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Tuesday, February 25, 2014

सीमांध्र का सच, बिहार-झारखंड का सवा सच

जिस तरह केन्द्र सरकार तेलंगाना का वादा करके उससे भाग रही थी, लगभग उसी तरीके से बिहार-झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने से वह कन्नी काट रही है. राजनीतिक शोर में अक्सर महत्वपूर्ण सवाल पीछे रह जाते हैं. सीमांध्र को पाँच साल तक विशेष आर्थिक पैकेज देने की बात केंद्र सरकार ने तकरीबन स्वीकार कर ली है. केंद्र को सिर्फ सीमांध्र की फिक्र क्यों है? इन्हीं कारणों से बिहार और झारखंड को विशेष दर्जा देकर उनका आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की माँग उठती रही है. वह उनकी अनदेखी क्यों कर रही है? क्या वजह है कि क्षेत्रीय असंतुलन का महत्वपूर्ण काम चुनावी शोर में दबता चला गया है, बावजूद इसके कि विशेषज्ञों ने लगातार इस ओर ध्यान दिलाया है?

Sunday, February 23, 2014

तेलंगाना पर कांग्रेस का जोड़-घटाना

पन्द्रहवीं लोकसभा के आखिरी सत्र के आखिरी दिन की जद्दो-जहद को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारतीय राजनीति बेहद डरावने दौर से गुजरने वाली है। शोर-गुल, धक्का-मुक्की मामूली बात हो गई। लगातार तीन सत्रों पर तेलंगाना मुद्दा छाया रहा, जिसकी परिणति पैपर-स्प्रे के रूप में हुई। किसी ने चाकू भी निकाला। बिल को लोकसभा से पास कराने के लिए टीवी ब्लैक आउट किया गया। कई तरह की अफवाहें सरगर्म थीं। लगता नहीं कि हम इक्कीसवीं सदी में आ गए हैं। राहुल गांधी जिन भ्रष्टाचार विरोधी विधेयकों को पास कराना चाहते थे, वे इस तेलंगाना-तूफान के शिकार हो गए। किसी तरह से विसिल ब्लोवर विधेयक संसद से पास हो पाया है। सदा की भांति महिला विधेयक ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहा। लोकसभा के सामने विचारार्थ रखे तकरीबन सत्तर विधेयक लैप्स हो गए।

भारत के संसदीय इतिहास में पन्द्रहवीं लोकसभा एक ओर अपनी सुस्ती और दूसरी ओर शोर-गुल के लिए याद की जाएगी। आंध्र की जनता के लिए क्या वास्तव में इतना बड़ा मसला था कि हम तमाम बड़े राष्ट्रीय सवालों को भूल गए? तेलंगाना बिल के पास होते ही मीडिया में कयास शुरू हो गए हैं कि इसका फायदा किसे मिलेगा। क्या यह सब कुछ चुनावी नफे-नुकसान की खातिर था? कांग्रेस पार्टी के लिए इस विधेयक को पास कराना जीवन-मरण का सवाल बन गया था। सवाल है कि यह सब सदन के आखिरी सत्र के लिए क्यों रख छोड़ा गया था? और अब जब यह काम पूरा हो गया है तो क्या कांग्रेस को तेलंगाना की जनता कोई बड़ा पुरस्कार देगी?

Saturday, February 22, 2014

पन्द्रहवीं लोकसभा के कुछ निराशाजनक पहलू

 शनिवार, 22 फ़रवरी, 2014 को 08:45 IST तक के समाचार
भारत की संसद
15वीं लोकसभा को ये श्रेय जाता है कि उसने नागरिकों को शिक्षा का अधिकार दिया. खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण कानून बनाए और 'विसिल ब्लोवर' संरक्षण और लोकपाल विधेयक पास किए.
बेशक वैश्विक मंदी के दौर में देश की अर्थव्यवस्था के अचानक धीमी पड़ने और अनेक प्रकार के राजनीतिक विवादों का सीधा असर संसदीय कामकाज पर भी पड़ा.
इस लिहाज से इस लोकसभा ने देश के संसदीय इतिहास के सबसे चुनौती भरे समय को देखा.
इसकी उपलब्धियों को हमेशा याद रखा जाएगा लेकिन इस दौरान कुछ ऐसी बातें हुईं, जिन्हें टाला जा सकता था या बेहतर तरीके से निपटाया जा सकता था.

