कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की रविवार की यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सोमवार 7 नवम्बर को आखिरकार मुलाकात हो गई। इसके पहले खबरें थीं कि अखिलेश ने उनसे मिलने से मना कर दिया है। बहरहाल इस मुलाकात के बाद समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस के गठबंधन के कयासों को और हवा मिल गई है।
प्रशांत इससे पहले दिल्ली में और फिर लखनऊ में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव से मुलाकात कर चुके हैं। वहीं पीके को लेकर कांग्रेस के भीतर असमंजस है। दिल्ली में राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की तैयारियाँ हो रहीं है। उधर खबरें हैं कि कांग्रेस के प्रदेश सचिव सुनील राय समेत कई पदाधिकारियों ने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में यूपी में गठजोड़ का विरोध किया है।
कांग्रेस के कई बड़े नेता प्रशांत किशोर के काम करने के तरीके से नाराज हैं। ये नेता शुरू से ही उनके काम करने के तरीके से नाखुश रहे हैं। उत्तर प्रदेश और पंजाब दोनों जगहों पर स्थानीय नेताओं की अनदेखी का आरोप उनपर लगा है। बताते हैं कि दिल्ली में पीके और मुलायम सिंह की मुलाकात के बाद गुलाम नबी आजाद से लेकर प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर तक सभी ने नाराजगी जाहिर की। राज बब्बर ने कहा उन्हें किसी अन्य दल से बात करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने अधिकृत नहीं किया है।
प्रशांत किशोर को कांग्रेस की रणनीति का काम खुद राहुल गांधी ने सौंपा है। उनकी सलाह पर पार्टी की राज्य इकाई को पूरी तरह से बदला गया था। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पीके ने दोनों राज्यों में प्रचार के लिए जितनी रकम मांगी है, उतनी कांग्रेस दोनों राज्य में खर्च नहीं कर रही है। कई जगहों पर कांग्रेस सूत्रों का तर्क है कि खर्चा खुद कांग्रेस पार्टी को करना होता है, वहां भी पीके की टीम खुद कोई आयोजन बदल कर बदले में पैसा मांगती है, जो कि फिलहाल मुश्किल घड़ी से गुजर रही कांग्रेस पूरा नहीं कर सकती।
आरोप यह भी है कि पीके और उनकी टीम कांग्रेस से ज्यादा अपने प्रचार में लगी है। यही वजह है कि पंजाब में चुनावी पोस्टरों में कई जगह कांग्रेस से बड़ा चिन्ह पीके की कंपनी आईपीएसी का नजर आ रहा है। कांग्रेस पार्टी ने पीके के साथ दिक्कतों या उनके कांग्रेस का दामन छोड़ने की खबरों को मीडिया की अटकलबाजी कहा है।
खबरें हैं कि दिल्ली में गुरूद्वारा रक्काबगंज रोड स्थित कांग्रेस के वार रूम में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ बैठक में भी कुछ नेताओं ने सीधे प्रियंका गांधी वाड्रा से कहा कि वे प्रशांत किशोर के काम काज के तरीकों से खुश नहीं है। क्योंकि वे और उनकी पूरी टीम स्थानीय नेताओं की अनदेखी करती है।
मुलायम सिंह से प्रशांत किशोर की मुलाकात के बाद यूपी कांग्रेस प्रमुख राज बब्बर ने कहा था, ''यह एक स्वतंत्र देश है और वह (प्रशांत) किसी भी मुलाकात कर सकते हैं।'' साथ ही राज बब्बर ने इस बात पर भी जोर दिया था कि कांग्रेस ने प्रशांत को बातचीत के लिए नहीं कहा था।
सपा में मचे पारिवारिक घमासान की वजह से कांग्रेस गठजोड़ की बातचीत में ज्यादा दिलचस्पी दिखा नहीं रही है। 5 नवंबर को सपा के रजत जयंती कार्यक्रम में कई दलों के वरिष्ठ नेताओं के जमावड़े को संभावित गठबंधन की तैयारी के रूप देखा जा रहा है। एकजुटता को प्रदर्शित करने वाले उस कार्यक्रम में कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया था।
