एनडीटीवी इंडिया को एक दिन के लिए ऑफ-एयर करने के सरकारी आदेश का अनुपालन रोकने की खबर 7 नवम्बर को आने के बाद से दो तरह की बातें सामने आ रही हैं। एनडीटीवी पर पाबंदी लगाने के समर्थकों का कहना है कि सरकार ने यह कदम गलत उठाया है। सवाल है कि क्या सरकार ने यह कदम एनडीटीवी पर कृपा करके उठाया है या इसलिए उठाया है कि चैनल अदालत चला गया था और सरकार घबरा गई थी?
एनडीटीवी इंडिया की वैबसाइट पर खबर में कहा गया है कि इस फैसले की चौतरफा आलोचना के बाद बैन सम्बंधी आदेश को स्थगित किया गया। यह फैसला तब आया जब सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस बैन पर स्टे संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया।
इस संबंध में सोमवार की दोपहर NDTV के प्रतिनिधियों ने सूचना और प्रसारण मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एनडीटीवी इंडिया ने जनवरी में पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर हमले के संबंध में संवेदनशील ब्यौरे का प्रसारण नहीं किया। साथ ही कहा कि चैनल को अपनी तरफ से साक्ष्य पेश करने का उपयुक्त मौका नहीं दिया। चैनल ने ऐसी कोई सूचना प्रसारित नहीं की जो उस वक्त बाकी चैनलों और अख़बारों से भिन्न रही हो।
उसके बाद मंत्रालय ने केस की समीक्षा तक बैन को स्थगित करने का आदेश पारित किया।
यहाँ पढ़ें एनडीटीवी की पूरी खबर सूचना प्रसारण मंत्रालय ने NDTV इंडिया पर एक दिन के बैन के अपने आदेश को स्थगित किया
इंडियन एक्सप्रेस की खबर NDTV India one-day ban: Channel takes government to Supreme Court
हालांकि एनडीटीवी ने अपनी तरफ से और कुछ नहीं कहा है, पर Angry Lok नाम से एक ब्लॉग में कहा गया है कि सरकार पर इतना दबाव पड़ा कि एक वरिष्ठ अधिकारी को एनडीटीवी के एक वरिष्ठ सम्पादक के साथ सूचना मंत्री वेंकैया नायडू की बैठक मुकर्रर करने का निर्देश दिया गया। अधिकारी ने संकेत किया कि यदि चैनल यह कहे कि वह भविष्य में ज्यादा चौकस रहेगा तो बैन हटाई जा सकती है। पर ब्लॉग ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अधिकारी को एनडीटीवी के इस दृढ़ निश्चय पर हैरत हुई कि चैनल समझौते को तैयार नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि रविवार तक सरकार साँसत में आ गई। यह स्पष्ट था कि सारा मीडिया एनडीटीवी के साथ खड़ा है। एनडीटीवी के स्टार एंकर रवीश कुमार के माइम कलाकारों के साथ हुआ कार्यक्रम वायरल हो गया। चैनल को संकेत भेजे गए कि सरकार इसे खत्म करना चाहती है। राहत तब मिली जब मंत्रालय के पास संदेश गया कि प्रणय रॉय वेंकैया नायडू से मिलने को तैयार हैं। सरकार को यह पता भी लग गया था कि चैनल ने वरिष्ठ वकीलों की एक बैटरी की सेवाएं एनडीटीवी ने प्राप्त कर ली हैं और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।
सोमवार की सुबह चैनल ने शेयर बाजार में घोषणा की कि हम सरकारी आदेश के खिलाफ अदालत चले गए हैं। उसी शाम प्रणय रॉय और वरिष्ठ सम्पादकों की टीम सूचना मंत्री से मिलने को तैयार हो गई। बैठक के पहले मंत्री के एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा गया, 'कोई बैन नहीं है, केवल एक सलाह जारी की गई है. देखना है कि यह सलाह मानी जाती है या नहीं।'
ब्लॉग के अनुसार ऐसा लगता है कि मीटिंग में एनडीटीवी के सख्त रुख से मंत्री को हैरत हुई। उन्हें उम्मीद थी कि चैनल का रुख समझौते का होगा। मंत्री ने चैनल से निवेदन किया कि वे बैन को स्थगित करने के अनुरोध का एक पत्र लिखें। वकीलों से सलाह के बाद चैनल एक आधिकारिक पत्र देने को तैयार हो गया, बशर्ते सरकार इसके साथ ही बैन को स्थगित करने का पत्र दे। मंत्रालय ने कहा, चूंकि सभी बाबू चले गए हैं इसलिए मंत्रालय का पत्र अगले दिन ही मिल पाएगा। इसपर चैनल के प्रतिनिधि अड़ गए कि हम भी पत्र तभी देंगे जब सरकार तत्काल बैन हटाने की घोषणा करे।
अंततः सरकार मानी। वेंकैया नायडू ने एनडीटीवी के पत्र के हाशिए पर छोटा सा नोट लिखा और मंत्रालय के अधिकारियों ने एक घंटे के भीतर पत्र दे दिया। ब्लॉग के अनुसार यह एनडीटीवी की जीत है।
दो दिन में इस ब्लॉग से एनडीटीवी के पक्ष में दूसरा विवरण है। इससे यह तो पता लगता है कि चैनल के भीतर के सूत्रों की राय इस ब्लॉग के मार्फत सामने आ रही है। ब्लॉग में इस प्रकरण के राजनीतिक निहितार्थ भी व्यक्त हुए हैं। देखना है कि क्या चैनल इसी दृढ़ निश्चय के साथ सामने आएगा या कोई सफाई देगा? ब्लॉग में पढ़ें Why the NDTV Ban Was Put On Hold
