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Sunday, April 21, 2013

पप्पू बनाम फेकू यानी ट्विटरगढ़ की जंग


इस महीने चार अप्रेल को राहुल गांधी के सीआईआई भाषण के बाद ट्विटर पर पप्पूसीआईआई के नाम से कुछ हैंडल तैयार हो गए। इसके बाद 8 अप्रेल को नरेन्द्र मोदी की फिक्की वार्ता के बाद फेकूइंडिया जैसे कुछ हैंडल तैयार हो गए। पप्पू और फेकू का संग्राम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँच गया और तमाम अंतरराष्ट्रीय वैबसाइटों पर पप्पू और फेकू का मतलब बताने वालों की लाइन लगी रही। ट्विटर से फेसबुक पर और फेसबुक से ब्लॉगों पर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। लगता है अगली चुनावी लड़ाई सोशल मीडिया पर ही लड़ी जाएगी। वोटरों, लेखकों और पत्रकारों के नज़रिए से देखें तो ऐसा ही लगता है। पर राजनेता शायद अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं।
 
बुधवार को बंगलुरु में भाजपा के दफ्तर के सामने हुए विस्फोट की खबर आने के कुछ देर बाद ही कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने ट्वीट किया, यदि भाजपा दफ्तर के पास हुआ यह धमाका आतंकी कार्रवाई है तो निश्चित रूप से चुनाव के ठीक पहले यह भाजपा को यह फायदा पहुँचाएगा। इस ट्वीट के जवाब में भाजपा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह और प्रवक्ता शाहनवाज हुसेन ने पलटवार किया कि ऐसे मौके पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। पर ये वक्तव्य ट्विटर पर नहीं थे। अलबत्ता जिस वक्तव्य ने इन्हें उत्तेजित किया वह ट्विटर पर था। राजनाथ जी, मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसेन, निर्मला सीतारमन, मीनाक्षी लेखी, स्मृति ईरानी, वाणी त्रिपाठी से लेकर मीनाक्षी त्रिपाठी तक सबके ट्विटर अकाउंट हैं। पर किसी ने इसका जवाब ट्विटर पर नहीं दिया। वाणी त्रिपाठी का बोस्टन धमाके पर ट्वीट है, बेंगलुरु धमाके पर नहीं। अलबत्ता पार्टी के सचिव डॉ अनिल जैन ने ट्वीट किया कि निर्दोष नागरिकों पर आतंकी हमले का कांग्रेस जिस तरह स्टंट बना रही है वह गलत है। भारतीय जनता पार्टी के ट्विटर अकाउंट पर पिछले सात महीनों से कुछ नहीं कहा गया है। आखिरी ट्वीट 6 सितम्बर 2012 को किया गया था, गली-गली में शोर है कांग्रेस सरकार चोर है। उससे पहले 8 मार्च को ट्वीट किया गया था हैप्पी होली। कांग्रेस पार्टी के नाम से एक ट्विटर हैंडल है, पर उसने आजतक एक भी ट्वीट नहीं किया। कर्नाटक के निर्दलीय सांसद राजीव चन्द्रशेखर ने अलबत्ता आतंकी धमाके पर रोटी सेकने के खिलाफ कुछ ट्वीट किए।