पेपर-स्प्रे का इस्तेमाल

Wednesday, February 19, 2014

नफे-नुकसान की राजनीति

मंजुल का कार्टून
हिंदू में केशव

तेलंगाना बिल का पास होना और राजीव हत्याकांड के अभियुक्तों को मृत्युदंड से मुक्ति। आज के अखबारों की दो सुर्खियाँ हैं। तेलंगाना विधेयक के पास होने के तरीके और खासतौर से लोकसभा चैनल का प्रसारण रोके जाने की घटना को देशभर ने गौर से देखा है। सरकार इसकी सफाई देने में ही फँस गई है। बेहद नासमझी के इस फैसले का लब्बो-लुबाव यह है कि पारदर्शिता की राह में तमाम अड़ंगे अभी कायम हैं।

कोलकाता के अखबार टेलीग्राफ का आज का शीर्षक है

इतिहास का एक पन्ना फाड़े जाने के मायने

 बुधवार, 19 फ़रवरी, 2014 को 12:40 IST तक के समाचार
तेलंगाना
तेलंगाना मुद्दे पर लोकसभा में हुई बहस को देखने सुनने का जनता को पूरा अधिकार था.
ये भारतीय लोकतंत्र का दुर्भाग्य है कि जिस उद्देश्य से लोकसभा का चैनल शुरू किया गया था उसका एक अहम दिन भारतीय जनता ने गंवा दिया.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि चैनल पर लोकसभा की क्लिक करेंकार्यवाही के प्रसारण को जानबूझकर बंद किया गया होगा. हालांकि सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है कि तकनीकी कारणों से ऐसा हुआ है.
मान लीजिए कि यह सहमति बन गई थी कि इस प्रसारण से आंध्र प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की स्थिति खराब होती तो फिर इसके लिए स्पष्टीकरण की ज़रूरत नहीं थी.
हालांकि आंध्र में आप जो देख रहे हैं उससे ख़राब स्थिति और क्या हो सकती थी. राज्य के मुख्यमंत्री इस्तीफ़ा दे चुके हैं और एक बड़े इलाके में विरोध और बंद हो रहे हैं.

Monday, February 17, 2014

धोनी की टीम का केजरीवाल से गठजोड़ है क्या?

मंजुल का कार्टून
हिंदू में सुरेंद्र का कार्टून


सतीश आचार्य का कार्टून
न्यूजीलैंड में खेल रही भारतीय क्रिकेट टीम ने आम आदमी पार्टी के साथ कोई समझौता कर लिया है। हर रोज और तकरीबन हर वक्त और तकरीबन हर चैनल पर एक ही बात है। बहरहाल बीस सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित करके पार्टी ने चुनाव के पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। बजट के दिन भी बजट पर कोई चर्चा नहीं।  तेलंगाना बिल पर भी नहीं। आज के जागरण ने शेखर गुप्ता के लेख का संक्षिप्त अनुवाद छापा है। उसे पढ़कर लगता है कि भारतीय राजनीति और कॉरपोरेट हाउसों के बीच गड़बड़ घोटाला तो है। आप वाले भी इसमें शामिल होंगे या नहीं कहना मुश्किल है। 
नवभारत टाइम्स


Sunday, February 16, 2014

अब शुरू होगा झाड़ू चलाओ, बेईमान भगाओ अभियान

मंजुल का कार्टून

v  दिल्ली में विधानसभा भंग न करके उसे निलंबित रखने का केवल एक मतलब है कि भविष्य में भाजपा की सरकार बन सकती है। भाजपा अभी सरकार बनाना नहीं चाहती, क्योंकि उससे लोकसभा चुनाव में उसकी छवि खराब होगी। पर कांग्रेस की केंद्र सरकार भी लोकसभा चुनाव के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं चाहती। केजरीवाल की राजनीति का अगला चरण क्या होगा, अब यह मीडिया की ुत्सुकता का विषय है। ज्यादातर अखबारों में खबर है कि केजरीवाल अब हरियाणा से अपना चुनाव अभियान शुरू करने वाले हैं। फिलहाल इस कयास को विराम लगा है कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ होंगे। 
 नवभारत टाइम्स


