अच्छी खबर यह है कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी रही है। चालू वित्त-वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून देश की जीडीपी संवृद्धि दर 20.1 फीसदी हो गई, जबकि, अर्थशास्त्रियों ने 18.5 फीसदी का अनुमान लगाया था। उधर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन दुनिया पर कोविड का संकट बना हुआ है। अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए हर जरूरी कदम उठा रहे है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आँकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी संवृद्धि 20.1 रही, जबकि पिछले वित्त-वर्ष में पहली तिमाही में जीडीपी में 24 फीसदी से ज्यादा का संकुचन हुआ था। एनएसओ के अनुसार जनवरी-मार्च तिमाही के मुकाबले अप्रैल-जून तिमाही में खनन के क्षेत्र में संवृद्धि -5.7 फीसदी से बढ़कर 18.6 फीसदी हो गई है। बिजली और गैस में 9.1 फीसदी से बढ़कर 14.3 फीसदी, निर्माण (कंस्ट्रक्शन) में 14.5 फीसदी से बढ़कर 68.3 फीसदी, फाइनेंशियल-रियल एस्टेट में 5.4 फीसदी से गिरकर 3.7 फीसदी रह गई है।
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जुलाई, 2021 माह तक के भारत सरकार
के खातों की मासिक समीक्षा भी आज जारी हुई है। इनकी मुख्य बातें निम्नलिखित हैं: भारत
सरकार को जुलाई, 2021 तक 6,83,297 करोड़ रुपये (2021-22 के लिए कुल प्राप्तियों के बजट अनुमान का 34.6 प्रतिशत) प्राप्त हुए, जिसमें 5,29,189 करोड़ रुपये कर राजस्व (केन्द्र को मिली विशुद्ध राशि), 1,39,960 करोड़ रुपये का गैर कर राजस्व और 14,148 करोड़ रुपये की गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं।
गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियों में 5,777 करोड़ रुपये के ऋण की
वसूली और विनिवेश से हुई 8,371 करोड़ रुपये की प्राप्तियां शामिल हैं।
भारत सरकार द्वारा जुलाई,
2021 तक करों में
हिस्सेदारी के अंतरण के रूप में राज्य सरकारों को 1,65,064 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए।
भारत सरकार द्वारा कुल
10,04,440 करोड़ रुपये (2021-22 के लिए बजट अनुमान का 28.8 प्रतिशत) का व्यय किया
गया, जिसमें से 8,76,012 करोड़ रुपये राजस्व खाते में गए और 1,28,428 करोड़ रुपये पूंजी खाते में गए। कुल राजस्व व्यय में से, 2,25,817 करोड़ रुपये ब्याज के भुगतान में और 1,20,069 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी के मद में व्यय हुए।
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