NDTV India ban: SC defers hearing for December 5
एनडीटीवी इंडिया की वैबसाइट पर खबर में कहा गया है कि इस फैसले की चौतरफा आलोचना के बाद बैन सम्बंधी आदेश को स्थगित किया गया। यह फैसला तब आया जब सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस बैन पर स्टे संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया।
इस संबंध में सोमवार की दोपहर NDTV के प्रतिनिधियों ने सूचना और प्रसारण मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एनडीटीवी इंडिया ने जनवरी में पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर हमले के संबंध में संवेदनशील ब्यौरे का प्रसारण नहीं किया। साथ ही कहा कि चैनल को अपनी तरफ से साक्ष्य पेश करने का उपयुक्त मौका नहीं दिया। चैनल ने ऐसी कोई सूचना प्रसारित नहीं की जो उस वक्त बाकी चैनलों और अख़बारों से भिन्न रही हो।
उसके बाद मंत्रालय ने केस की समीक्षा तक बैन को स्थगित करने का आदेश पारित किया।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर NDTV India one-day ban: Channel takes government to Supreme Court
हालांकि एनडीटीवी ने अपनी तरफ से और कुछ नहीं कहा है, पर Angry Lok नाम से एक ब्लॉग में कहा गया है कि सरकार पर इतना दबाव पड़ा कि एक वरिष्ठ अधिकारी को एनडीटीवी के एक वरिष्ठ सम्पादक के साथ सूचना मंत्री वेंकैया नायडू की बैठक मुकर्रर करने का निर्देश दिया गया। अधिकारी ने संकेत किया कि यदि चैनल यह कहे कि वह भविष्य में ज्यादा चौकस रहेगा तो बैन हटाई जा सकती है। पर ब्लॉग ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अधिकारी को एनडीटीवी के इस दृढ़ निश्चय पर हैरत हुई कि चैनल समझौते को तैयार नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि रविवार तक सरकार साँसत में आ गई। यह स्पष्ट था कि सारा मीडिया एनडीटीवी के साथ खड़ा है। एनडीटीवी के स्टार एंकर रवीश कुमार के माइम कलाकारों के साथ हुआ कार्यक्रम वायरल हो गया। चैनल को संकेत भेजे गए कि सरकार इसे खत्म करना चाहती है। राहत तब मिली जब मंत्रालय के पास संदेश गया कि प्रणय रॉय वेंकैया नायडू से मिलने को तैयार हैं। सरकार को यह पता भी लग गया था कि चैनल ने वरिष्ठ वकीलों की एक बैटरी की सेवाएं एनडीटीवी ने प्राप्त कर ली हैं और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।
सोमवार की सुबह चैनल ने शेयर बाजार में घोषणा की कि हम सरकारी आदेश के खिलाफ अदालत चले गए हैं। उसी शाम प्रणय रॉय और वरिष्ठ सम्पादकों की टीम सूचना मंत्री से मिलने को तैयार हो गई। बैठक के पहले मंत्री के एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा गया, 'कोई बैन नहीं है, केवल एक सलाह जारी की गई है. देखना है कि यह सलाह मानी जाती है या नहीं।'
ब्लॉग के अनुसार ऐसा लगता है कि मीटिंग में एनडीटीवी के सख्त रुख से मंत्री को हैरत हुई। उन्हें उम्मीद थी कि चैनल का रुख समझौते का होगा। मंत्री ने चैनल से निवेदन किया कि वे बैन को स्थगित करने के अनुरोध का एक पत्र लिखें। वकीलों से सलाह के बाद चैनल एक आधिकारिक पत्र देने को तैयार हो गया, बशर्ते सरकार इसके साथ ही बैन को स्थगित करने का पत्र दे। मंत्रालय ने कहा, चूंकि सभी बाबू चले गए हैं इसलिए मंत्रालय का पत्र अगले दिन ही मिल पाएगा। इसपर चैनल के प्रतिनिधि अड़ गए कि हम भी पत्र तभी देंगे जब सरकार तत्काल बैन हटाने की घोषणा करे।
अंततः सरकार मानी। वेंकैया नायडू ने एनडीटीवी के पत्र के हाशिए पर छोटा सा नोट लिखा और मंत्रालय के अधिकारियों ने एक घंटे के भीतर पत्र दे दिया। ब्लॉग के अनुसार यह एनडीटीवी की जीत है।
दो दिन में इस ब्लॉग से एनडीटीवी के पक्ष में दूसरा विवरण है। इससे यह तो पता लगता है कि चैनल के भीतर के सूत्रों की राय इस ब्लॉग के मार्फत सामने आ रही है। ब्लॉग में इस प्रकरण के राजनीतिक निहितार्थ भी व्यक्त हुए हैं। देखना है कि क्या चैनल इसी दृढ़ निश्चय के साथ सामने आएगा या कोई सफाई देगा? ब्लॉग में पढ़ें Why the NDTV Ban Was Put On Hold
NDTV India ban: SC defers hearing for December 5
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