभी विशेषज्ञ यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि इस समय नॉर्दर्न अलायंस में इतना दमखम है या नहीं कि वह तालिबान से मुकाबला कर पाएगा या नहीं।

तालिबान का दावा है कि हमने पंजशीर घाटी की सप्लाई लाइन बंद कर दी है। हालांकि पंजशीर घाटी में प्रवेश करना बेहद मुश्किल है, पर तालिबान की ताकत इस समय काफी ज्यादा है। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि तालिबान पहले बातचीत के जरिए मामले को सुलझाना चाहता है। ज़बीउल्ला मुजाहिद ने पंजशीर घाटी को तीन तरफ से घेरे जाने की जानकारी देने के अलावा ट्विटर पर यह भी लिखा, अमीरात मामले को शांति के साथ सुलझाना चाहता है।

 

3 comments:

  1. हम तो हजूर के स्टेटमेंट का इंतजार कर रहे हैं हैं तो हैं वाले

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  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-08-2021) को चर्चा मंच   "विज्ञापन में नारी?"  (चर्चा अंक 4167)  पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  3. विचारणीय चिंतन परक लेख।

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