सड़क छाप राजनीति के खतरे

पिछले दिनों दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के धरने के बाद यह सवाल उठा था कि दफा 144 को तोड़कर धरना देना क्या उचित है?  केजरीवाल ने संविधान की रक्षा करने की शपथ ली थी। धारा 144 का उल्लंघन करना क्या उन्हें शोभा देता है? और उनके कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने जिस तरह दिल्ली के एक इलाके में छापा मारा वह क्या उचित था? पर अब केजरीवाल सांविधानिक बंधनों से मुक्त हैं। मुख्यमंत्री का पद छोड़ते ही उन्होंने घोषणा की है कि भ्रष्टाचार-विरोधी अपनी मुहिम को वे सड़कों पर ले जाएंगे। यानी देश की सड़कों पर अब अफरा-तफरी बढ़ेगी। व्यवस्था के शुद्धीकरण की दिशा में क्या यह बेहतर कदम होगा? या अराजकता का नंगा नाच शुरू होने वाला है? इस हफ्ते कुछ ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं, जो डर पैदा करती हैं। केजरीवाल की तरह आंध्र के मुख्यमंत्री किरण कुमार भी तेलंगाना के सवाल पर धरने पर बैठे थे। हो सकता है कि वे भी इस्तीफा देकर अपनी लड़ाई सड़कों पर ले जाने की घोषणा करें। क्या वजह है कि हमारा संसद पर से विश्वास उठ रहा है और राजनीतिक दल अपनी लड़ाई सड़कों पर ले जाने की घोषणा कर रहे हैं? और क्या वजह है कि वे संसद और सड़क का अंतर नहीं कर पा रहे हैं?

Saturday, February 15, 2014

केजरीवाल हिट विकेट @49

मंजुल का कार्टून

हिंदू में सुरेंद्र

इंडियन एक्सप्रेस में उन्नी

केजरीवाल के इस्तीफे को मीडिया ने अलग-अलग अर्थ में लिया है। जागरण में आज का शीर्षक है 'सत्ता छोड़ भागे केजरी', नवभारत टाइम्स के पहले पेज की सुर्खी है 'केजरी का ब्रेकअप डे' भीतर के पेज पर खबर है 'AK का परफेक्ट एक्ज़िट प्लान', भास्कर की लीड है 'आप जैसे आए वैसे ही गए', राष्ट्रीय सहारा की लीड है 'जनलोकपाल पर सरकार 'कुर्बान', हिन्दुस्तान की लीड है 'केजरीवाल ने मैदान छोड़ा', टाइम्स ऑफ इंडिया का शीर्षक है 'DAYS FOR KEJRIFALL', कोलकाता के टेलीग्राफ की लीड है 'KEJRI QUITS' केजरी और क्विट्स के बीच एक मफलर है, इंडियन एक्सप्रेस की लीड है 'Arvind Kejriwal’s second act begins'। इन सभी शीर्षकों से ज़ाहिर है कि किसी को विस्मय नहीं हुआ। केजरीवाल के चक्कर में आज के अखबार सीमांध्र के सांसदों को भूल गए।

नवभारत टाइम्स 


Thursday, February 13, 2014

क्रिकेट की नीलामी और मोदी की चाय

हिंदू में सुरेंद्र का कार्टून

मंजुल का कार्टून

इंडियन एक्सप्रेस में उन्नी

रेल बजट से ज्यादा महत्वपूर्ण वह हंगामा हो गया, जो तेलंगाना के नाम पर हुआ। प्रधानमंत्री की वेदना को उनके ही मंत्री पल्लम राजू ने हवा में उड़ा दिया। आईपीएल की नीलामी अब कुछ साल तक सुर्खियों में रहेगी। इतना समझ में आ रहा है कि जितना महंगा खिलाड़ी है, उतने ही खराब प्रदर्शन की आशा है। कम नामी खिलाड़ी अपनी क्षमता को साबित करने के बेहतर खेलते हैं। मोदी की चाय पार्टी के साथ राजनीति की रंगत बदल रही है। केजरीवाल उस हिना की तरह हैं जो घिसते-घिसते रंग ला रही है। इस चक्कर में रेल बजट अंडरप्ले हो गया। वेलेंटाइन डे भी मुँह बिसूर रहा है। बहरहाल नजर डालें आज की सुर्खियों पर