प्रशांत इससे पहले दिल्ली में और फिर लखनऊ में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव से मुलाकात कर चुके हैं। वहीं पीके को लेकर कांग्रेस के भीतर असमंजस है। दिल्ली में राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की तैयारियाँ हो रहीं है। उधर खबरें हैं कि कांग्रेस के प्रदेश सचिव सुनील राय समेत कई पदाधिकारियों ने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में यूपी में गठजोड़ का विरोध किया है।
कांग्रेस के कई बड़े नेता प्रशांत किशोर के काम करने के तरीके से नाराज हैं। ये नेता शुरू से ही उनके काम करने के तरीके से नाखुश रहे हैं। उत्तर प्रदेश और पंजाब दोनों जगहों पर स्थानीय नेताओं की अनदेखी का आरोप उनपर लगा है। बताते हैं कि दिल्ली में पीके और मुलायम सिंह की मुलाकात के बाद गुलाम नबी आजाद से लेकर प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर तक सभी ने नाराजगी जाहिर की। राज बब्बर ने कहा उन्हें किसी अन्य दल से बात करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने अधिकृत नहीं किया है।
प्रशांत किशोर को कांग्रेस की रणनीति का काम खुद राहुल गांधी ने सौंपा है। उनकी सलाह पर पार्टी की राज्य इकाई को पूरी तरह से बदला गया था। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पीके ने दोनों राज्यों में प्रचार के लिए जितनी रकम मांगी है, उतनी कांग्रेस दोनों राज्य में खर्च नहीं कर रही है। कई जगहों पर कांग्रेस सूत्रों का तर्क है कि खर्चा खुद कांग्रेस पार्टी को करना होता है, वहां भी पीके की टीम खुद कोई आयोजन बदल कर बदले में पैसा मांगती है, जो कि फिलहाल मुश्किल घड़ी से गुजर रही कांग्रेस पूरा नहीं कर सकती।
आरोप यह भी है कि पीके और उनकी टीम कांग्रेस से ज्यादा अपने प्रचार में लगी है। यही वजह है कि पंजाब में चुनावी पोस्टरों में कई जगह कांग्रेस से बड़ा चिन्ह पीके की कंपनी आईपीएसी का नजर आ रहा है। कांग्रेस पार्टी ने पीके के साथ दिक्कतों या उनके कांग्रेस का दामन छोड़ने की खबरों को मीडिया की अटकलबाजी कहा है।
खबरें हैं कि दिल्ली में गुरूद्वारा रक्काबगंज रोड स्थित कांग्रेस के वार रूम में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ बैठक में भी कुछ नेताओं ने सीधे प्रियंका गांधी वाड्रा से कहा कि वे प्रशांत किशोर के काम काज के तरीकों से खुश नहीं है। क्योंकि वे और उनकी पूरी टीम स्थानीय नेताओं की अनदेखी करती है।
मुलायम सिंह से प्रशांत किशोर की मुलाकात के बाद यूपी कांग्रेस प्रमुख राज बब्बर ने कहा था, ''यह एक स्वतंत्र देश है और वह (प्रशांत) किसी भी मुलाकात कर सकते हैं।'' साथ ही राज बब्बर ने इस बात पर भी जोर दिया था कि कांग्रेस ने प्रशांत को बातचीत के लिए नहीं कहा था।
सपा में मचे पारिवारिक घमासान की वजह से कांग्रेस गठजोड़ की बातचीत में ज्यादा दिलचस्पी दिखा नहीं रही है। 5 नवंबर को सपा के रजत जयंती कार्यक्रम में कई दलों के वरिष्ठ नेताओं के जमावड़े को संभावित गठबंधन की तैयारी के रूप देखा जा रहा है। एकजुटता को प्रदर्शित करने वाले उस कार्यक्रम में कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया था।
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