जनरल विपिन रावत के रूप में देश ने उच्च-स्तरीय सैन्य रणनीतिकार और अनुभवी जनरल को खोया है। जनरल विपिन रावत के निधन के बाद देश की सामरिक-रणनीति बनाने के काम को धक्का लगेगा, क्योंकि उच्च-स्तर पर शून्य पैदा हो गया है। उनकी भरपाई आसान नहीं होगी। जनरल रावत केवल सीडीएस ही नहीं थे, बल्कि सैनिक मामलों के विभाग के सचिव भी थे, जो एकदम नया विभाग है। सीडीएस के अलावा उनके पास तीन पद और थे। एक था सैनिक मामलों के विभाग (डीएमए) के सचिव का और दूसरे वे चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष थे और तीसरे रक्षामंत्री के प्रमुख सलाहकार थे।
उच्च-स्तर पर शून्य
आज के हिंदू में दिनकर
पेरी ने इस विषय पर रिपोर्ट लिखी है। जनरल रावत देश की महत्वाकांक्षी थिएटर
कमांड रणनीति बना रहे थे, जिस काम को अब धक्का लगेगा। वे साहसी, साफ फैसले करने
वाले, किसी भी जोखिम से नहीं डरने वाले और निजी स्तर पर बेहद ईमानदार व्यक्ति थे। तीनों
सेनाओं के बीच ऑपरेशंस, लॉजिस्टिक्स, परिवहन, ट्रेनिंग, सपोर्ट सेवाओं, संचार और
रिपेयर-मेंटीनेंस जैसे कार्यों में एकता स्थापित करने के लिए संरचना के स्तर पर
काफी काम करने बाकी हैं। इस काम को करने के लिए तीनों सेनाओं की सहमति और सक्रिय
भागीदारी की जरूरत है।
जनरल रावत का कार्यकाल मार्च 2023 तक था। सीडीएस के पद पर काम करने की आयु सीमा 65 वर्ष है। तीनों सेनाओं में अब सबसे वरिष्ठ अधिकारी जनरल एमएम नरवणे हैं, जिनका कार्यकाल अप्रेल 2022 तक है। उनकी तुलना में शेष दोनों सेनाओं के अध्यक्ष अपेक्षाकृत नए हैं। नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने अभी हाल में 30 नवंबर को कार्यभार संभाला है और वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने 30 सितंबर को।
दृष्टि, दिल और दिमाग
आज के हिंदू ने जनरल रावत के साथ (जब वे
सेनाध्यक्ष थे) काम कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट का लेख प्रकाशित किया है, जिसमें
उन्होंने लिखा है कि जनरल रावत के पास इन कार्यों को पूरा करने की दृष्टि,
क्षमता, दिल और दिमाग सब थे। वे
सैन्य-कर्म के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थे। उन्होंने लिखा है कि जब मैं डीजीएमओ
था, तब केवल डोकलाम के मामले में ही नहीं ऑपरेशनल स्तर पर सभी मामलों में स्पष्ट
निर्देश होते थे और जोखिम से बचने की कोई प्रवृत्ति नहीं थी।
क्रैश के बाद भी जीवित थे
नवभारत
टाइम्स की वैबसाइट के अनुसार हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गँवाने वाले के
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत क्रैश के बाद भी जिंदा थे। हादसे
के बाद हेलीकॉप्टर के मलबे से निकाले जाने पर उन्होंने हिंदी में अपना नाम भी
बताया था। यह जानकारी बचाव दल के एक सदस्य ने दी। जनरल रावत के साथ एक अन्य सवार
को भी निकाला गया था। बाद में उनकी पहचान ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के रूप में हुई।
ग्रुप कैप्टन हादसे में जिंदा बचे एकमात्र व्यक्ति है। उनका अभी इलाज चल रहा है।
बीबीसी हिंदी ने कृष्णास्वामी
नाम के व्यक्ति को उधृत किया है, जिसने बताया, "मैंने अपनी आंखों से सिर्फ़
एक आदमी को देखा. वो जल रहे थे और फिर वो नीचे गिर गए. मैं हिल गया।" कृष्णस्वामी
बुधवार को हुए उस हेलिकॉप्टर हादसे के प्रत्यक्षदर्शी हैं, जिसमें