नवभारत टाइम्स

Wednesday, February 12, 2014

केजरी का गैस बम और तेलंगाना पर धमा-धम

हिंदू में केशव का कार्टून
इंडियन एक्सप्रेस में उन्नी
जयपाल रेड्डी जिस मामले को लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय से हटे थे, उसे लेकर अरविंद केजरीवाल ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। उधर आंध्र प्रदेश का मामला शंत नहीं हो रहा। ऐसे में क्रिकेट की स्पॉट फिक्सिंग बेचारी छोडी खबर बनकर रह गई है। नरेंद्र मोदी के बाद एक और फिल्म अभिनेत्री ने राहुल गांधी के नाम पर न्यूड तस्वीरें खिंचाने का फैसला किया है। मार्केटिंग का फंडा रोचक होता जा रहा है। पढ़ें आज की कतरनें 

नवभारत टाइम्स

Tuesday, February 11, 2014

पीपली लाइव के नत्था बने केजरीवाल

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून में सबीर नज़र का कार्टून संदर्भ बसंत
हिंदू में सुरेंद्र का कार्टून
मंजुल का कार्टून

क्रिकेट की सट्टेबाज़ी और दिल्ली में सियासी दाँवपेच आज की सुर्खियाँ हैं। दिल्ली में हर रोज नई एफआईआर हो रही है। सवाल है क्या केजरी सरकार जाएगी? आज के जागरण का अनुमान है कि कांग्रेस केजरीवाल को शहीद नहीं बनने देगी। दिल्ली से हाल में शुरू हुए अखबार नवोदय टाइम्स ने लिखा है कि केजरीवाल सरकार की हालत पीपली लाइव के नत्था जैसी हो गई है। जागरण में ही आज रोचक खबर यह है कि कल तीसरे मोर्चे की अनौपचारिक बैठक में बीजद और अद्रमुक प्रतिनिधि नहीं आए। उधर मोर्चे के शिखर पुरुषों ने संकेत दिया है कि गठबंधन तो चुनाव बाद ही होगा। देखना होगा कि इनमें से कितने संसद तक पहुँच पाते हैं। कोलकाता का टेलीग्राफ वाम मोर्चा के व्यावहारिक संकट की ओर इशारा कर रहा है। बुद्धदेव भट्टाचार्य पार्टी को नए यथार्थ को स्वीकार करने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने निताई हिंसा में हुई गलती को स्वीकार करके एक व्यावहारिक रास्ते पर कदम बढ़ाया है, पर पार्टी को शायद यह मंजूर नहीं। देखें आज की कतरनें

नवभारत टाइम्स

Monday, February 10, 2014

केजरी और केंद्र की कव्वाली

मंजुल का कार्टून
हिंदू में केशव का कार्टून
देवयानी खोब्रागड़े के पति को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विवि में नौकरी की पेशकश। यानी अमेरिका नहीं माना तो देवयानी का परिवार भारत में रह सकेगा। यह खबर कोलकाता के टेलीग्राफ ने छापी है। पर टेलीग्राफ की रोचक खबर है उसकी लीड। कोलकाता में वाम मोर्चा की रैली प्रभावशाली थी, पर पार्टी के भीतर मतभेद भी उजागर हो गए। पार्टी का कार्यकर्ता निराश है। दो दिन पहले वाम मोर्चा के दो एमएलए तृणमूल में चले गए। उधर पार्टी तीसरे मोर्चे को लेकर परेशान हैं। दिल्ली में केजरीवॉल बनाम केंद्र सरकार आज भी सुर्खियों में है। नवभारत टाइम्स ने आप के मंत्रियों को दी गई सुविधाओं की सूची छापी है। जो सुविधाएं गिनाई गई हैं, वे सामान्य जरूरतों से जुड़ी हैं। उनमें कुछ विशेष नहीं है। नजर डालें इन कतरनों पर
नवभारत टाइम्स

