Tuesday, February 15, 2011

सं रा सुरक्षा परिषद में बदलाव


हाल में ग्रुप-4 के देशों की न्यूयॉर्क में हुई बैठक के बाद जारी वक्तव्य में उम्मीद ज़ाहिर की गई है कि इस साल जनरल असेम्बली के सत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों की दिशा में कोई ठोस कदम उठा लिया जाएगा। जी-4 देशों में भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील आते हैं। ये चार देश सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के दावेदार हैं।


जहाँ तक भारत के दावे का सवाल है अमेरिका, रूस, इंग्लैंड और फ्रांस ने समर्थन किया है। चीन ने अभी तक कोई साफ बात नहीं कही है, पर भारत का विरोध भी नहीं किया है। हमारी विदेश सचिव निरूपमा राव ने हाल में कहा है कि चीन खुलकर हमारे समर्थन में आगे नहीं आ रहा है। चीन मूलतः पाकिस्तान के कारण खुलकर भारत के समर्थन में आगे नहीं आएगा।

चीन अलबत्ता जापान के दावे का साफ विरोधी है। यों चीन इस मसले को टालना चाहता है। चीनी विदेश मंत्री ने कहा है कि किसी अधकचरे कार्यक्रम को लागू करने की कोशिश गलत होगी और संयुक्त राष्ट्र की एकता के लिए नुकसानदेह साबित होगी। चीनी विदेश निभाग की प्रवक्ता मा झाऊशू ने कहा है कि इस मामले के समेकित समाधान के पहले व्यापक लोकतांत्रिक विचार-विमर्श होना चाहिए। विकीलीक्स द्वारा जारी एक केबल में चीन के उप विदेश मंत्री है येफेई को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या पाँच से बढ़ाकर दस करने से अमेरिका और चीन दोनों की हैसियत घटेगी।

जी-4 देशों के दावे को लेकर नॉर्थ अमेरिका में कनाडा,लैटिन अमेरिका में अर्जेंटाइना, युरोप में इटली, एशिया में पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका की विपरीत राय है। ये चार देश स्थायी सदस्य बनें या न बनें पर ये अपनी बात को काफी ऊपर तक लाने में कामयाब हुए हैं। 1987 से अब तक इन चार देशों का कोई न कोई प्रतिनिधि दो-दो साल के लिए चुने जाने वाले सदस्यों में से होता है। पिछले 24 साल में जापान पाँच बार, ब्राजील पाँच बार, जर्मनी तीन बार और भारत दो बार चुना गया है। जी-4 देशों की सलाह है कि उनके अलावा अफ्रीका के दो देशों को भी विस्तारित सुरक्षा परिषद में जगह दी जाय़।



1 comment:

  1. पाकिस्तान की वजह से नहीं वरन खुद चीन परपरागत रूप से भारत-विरोधी है इसलिए मामले को टालना चाहता है.

    ReplyDelete