नासा की मुख्य वैज्ञानिक एलेन स्टोफन
ने इस साल अप्रैल में एक सम्मेलन में कहा, मुझे लगता है कि एक दशक के भीतर हमारे पास
पृथ्वी से दूर अन्य ग्रहों पर भी जीवन के बारे में ठोस प्रमाण होंगे. हम जानते हैं कि कहां और कैसे खोज करनी है.
उनकी बात का मतलब यह नहीं कि अगले दस साल में हम विचित्र शक्लों वाले जीवधारियों
से बातें कर रहे होंगे. उन्होंने कहा था, हम एलियन के बारे में नहीं, छोटे-छोटे
जीवाणुओं ज़िक्र कर रहे हैं.
आपने फिल्म ईटी देखी होगी. नहीं तो
टीवी सीरियल देखे होंगे जिनमें सुदूर अंतरिक्ष में रहने वाले जीवों की कल्पना की
गई है. परग्रही प्राणियों से मुलाकात की कल्पना हमारे समाज, लेखकों, फिल्मकारों
और पत्रकारों को रोमांचित करते रही है. अखबारों में, टीवी में उड़न-तश्तरियों की खबरें
अक्सर दिखाई पड़ती हैं. हॉलीवुड से बॉलीवुड तक फिल्में बनी हैं. परग्रही जीवन के
संदर्भ में वैज्ञानिक अब नए प्रश्न पूछ रहे हैं. परग्रही जीवन कैसा होता होगा? कितने
समय में उसका पता चलेगा और हम इसे कैसे पहचानेंगे? हाल के निष्कर्ष हैं कि यह जीवन हमारे
काफी करीब है. वह धरती के आसपास के ग्रहों या उनके उपग्रहों में हो सकता है.
ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग
ने सोमवार को 10 करोड़ डॉलर की जिस परियोजना का सूत्रपात किया है वह मनुष्य जाति
के इतिहास के सबसे रोमांचक अध्याय पर से पर्दा उठा सकती है. यह परियोजना रूसी मूल के अमेरिकी
उद्यमी और सिलिकॉन वैली तकनीकी निवेशक यूरी मिलनर ने की है. मिलनर सैद्धांतिक
भौतिक-विज्ञानी भी हैं. इस परियोजना में कारोबार कम एडवेंचर ज्यादा है. कोई
वैज्ञानिक विश्वास के साथ नहीं कह सकता कि अंतरिक्ष में जीवन है. किसी के पास
प्रमाण नहीं है. पर कार्ल सागां जैसे अमेरिकी वैज्ञानिक मानते रहे हैं कि अंतरिक्ष
की विशालता और इनसान की जानकारी की सीमाओं को देखते हुए यह भी नहीं कहा जा सकता कि
जीवन नहीं है.
शायद धरती पर जीवन कहीं अंतरिक्ष में
ही उपजा था. करोड़ों साल पहले किसी तरह पृथ्वी पर उसके बीज गिरे और यहाँ वह विकसित
हुआ. कार्ल सागां का अनुमान था कि हमारे पूरे सौर मंडल में बैक्टीरिया हैं. यह
अनुमान ही है, किसी के पास बैक्टीरिया का नमूना नहीं है. आने वाले कुछ वर्षों में
मंगल या चंद्रमा के नमूनों में बैक्टीरिया मिल जाएं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
मंगल पर मिले रासायनिक तत्वों में जीवन के दस्तखत मिले हैं. उनकी पुष्टि में कुछ
साल लगेंगे. हाल में चंद्रमा में पानी मिलने की पुष्टि हुई है. पानी जीवन का
महत्वपूर्ण वाहक है.
साठ के दशक में जब इनसान ने अपने यान
धरती की कक्षा में पहुँचा दिए तब आसमान की खिड़की को और खोलने का मौका मिला.
अमेरिका और रूस की आपसी प्रतियोगिता चल रही थी,
पर दोनों देशों के दो वैज्ञानिकों ने
मिलकर एक काम किया. कार्ल सागां और रूसी वैज्ञानिक आयसिफ श्क्लोवस्की ने मिलकर एक
किताब लिखी ‘इंटेलिजेंट लाइफ इन युनिवर्स’.
उसके पहले 1961 में सर्च फॉर एक्स्ट्रा
टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस (सेटी) का पहला सम्मेलन हो चुका था. वैज्ञानिकों का
निश्चय था कि दूर कोई है और समझदार भी है तो वह या तो हमें संकेत देगा या हमारा
संकेत पकड़ेगा.