Sunday, February 9, 2014

केजरीवाल की लड़ाई का निर्णायक दौर शुरू

मंजुल का कार्टून
दैनिक भास्कर और दिल्ली के नवभारत टाइम्स के सकल प्रभाव से भले ही मेरी असहमति है, पर कवरेज में नयापन लाने के लिहाज से ये दो अखबार उल्लेखनीय हैं। भास्कर की रविवारीय पेज 1 की विशेष खबरें पठनीय होती है। रोज के अखबार में कुछ खबरें तस्वीरों के साथ लगाना और खासतौर से दुनिया की रोचक जानकारियाँ देना अच्छा है। हालांकि इसके पीछे अभी तक यह उद्देश्य नजर नहीं आता कि पाठकों की वैश्विक समझ बनाई जाए। मोटी बात मसाला परोसने तक सीमित लगती है। फिर भी इसके बहाने काफी  चीजें सामना आ जाती है। नवभारत टाइम्स खासतौर से दिल्ली की रोचक खबरें दे रहा है। और यह अनायास नहीं है, उनके पीछे योजना भी है। अलबत्ता भाषा के मामले में इस अखबार की नीति खोखली है। आज के अखबारों में केजरीवाल की यह चेतावनी महत्वपूर्ण तरीके से परोसी गई है कि मैं किसी भी हद तक जाऊँगा। नवभारत टाइम्स ने आज अन्ना का इंटरव्यू भी छापा है जो समय के साथ मौजूं है। दिल्ली में मणिपुर की लड़की से रेप आज की दूसरी महत्वपूर्ण घटना है। मोदी और राहुल की जवाबी कव्वाली को भी अखबारों ने महत्व दिया है।

नवभारत टाइम्स

गले की फाँस बना तेलंगाना

संसद का यह महत्वपूर्ण सत्र तेलंगाना के कारण ठीक से नहीं चल पा रहा है। इसके पहले शीत सत्र और मॉनसून सत्र के साथ भी यही हुआ। तेलंगाना की घोषणा से कोई खुश नहीं है। कांग्रेस ने सन 2004 में तेलंगाना बनाने का आश्वासन देते वक्त नहीं सोचा था कि यह उसके लिए घातक साबित होने वाला है। इस बात पर बहुत कम लोगों ने ध्यान दिया है कि सन 2004 में कांग्रेस के प्राण वापस लाने में तेलंगाना की जबर्दस्त भूमिका थी। एक गलतफहमी है कि 2004 में भाजपा की हार इंडिया शाइनिंग के कारण हुई। भाजपा की हार का मूल कारण दो राज्यों का गणित था।

आंध्र और तमिलनाडु में भाजपा  के गठबंधन गलत साबित हुए। दूसरी और कांग्रेस ने तेलंगाना का आश्वासन देकर अपनी सीटें सुरक्षित कर लीं। सन 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को कुल 182 सीटें मिलीं थीं, जो 2004 में 138 रह गईं। यानी 44 का नुकसान हुआ। इसके विपरीत कांग्रेस की सीटें 114 से बढ़कर 145 हो गईं। यानी 31 का लाभ हुआ। यह सारा लाभ तमिलनाडु और आंध्र से पूरा हो गया। 1999 में इन दोनों राज्यों से कांग्रेस की सात सीटें थीं, जो 2004 में 39 हो गईं। इन 39 में से 29 आंध्र में थीं, जहाँ 1999 में उसके पास केवल पाँच सीटें थीं। कांग्रेस को केवल लोकसभा में ही सफलता नहीं मिली। उसे आंध्र विधानसभा के चुनाव में भी शानदार सफलता मिली, और वाईएसआर रेड्डी एक ताकतवर मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित हुए।

Saturday, February 8, 2014

अपना समर्थन वापस ले लीजिए प्लीज़!!!

हिंदू में केशव का कार्टून
इंडियन एक्सप्रेस में उन्नी

मंजुल का कार्टून
आप के मोर्चे खुलते जा रहे हैं। उसका लोकपाल कानून तो बनने से रहा, पर उसके सहारे वह कांग्रेस की बखिया उधेड़ने में कामयाब होती जा रही है। उधर कांग्रेस अपने गले में तेलंगाना का प्रस्ताव लटकाकर घूम रही है। इस समय सबसे ज्यादा कार्टून आप को लेकर बन रहे हैं। यह स्थिति कॉमिकल है या संजीदा? नजर डालें आज की कतरनों पर

Friday, February 7, 2014

असीमानंद से तेलंगाना ऑटो एक्सपो तक

हिंदू में सुरेंद्र का कार्टून

आप सरकार और केंद्र सरकार के बीच मुठभेड़ जारी है। एक दूसरे किस्म की मुठभेड़ कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही है। इशरत जहाँ मामला और असीमानंद का मामला जितना सीधा लगता है उससे ज्यादा टेढ़ा है। इसकी अनुगूँज 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद सुनाई पड़ेगी। इसकी तार्किक परिणति भी हमें दिखाई पड़ेगी, शायद कुछेक साल बाद। बशर्ते तब तक कुछ और बड़े घोटालें न खुलें। दिल्ली में डिफेंस एक्सपो और ऑटो एक्सपो के साथ-साथ तेलंगाना एक्सपो भी चल रहा है। इस बात को ऊपर आप हिंदू में प्रकाशित कार्टून से समझ सकते हैं।  
टाइम्स ऑफ इंडिया

