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Friday, January 14, 2022

पाकिस्तान की सुरक्षा-नीति है या चूँ चूँ का मुृरब्बा?


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को देश की पहली राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति को जारी किया है। इस नीति में भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की मनोकामना व्यक्त की गई है, साथ ही कश्मीर को द्विपक्षीय संबंधों का आधार बताया गया है। इस नीति में पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि हिंदुत्व आधारित भारतीय राजनीति पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए चिंता का सबब है। यह बात अपने आप में विचित्र है।

इस नीति में कहा गया है कि कश्मीर मुद्दे का न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाधान होने तक यह हमारे द्विपक्षीय रिश्तों का आधार बना रहेगा। इस दस्‍तावेज में चीन के साथ अच्छे बनाए रखने और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को पाकिस्तान के लिए राष्‍ट्रीय महत्व का प्रोजेक्‍ट बताया गया है।

इमरान सरकार भारत के दोस्त रूस के साथ भी अच्छे रिश्ते बनाना चाहती है। दस्तावेज में कहा गया है कि अमेरिका के साथ हमारे सहयोग का लंबा इतिहास रहा है। पाकिस्तान किसी खेमे की राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहता है और अमेरिका के साथ व्यापक रिश्ते बनाना चाहता है।

इस सुरक्षा नीति को 2022 से 2026 तक की नीति बताया गया है। साथ ही यह कहा गया है कि इस नीति का एक हिस्सा गोपनीय है। सार्वजनिक रूप से 62 पेज का दस्तावेज जारी किया गया है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के संदेशों से होती है। बीच-बीच में कुछ पन्ने खाली छोड़े गए हैं, शायद उनमें कोई गोपनीय सूचना होगी।

इस नीति को देखने पर पहली नजर में यह राजनीतिक दस्तावेज ज्यादा और किसी देश की सुरक्षा नीति कम लगता है। इसमें भारत तथा अन्य पड़ोसी देशों के साथ व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। बेशक इसमें यह बात सही लिखी गई है कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल हथियारों से होने वाली नहीं है। इसमें अर्थव्यवस्था के अलावा सार्वजनिक स्वास्थ्य, देश की विचारधारा, संस्कृति मानव-संसाधन वगैरह-वगैरह सब शामिल किए हैं, पर यह कहीं नजर नहीं आता कि पाकिस्तान को खतरा किधर से है।

इस दस्तावेज में धार्मिक कट्टरता और आतंकवादी गतिविधियों का कोई उल्लेख नहीं है, जिसके कारण आज पाकिस्तान आर्थिक तबाही के दरवाजे पर खड़ा है। केवल भारत से दुश्मनी निकालने और मारने-काटने के लिए जिस देश ने अपने सारे संसाधन लगा दिए, वह अब आर्थिक-सुरक्षा की बात कर रहा है।

दावा यह किया गया है कि यह नीति पिछले सात साल से तैयार की जा रही थी। यानी कि इमरान खान की सरकार के आने के पहले से यह काम चल रहा था। दस्तावेज के अनुसार 2014 से नेशनल सिक्योरिटी डिवीजन इसपर विचार-विमर्श कर रहा था। किसके नेतृत्व में हो रहा था यह काम? नवाज शरीफ के, जिन्हें देश का दुश्मन बताने में इमरान खान ने कसर नहीं छोड़ी है।

पिछले दिनों राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति से जुड़े एक अधिकारी ने पाकिस्‍तानी अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून से कहा था, 'हम अगले 100 साल तक भारत के साथ बैर नहीं करेंगे। इस नई नीति में पड़ोसी देशों के साथ शांति पर जोर दिया गया है।' इस मुद्दे पर अगर बातचीत और प्रगति होती है तो इस बात की संभावना है कि भारत के साथ पहले की तरह से व्यापार और व्यावसायिक संबंध सामान्य हो सकते हैं। पाकिस्‍तानी अधिकारी ने यह भी कहा कि नई दिल्‍ली में वर्तमान मोदी सरकार के रहते भारत के साथ मेल-मिलाप की कोई संभावना नहीं है।

पाकिस्तानी नीति एक तरफ यह बात कह रही है और दूसरी तरफ उसने अभी तक भारत से अफगानिस्तान को भेंट में दिए गए 50 हजार गेहूँ के लिए रास्ता नहीं खोला है। इस सुरक्षा नीति को बनाने में पाकिस्‍तानी सेना ने अहम भूमिका निभाई है। पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा पिछले कुछ समय से कह रहे हैं कि देश को अब अपनी आर्थिक-सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।


इस बीच भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने ट्वीट किया कि क्या पाकिस्तान की राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति को भारत के साथ बातचीत और व्यापार शुरू करने का सुझाव देना चाहिए, वह भी तब जब भारत कश्मीर पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं है? यह बहुत बड़ी गलती होगी। उन्होंने कहा क‍ि इससे पाकिस्तान की कश्मीर नीति कमजोर हो सकती है। 

पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति के दस्तावेज को स्क्रिब्ड पर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

https://www.scribd.com/document/552754000/Nsp#download&from_embed

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