देश के पहले चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की मौत हो गई।
अपना नाम बताया
नवभारत टाइम्स के अनुसार दुर्घटना के बाद घटना स्थल पर पहुंचे वरिष्ठ फायरमैन और बचावकर्मी एनसी मुरली ने बताया कि हमने दो लोगों को जिंदा बचाया। इनमें से एक सीडीएस रावत थे। जैसे ही हमने उन्हें बाहर निकाला, उन्होंने रक्षा कर्मियों से हिंदी में धीमे स्वर में बात की और अपना नाम बोला। अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई। मुरली के अनुसार, वेे तुरंत दूसरे व्यक्ति की पहचान नहीं कर सके, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया और उनका अभी इलाज चल रहा है।
मुरली ने कहा कि जनरल रावत ने बताया कि उनके
शरीर के निचले हिस्से में गंभीर चोटें आई हैं। इसके बाद उन्हें चादर में लपेट कर
एम्बुलेंस में ले जाया गया।" बचाव दल को इस इलाके को बचाव कार्यों में
मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यहाँ आग बुझाने के लिए दमकल वाहन को ले जाने के लिए
कोई रास्ता नहीं था। मुरली ने कहा कि हमें पास की नदी और घरों से बर्तनों में पानी
लाना पड़ता था। ऑपरेशन इतना कठिन था क्योंकि हमें लोगों को बचाने या शवों को
निकालने के लिए हेलिकॉप्टर के नुकीले टुकड़ों को अलग करना पड़ा।
मुरली ने बताया कि बचाव कार्य में एक उखड़ा हुआ
पेड़ बाधा बन गया। इसे काटना पड़ा। इस सब ने हमारे बचाव कार्य में देरी की।
उन्होंने बताया कि हमने 12 शव बरामद किए। दो लोगों को जिंदा निकाल लिया गया,
दोनों गंभीर रूप से झुलस गए थे। बाद में भारतीय वायुसेना के जवान आधे
रास्ते में बचाव अभियान में शामिल हो गए। वे टीम को हेलिकॉप्टर के क्षतिग्रस्त
हिस्सों में ले गए। सीनियर फायरमैन ने कहा कि मलबे के बीच हथियार पड़े थे। इसलिए
हमें सावधानी से ऑपरेशन करना पड़ा।
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह
भारतीय वायु सेना के आधिकारिक बयान के अनुसार, ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह 14 लोगों में से अकेले हैं, जो हेलीकॉप्टर दुर्घटना में बचे हैं। हेलीकॉप्टर के क्रैश होने के बाद उसमें आग लग गई थी और इस वजह से ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का शरीर बहुत बुरी तरह झुलस गया है. अब उनका इलाज वेलिंगटन के आर्मी हॉस्पिटल में चल रहा है।
शौर्य चक्र से हुए थे सम्मानित
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को इस साल के स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। पिछले साल एक उड़ान के दौरान ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के तेजस फाइटर में तकनीकी खराब आ गई थी और उन्होंने अपने फाइटर प्लेन को मिड-एयर इमरजेंसी के बावजूद सुरक्षित उतारा था। इस साहसिक कार्य के लिए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था।
देवरिया के रहने वाले हैं वरुण सिंह
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील के कन्हौली गांव के रहने वाले हैं। इस समय वरुण सिंह इंडियन एयर फोर्स में ग्रुप कैप्टन के पद पर तैनात हैं और तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC) के डायरेक्टिंग स्टाफ हैं। वरुण सिंह के पिता कर्नल केपी सिंह भी सेना से रिटायर्ड हैं। वर्तमान में उनका परिवार मध्य प्रदेश के भोपाल में रहता है।
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