हिंदू में सुरेंद्र का कार्टून |
एक्ज़िट पोल के परिणामों पर कांग्रेस को औपचारिक रूप से भरोसा हो या न हो, पर व्यावहारिक रूप से दिल्ली के गलियारों में सत्ता परिवर्तन की हवाएं चलने लगी हैं। कल 13 मई को श्रीमती सोनिया गांधी 10 जनपथ के पिछले दरवाजे से निकलकर राष्ट्रपति भवन गईं। यह एक औपचारिक मुलाकात थी। आज मनमोहन सिंह का विदाई भोज है। उधर भाजपा के खेमे में भी सरगर्मी है। दिल्ली में सरकार की शक्ल क्या होगी? पर इससे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी वगैरह का क्या होगा? खबर थी कि आडवाणी जी एनडीए संसदीय दल के अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। पर आज के टेलीग्राफ में राधिका रमाशेषन की खबर है कि मोदी ने साफ कर दिया है कि यदि मैं प्रधानमंत्री बना तो सत्ता के दो केंद्र नहीं होंगे। सही बात है। यह चुनाव नरेंद्र मोदी जीतकर आ रहे हैं। कहना मुश्किल है कि आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा की स्थिति क्या होती, पर आज यह विचार का विषय ही नहीं है।
भारत के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर तरस आता है। नीचे से ऊपर तक सबका दिमाग शून्य है। दिल्ली में चल रही गतिविधियों पर उनकी नज़र ही नहीं है। सुबह से शाम तक एक्ज़िट पोल का तसकिरा लेकर बैठे हैं। सारी खबरें अखबारों से मिल रहीं हैं। इन संकीर्तनोंं के विशेषज्ञों की समझ पर हँसी आती है। विनोद मेहता, अजय बोस, दिलीप पडगाँवकर, आरती जैरथ, सबा नकवी, सुनील अलग और पवन वर्मा वगैरह-वगैरह किन बातों पर बहस कर रहे हैं?
दिल्ली के कुछ अखबारों ने मनीष तिवारी के हवाले से खबर दी है कि सूचना मंत्रालय की ज़रूरत ही नहीं है। आज क हिंदू में खबर है कि एनडीए सरकार मंत्रालयों में भारी फेर-बदल करेगी। आज के अमर उजाला के अनुसार नौकरशाही के महत्वपूर्ण पदों के लिए खींचतान शूरू हो गई है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पोलों के पोल के पीछे पड़ा है।
टेलीग्राफ की ध्यान देने वाली दो खबरें
हिंदू का ग्रैफिक
अमर उजाला
बहुत सटीक एक IN तो दूसरा OUT (EXIT)
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