सरकार डरती है
सोशल मीडिया की बढ़ती महत्ता को दुनिया पहचान रही है। हाल में एक रपट थी कि देश के 160 लोकसभा क्षेत्रों में फेसबुक के इतनी बड़ी संख्या में यूज़र है कि यदि वे चाहें तो परिणामों पर असर डाल सकते हैं। पर लगता है कि अभी हम इसे खिलौना ही मानते हैं। कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया के दुष्परिणामों की ओर कई बार इशारा किया, जिससे पता लगता है कि सरकार इससे डरने लगी है। जबकि यह संचार का ताकतवर ज़रिया है। सरकार इसका फायदा उठाने की कोशिश क्यों नहीं करती? यह मीडिया उन्हें जनता के करीब भी ले जा सकता है। कपिल सिब्बल का ट्विटर हैंडल नहीं है। वे ट्वीट नहीं करते। पिछले साल 22 सितम्बर को प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा ने ट्विटर पर प्रेस कांफ्रेंस की। इसका प्रचार तो खूब हुआ, पर परिणाम फिस्स रहा।  
लालू, मुलायम शामिल नहीं हैं
ट्विटर पर लालू यादव, मुलायम सिंह, मायावती और जे जयललिता उपस्थित नहीं हैं या निष्क्रिय हैं। ये सब ज़मीन के नेता हैं। ममता बनर्जी का अकाउंट है। उन्होंने 17 अप्रेल तक कुल 13 ट्वीट किए थे। वे आठ लोगों को फॉलो करती हैं और उनके 6,075 फॉलोवर हैं। लालू यादव के नाम से कई अकाउंट हैं, पर लगता है ज्यादातर फेक हैं। एक अकाउंट रेलमंत्री के नाम से है, जिसपर 13 मई 2009 को पाँच ट्वीट किए गए। वही पहली और आखिरी बार थी। राहुल गांधी तो भविष्य के नेता हैं। उन्होंने अब तक 488 ट्वीट किए हैं। वे जिन 74 लोगों को फॉलो करते हैं उनमें डॉ मनमोहन सिंह, बराक ओबामा, यूके प्राइम मिनिस्टर से लेकर शशि थरूर और दिग्विजय सिंह तक हैं। इनमें प्रणय रॉय और लैरी किंग से लेकर राजदीप, सागरिका घोष और बरखा दत्त तक हैं। राहुल का आखिरी ट्वीट 4 अप्रेल का है जिसमें उनके सीआईआई के भाषण की अमेरिकी पत्रिका इकोनॉमिस्ट की बैवसाइट पर प्रकाशित रपट का लिंक है। केन्द्रीय मंत्रियों में सबसे सक्रिय हैं शशि थरूर जो 16,251 ट्वीट कर चुके हैं। वे 412 लोगों को फॉलो करते हैं और उन्हें 17 लाख 34 हजार 170 लोग फॉलो करते हैं। प्रियंका गांधी का भी ट्विटर अकाउंट है, पर उनकी सक्रियता और भी कम है। हालांकि खबरें हैं कि कांग्रेस पार्टी ने अब ट्विटर और फेसबुक का फायदा उठाने के लिए विचार शुरू किया है।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी गूगल प्लस पर 'हैंगआउट' करने वाले शुरूआती भारतीय राजनेता हैं। हालांकि उनके पहले वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने 4 मार्च 2013 को गूगल प्लस पर अपने बजट को लेकर नागरिकों से वीडियो चैट किया था। राजनेताओं को तकनीक जनता के काफी करीब ले आई है, फिर भी भारत में बहुत कम नेता हैं जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर पा रहे हैं। ट्विटर पर 100 से अधिक राजनेताओं के हैंडल्स हैं, लेकिन नियमित ट्वीट करने वाले नेताओं में सुब्रह्मण्यम स्वामी, शशि थरूर, उमर अब्दुल्ला, नरेंद्र मोदी, सुषमा स्वराज, जय पांडा और विजय माल्या के बाद शायद ही किसी का नाम याद आता हो। लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर सात सौ के आसपास सांसद हैं, लेकिन ट्विटर पर मौजूद सांसदों की संख्या 100 भी नहीं होगी। है भी तो केवल नाम की।
सबसे सक्रिय सुब्रह्मण्यम स्वामी
हाल में बीबीसी की एक रपट में सुब्रह्मण्यम स्वामी का हवाला दिया गया। वे कहते हैं, ‘मैं सुबह चार बजे उठता हूं। ट्विटर देखता हूं। मैं कोई सिनेमा स्टार नहीं हूं। मेरे साथ लोग बात करते हैं। मैं मूल्यों की बात करता हूं। सूचना देता हूं। स्वामी का कहना है कि जब मुख्यधारा की मीडिया ने 2 जी पर रिपोर्टिंग नहीं की तब उनके ट्वीट्स फॉलो करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी। चिदम्बरम के बेटे कल्कि की 12 कंपनियों के बारे में उन्हें ट्विटर पर ही किसी ने जानकारी दी थी। हमारे यहाँ ऐसे नेता कम हैं जो खुद ट्वीट करते हैं। उनके सेक्रेटरी करते हैं। वे बात नहीं करना चाहते हैं। सुब्रहमण्यम स्वामी ट्विटर कांफ्रेंस भी कर चुके हैं और आने वाले दिनों में ऑल इंडिया ट्विटर कांफ्रेंस करने वाले हैं।

ट्विटर या माइक्रोब्लॉगिंग ने एक ओर ब्रेकिंग न्यूज़ को सहज बनाया है वहीं त्वरित टिप्पणी को सरल किया है। भारत के नेताओं के फॉलोवरों की संख्या की तुलना अमेरिका के राषट्र्पति बराक ओबामा से करेंगे तो विस्मय होगा। ओबामा के ट्वीट तो 9035 ही हैं, पर उनके फॉलोवरों की संख्या 3 करोड़, 39 हजार, 486 है। वे 6,63,562 व्यक्तियों को फॉलो करते हैं। यकीनन यह काम वे अकेले नहीं कर सकते। पर वे अमेरिका के राष्ट्रपति हैं। वहाँ केवल तकनीक के कारण ट्विटर महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि राज-व्यवस्था में नागरिक की उपस्थिति के कारण महत्वपूर्ण है। जहाँ हमारे राजनेताओं के बारे में हम उनके फॉलोवरों की संख्या से अनुमान लगा रहे हैं वहीं वे किसको फॉलो करते हैं इससे उनकी पसंदगी का पता लगता है। बहुत गौर से देखें तो पाएंगे कि कांग्रेसी हो या भाजपाई सबका सामाजिक-सांस्कृतिक सम्पर्क एक जैसा है। मीडिया के चार-छह नाम हरेक की झोली में हैं। अभी तक यह सामान्य जन की पहुँच के बाहर है इसलिए इसमें देशी भाषा, उसके मुहावरों और उसकी ज़रूरतों का अभाव है। इसका इस्तेमाल प्रचार तक सीमित है। विमर्श में इसकी भूमिका नहीं है। पर आने वाले दिनों में राजनेता सोशल मीडिया को नजरअंदाज तो नहीं कर सकेंगे।

