Saturday, September 11, 2010

पुरुलिया बनाम अमेठी-रायबरेली

राहुल गांधी इन दिनों आक्रामक मुद्रा में देश का दौरा कर रहे हैं और गरीबों, दलितों और जनजातियों के पक्ष में बोल रहे हैं। जवाब में सीपीएम के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी ने यूपीए सरकार की धज्जियाँ उड़ाई हैं। इसमें रोचक है बंगाल के गरीब इलाके और अमेठी-रायबरेली की तुलना। पीपुल्स डेमोक्रेसी ने कुछ आँकड़े पेश किए हैं, जो इस प्रकार हैः-





पुरुलिया
अमेठी-रायबरेली
गरीबी रेखा के नीचे आबादी                          31%
54%
जिन परिवारों को बिजली प्राप्त है                     29%  
14%
प्रति व्यक्ति व्यय                                  461 रु
385 रु
बच्चों का वैक्सीनेशन                               84%                                               
16%
नवजात-शिशु मृत्यु दर                        प्रति 1000 में 46    
प्रति 1000 में 83    
पाँच साल से कम के शिशुओं की मृत्यु           प्रति 1000 में 89    
प्रति 1000 में 160    

यह जानकारी भी उपयोगी होगी कि राहुल गाँधी के परदादा जवाहर लाल नेहरू, दादा फीरोज़ गाँधी, दादी इंदिरा गाँधी, अंकल अरुण नेहरू, पिता राजीव गाँधी, चाचा संजय गाँधी और माँ सोनिया गाँधी उनके पहले अमेठी और रायबरेली से चुने जाते रहे हैं। 

सीपीएम को तड़पन तब हुई जब राहुल ने कहीं कहा, "Just as there are two Indias, one for the rich and the other for the poor, there are two [West] Bengals, one that glitters and is of the Communist Party of India (Marxist) and the other our Bengal, that of the poor and the backward."



3 comments:

  1. यदि यह आंकड़े सही हैं तो गांधी परिवार के लिए शर्म की बात है। साथ ही शर्म की बात उन परिवारों के लिए भी है जो ऐसे लोगों को सिर आंखों पर बैठाए रहते हैं और इस स्थिति के बावजूद उन्‍हें जनप्रतिनिध के तौर पर चुनते हैं। लेकिन सब के बावजूद तथ्‍यों की प्रामाणिकता भी अवश्‍य होनी चाहिए।

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  2. Anonymous8:22 PM

    जवाहरलाल नेहरू फूलपुर इलाहाबाद से चुनाव लड़ते थे।

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  3. वैसे राहुल ने ललकार तो अच्छी लगाई है कि इस बंगाल से कम्युनिष्टों को उखाड़ फेंकना है, दुनिया से कम्युनिज्म खत्म हो गया।
    वैसे राय बरेली ही क्यों? इनके खानदान ने करीब ५० साल से अधिक साल इस देश के शासन की बागडोर संभाली है और अभी भी सोनिया के हाथ में है, मन साहब तो दिखावा मात्र हैं। इतने सालों में ये देश को कितना आगे ला पाए। जबकि भारत के साथ या आसपास ही कई देश ब्रिटिश उपनिवेश से आजाद हुए थे, वे आज कहां है और हमारा प्यारा देश भारत कहां? क्या इसके लिए राहुल महाराज का खानदान जिम्मेवार नहीं है।

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