अमेरिका की विज्ञान पत्रिका ‘न्यू
साइंटिस्ट’ ने सितम्बर 2006 मे 10 ऐसी बातें गिनाईं जो इशारा करती हैं कि खोज
जारी रखें तो अंतरिक्ष में जीवन होने के पक्के सुबूत भी मिल जाएंगे, बल्कि
जीवन भी मिल जाएगा. सन 1961 में अमेरिका के रेडियो विज्ञानी फ्रैंक ड्रेक ने
प्राप्त तथ्यों के आधार पर यह अनुमान लगाने की कोशिश की थी कि कितने ग्रहों में
बुद्धिसम्पन्न प्राणी होने की सम्भावना है. उन्होंने सूर्य, धरती
और ग्रहों के निर्माण को लेकर अनुमान लगाया कि हमारी आकाशगंगा के ही करीब 10,000
ग्रहों में जीवन सम्भव है. इसे ड्रेक समीकरण कहते हैं. उस समीकरण के 40 साल बाद
2001 में ड्रेक की पद्धति को और कठोर करके वैज्ञानिकों ने फिर से समीकरण बनाया तो
वह कहता है कि लाखों ग्रहों में जीवन सम्भव है.
जीवन की खोज की इस नवीनतम परियोजना की
घोषणा 20 जुलाई को की गई. इस तारीख का सांकेतिक महत्व है. यह सन 1969 में चंद्रमा
पर समानव अंतरिक्ष यान अपोलो-11 के उतरने की तारीख है. जिस समारोह में यह घोषणा की
गई उसमें यूरी मिलनर के साथ ‘ड्रेक समीकरण’ वाले फ्रैंक ड्रेक और ज्यॉफ मैर्सी भी
थे, जिन्होंने सुदूर अंतरिक्ष में धरती जैसे सैकड़ों ‘एक्ज़ोप्लेनेट्स’ की
खोज की है. स्टीफन हॉकिंग तो साथ थे ही.
यह दुनिया का सबसे बड़ा अनुत्तरित सवाल
है. क्या धरती के बाहर अंतरिक्ष में कोई रहता है? कैसे लोग हैं वे? कहाँ
रहते हैं? इन दिनों मंगल ग्रह में पानी मिलने की चर्चा होने के साथ-साथ वहाँ
जीवन होने की संभावनाओं पर भी चर्चा हो रही है. बेशक वहाँ ऐसे जीवधारी नहीं हैं जो
हमपर हमले करें. जीवन हुआ भी तो वह बैक्टीरिया की शक्ल में होगा. नासा का ‘मेवन’ यान
इन दिनों मंगल के चक्कर लगा रहा है. नासा का ‘क्यूरोसिटी’,
भारत का ‘मंगलयान’ और
दूसरे कुछ यान भी मंगल की खोज कर रहे हैं. पर जीवन की सम्भावना केवल मंगल ग्रह पर
ही नहीं है. उसकी तो हमे समूचे अंतरिक्ष में तलाश है.
यह तलाश केवल जीवन की तलाश ही नहीं, बुद्धि-सम्पन्न
प्राणी की तलाश भी है. हमारे आस-पास पशु-पक्षी,
घास-काई, पेड़-पौधे तमाम तरह की जीवित चीजें हैं.
इनसान इन सबसे अलग है. वह बुद्धि सम्पन्न है. वह अपनी बुद्धि के सहारे सुदूर
अंतरिक्ष की तलाश कर रहा है. जब हम बुद्धि सम्पन्न प्राणी के बारे में सोचते हैं
तो यह भी सोचना पड़ता है कि कितना बुद्धि सम्पन्न? वह हमसे हजारों साल पीछे भी हो सकता है
और लाखों-करोड़ों साल आगे भी. डिस्कवरी चैनल पर ‘इन टु द युनिवर्स विद स्टीफन हॉकिंग’ श्रृंखला
में स्टीफन हॉकिंग ने कहा, मान लो वह प्राणी बुद्धि सम्पन्न है और प्रकृति
के साधनों का दोहन करना जानता है. उसके ऊर्जा स्रोत खत्म हो रहे हैं. उसने ऐसी
तकनीक विकसित कर ली है जिससे वह कहीं से भी ऊर्जा ला सकता है. हो सकता है वह हमारे
सौर मंडल से ऊर्जा खींच ले जाना चाहे. तब वह हमारे अस्तित्व का संकट खड़ा कर देगा.
यह एक कल्पना है, पर अविश्वसनीय नहीं है. हम भी तो अंतरिक्ष में इसीलिए जा रहे हैं कि
अंतरिक्ष से साधन लाए जाएं. बहरहाल जीवन कहीं भी हो, पहले वह सामने तो आए.
प्रभात खबर में प्रकाशित
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस और जन्म दिवस मुकेश में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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