भारत के राजनीतिक ट्विटराती
डॉ मनमोहन सिंहः-ट्वीट 2179, फॉलो करते हैं 36, फॉलोवर हैं 5,14,045। वे सैम पित्रोदा, मनीष तिवारी, आरपीएन सिंह, उमर अब्दुल्ला और अजय माकन को फॉलो करते हैं।
शशि थरूरः- ट्वीट 16251, फॉलो करते हैं 412, फॉलोवर 17,34,267। वे पाकिस्तानी राजनेता रहमान मलिक, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डंविड केमरन, उद्योगपति रतन टाटा से लेकर पत्रकार स्वपन दासगुप्ता और सागरिका घोष तक को फॉलो करते हैं।
नरेन्द्र मोदीः-ट्वीट 2287, फॉलो करते हैं 346, फॉलोवर 14,83,253। वे ब्रिटिश प्रधानमंत्री केमरन और जापानी प्रधानमंत्री अबे शिंज़ो, एपीजे कलाम, एआर रहमान, बिल गेट्स, सुषमा स्वराज और सुब्रह्मण्यम स्वामी को फॉलो करते हैं। वन इंडिया हिन्दी और वन इंडिया गुजराती, टाइम्स नाउ, नन्दिका ठाकुर और प्रभु चावला को फॉलो करते हैं, पर मीडिया के काफी नामी लोग उनकी सूची में नहीं हैं।
सुषमा स्वराजः-ट्वीट 2548, फॉलो किसी को नहीं करतीं, फॉलोवर 4,31,906। सुषमा जी ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं। वे अक्सर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर त्वरित टिप्पणी के लिए ट्विटर का सहारा लेती हैं। सुषमा स्वराज को फॉलो करने वालों में पत्रकार-राजनेता चन्दन मित्रा, पत्रकार मधु त्रेहन, संघ प्रमुख मोहन भागवत तथा भाजपा के ज्यादातर प्रवक्ता शामिल हैं। खुद सुषमा किसी को फॉलो नहीं करतीं।
उमर अब्दुल्लाः-ट्वीट 5750,फॉलो करते हैं 83, फॉलोवर 2,65,95। उमर अब्दुल्ला सबसे सक्रिय ट्विटराती हैं। शायद सुब्रह्मण्यम स्वामी और शशि थरूर के बाद तीसरे नम्बर पर। वे जिन्हें फॉलो करते हैं उनमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मिंट के सम्पादक सुकुमार रंगनाथन, शाहरुख खान, फरहान खान, नवीन जिन्दल, सुषमा स्वराज, शशि थरूर और प्रवान स्वामी शामिल हैं।
वरुण गांधीः-ट्वीट 112, फॉलो करते हैं 02, फॉलोवर 1,13,766। वरुण गांधी पिछले दिसम्बर से कुछ सक्रिय हुए हैं। वे सिर्फ दो लोगों को फॉलो करते हैं। इनमें एक हैं अनुपम खेर और दूसरे हैं प्रितीश नन्दी।
सुब्रह्मण्यम स्वामीः-ट्वीट 22,009, फॉलो करते हैं 69, फॉलोवर 1,59,098। 22 बजार से ज्यादा ट्वीट के साथ वे सबसे ज्यादा सक्रिय राजनेता हैं। शशि थरूर से भी काफी आगे। वे एपीजे कलाम, नरेन्द्र मोदी, एस गुरुमूर्ति, एन राम, मालिनी पार्थसारथी के अलावा, द हिन्दू और इकोनॉमिस्ट को फॉलो करते हैं।
दिग्विजय सिंहः-ट्वीट 1003, फॉलो करते हैं 08, फॉलोवर 44,889। वे डॉ मनमोहन सिंह, एस गुरुमूर्ति, संजय झा, शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त को फॉलो करते हैं।
राहुल गांधीः-ट्वीट 488, फॉलो करते हैं 74, फॉलोवर 10,429। राहुल जिन्हें फॉलो करते हैं उनमें डॉ मनमोहन सिंह, सैम पित्रोदा, दिग्विजय सिंह, रतन टाटा, आनन्द महीन्द्रा, उमर अब्दुल्ला, प्रणय रॉय और राजदीप सरदेसाई शामिल हैं।
नवीन जिन्दलः-ट्वीट 4024, फॉलो करते हैं 48 को और फॉलोवर हैं 62,316। वे जिन्हें फॉलो करते हैं उनमें डॉ मनमोहन सिंह, नरेन्द्र मोदी, सुषमा स्वराज, दीपेन्दर हुड्डा, दुष्यंत सिंह और बरखा दत्त शामिल हैं।
अजय माकनः-ट्वीट 622, फॉलो करते हैं 119, फॉलोवर हैं 2,29,904। वे मेधा पाटकर, मधु किश्वर, परेश रावल, आरपीएनसिंह और किरन बेदी को फॉलो करते हैं।
ट्विटर आँकड़े 17 अप्रेल 2013 की शाम 5.00 बजे तक के हैं।

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