भारत में आर्थिक विषमता का एक दूसरा रूप है, अलग-अलग क्षेत्रों के बीच विषमता। जहाँ दक्षिण भारत अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है, वहीं उत्तर भारत के राज्य पिछड़े है। यह बात हाल में जारी देश के पहले मल्टीडाइमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (बहुआयामी गरीबी सूचकांक-एमपीआई) से भी जाहिर हुई है, जिसे नीति आयोग ने जारी किया है। इसके अनुसार जहाँ बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का स्तर दुनिया के सबसे पिछड़े उप-सहारा अफ्रीकी देशों जैसा है, वहीं केरल का स्तर विकसित देशों जैसा है।
बिहार नंबर एक
नीति आयोग के दस्तावेज से आपको देश के अलग-अलग
राज्यों की तुलनात्मक गरीबी का पता लगेगा। बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार,
बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है। बिहार की आबादी 2011 की जनगणना के
अनुसार 10.4 करोड़ है। इसकी 51.91 फीसदी यानी 5.4 करोड़ आबादी गरीबी में जीवन बसर
कर रही है।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक में बिहार के बाद दूसरे नंबर पर झारखंड है, इस राज्य में 42.16 प्रतिशत आबादी गरीब है। तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है। 2011 की जनगणना के अनुसार यूपी की आबादी 19.98 करोड़ है। यूपी में 37.79 प्रतिशत आबादी गरीब है। यानी 7.55 करोड़ आबादी गरीब है। चौथे नंबर पर मध्य प्रदेश है। यहां की 36.65 प्रतिशत आबादी गरीब है। देश में सबसे अच्छी स्थिति केरल की है, जहां केवल 0.71 प्रतिशत लोग ही गरीब हैं।
सूचकांक में 700 से अधिक जिलों के जिला-स्तरीय
गरीबी का तीन क्षेत्रों स्वास्थ्य, शिक्षा व जीवन-स्तर से जुड़े 12
सूचकांकों के आधार पर आकलन किया गया है। इनमें पोषण, शिशु-किशोर
मृत्युदर, प्रसव-पूर्व स्वास्थ्य सुविधा की उपलब्धता,
पढ़ाई के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, सफाई, पेयजल, बिजली,
घर, संपत्ति व बैंक खाते जैसे सूचकांक शामिल
हैं।
बिहार के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि
प्रदेश इन 12 सूचकों में से 11 में टॉप-5 में शामिल है। कुपोषितों की संख्या बिहार
में सर्वाधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक इंडेक्स राष्ट्रीय, राज्य
व जिला स्तर पर नीति निर्माता व योजनाकारों को विकास की स्थिति समझने और इसके
मुताबिक नीति तय करने में मदद करेगा। इस बीच बहुआयामी गरीबी सूचकांक के सामने आते
ही वहां की मौजूदा सरकार पर विपक्षी पार्टियां हमला बोल रही हैं और जवाब मांग रही
है कि आखिर क्यों उनकी सरकार में राज्य इतना पीछे है?
केरल की स्थिति इस सूचकांक में सबसे अच्छी है
जहां मात्र 0.71 प्रतिशत आबादी गरीबी है। गोवा में 3.76 प्रतिशत, सिक्किम में 3.82 प्रतिशत, तमिलनाडु में
4.89 प्रतिशत और पंजाब की आबादी का मात्र 5.59 प्रतिशत गरीब है।
गरीबी सूचकांक में केंद्र शासित प्रदेशों में
दादरा और नगर हवेली में 27.36 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर और
लद्दाख में 12.58, दमण एवं दीव में 6.82 और चंडीगढ़ में
5.97, पुदुच्चेरी में 1.72 प्रतिशत आबादी गरीब है। इनके अलावा लक्षद्वीप (1.82
प्रतिशत), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (4.30 प्रतिशत)
और दिल्ली (4.79 प्रतिशत) ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
बिहार में कुपोषण के मामले देश में सबसे ज्यादा
हैं। उसके बाद झारखंड का नंबर आता है। कुपोषण के मामलों में मध्य प्रदेश तीसरे
उत्तर प्रदेश चौथे और छत्तीसगढ़ पांचवें स्थान पर है। स्कूली शिक्षा, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूल में उपस्थिति जैसे मामलों में भी
बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है।
सूचकांक-पद्धति
गरीबी सूचकांक का निर्धारण परिवार की आर्थिक
स्थिति और अभाव के आधार पर होता है। साथ ही सूचकांक के निर्धारण में स्वास्थ्य,
शिक्षा और जीवन स्तर का मूल्यांकन किया जाता है. इसका आकलन पोषण,
बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसव-पूर्व
देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल
में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के पानी, बिजली,
आवास, संपत्ति तथा बैंक एकाउंट के आधार पर
होता है।
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