This Lok Sabha cleared 17% of bills in less than five minutes

NEW DELHI: Don't be surprised if Parliament manages to clear a slew of anti-graft bills, theTelangana Bill or the Communal Violence Prevention Bill despite the din in the next few days of the current session — 17% of bills, 20 to be precise, were passed by the 15th Lok Sabhawith less than five minutes' discussion.
According to an analysis by PRS Legislative Research, of the 118 bills passed so far by this Lok Sabha, only 23%, or 27 bills, have been passed after more than three hours of discussion. Twenty-six bills (22%) were passed after two to three hours of discussion. Twenty-four bills (20%) were passed after discussions ranged between one and two hours. Eleven bills (9%) were passed after discussions lasting 30 minutes to an hour. And 10 bills (8%) drew the attention of members for barely half an hour. No less than 20 bills were passed in less than five minutes.
पूरी खबर पढ़ें यहाँ 

नवभारत टाइम्स



Thursday, February 6, 2014

भारत रत्न का कार बेचना और भैंसों का मशहूर होना

हिंदू में सुरेंद्र का कार्टून

राजनीतिक लिहाज से तीसरे मोर्चे के फिर से खड़े होने और सांप्रदायिक हिंसा विधेयक के फिर से ठंडे बस्ते में चले जाने की खबर बड़ी हैं। जाति के आधार पर आरक्षण को लेकर जनार्दन द्विवेदी के बयान पर कांग्रेस सफाई देती फिर रही है। कोलकाता जाकर नरेंद्र मोदी ने दीदी और दादा के प्रति नरमाई बरतते हुए कांग्रेस के कसीदे कढ़े हैं। सांस्कृतिक रूप से दो खबरों पर निगाहें अटकती हैं। एक तो आजम खां ने कहा है कि मेरी भैंसो को वो शोहरत हासिल है जो गालिबन मलिका विक्टोरिया को भी नहीं मिली होगी। वहीं दो रोज पहले भारत रत्न का तमगा पहनने वाले सचिन तेन्दुलकर ऑटो एक्सपो में कारें बेचते नजर आए। थोड़ा अटपटा लगता है, पर चूंकि अब इस इनाम की कीमत एक स्तर पर आ गई है इसलिए नहीं भी लगता। देखें आज की कतरनें
टाइम्स ऑफ इंडिया
 NEW DELHI: The 58 new Rajya Sabha members may not be too worried about their salary with 86% or 50 of them being crorepatis with average assets of Rs 44.74 crore, according to the Association for Democratic Reforms (ADR).

This is higher than 67% crorepatis in Rajya Sabha in 2013 where 153 of the 227 members had assets of over a crore and the current Lok Sabha that boasts of 315 or 58% crorepatis.

ADR had analyzed data from the self-sworn affidavits of 58 new and re-contesting members of the Upper House.

Among the national parties, the average assets per candidate is highest for BJP at Rs 85.36 crore followed by Congress with Rs 42.32 crore, NCP with Rs 23.02 crore and CPM with Rs 21.99 lakh. Six independent candidates have average assets of Rs 110.68 crore.

The richest RS candidate is BJP's Ravindra Kishore Sinha from Bihar who has declared assets worth Rs 857.11 crore followed by Kakde Sanjay Dattatraya, independent candidate from Maharashtra with declared assets of Rs 425.65 crore and T Subbarami Reddy of Congress from Andhra Pradesh with declared assets of Rs 422.44 crore.

The poorest candidates were Trinamool's Ahmed Hassan from West Bengal with assets of Rs 4.04 lakh followed by Ratabrata Banerjee of CPM from West Bengal with assets of Rs 9.42 lakh and Haji Abdul Salam of Congress from Manipur with declared assets of Rs 25.23 lakh.

Among the new candidates, 14 (24%) have criminal cases while two have serious criminal charges pending against them. BJP fielded the highest number of criminal candidates with four while Congress had three.
नवभारत टाइम्स