ताजा खबर है कि ओमिक्रॉन के बाद एक नया वेरिएंट और सामने आया है, जो डेल्टा और ओमिक्रॉन का मिला-जुला रूप है। इसकी खबर सायप्रस से आई है। युनिवर्सिटी ऑफ सायप्रस के बायलॉजिकल साइंसेज़ के प्रोफेसर लेंडियस कोस्त्रीकिस ने इसकी जानकारी दी है, जिसके 25 केस सामने आए हैं। इसका नाम इन्होंने ‘डेल्टाक्रॉन’ रखा है। बहरहाल यह एकदम शुरूआती जानकारी है, जिसकी पुष्टि अगले कुछ दिनों में होगी। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि लैब में सैम्पलों की मिलावट से भी ऐसा हो सकता है।
भारत में एक हफ्ते में रोजाना आ रहे संक्रमण दस
हजार से बढ़कर एक लाख और फिर देखते ही देखते दो लाख की संख्या पार कर गए हैं।
दूसरे दौर के पीक पर यह संख्या चार लाख से कुछ ऊपर तक पहुँची थी। उसके बाद गिरावट
शुरू हुई थी। दूसरे देशों में भारत की तुलना में तीन से चार गुना गति से संक्रमण
बढ़ रहा है। यह इतना तेज है कि विशेषज्ञों को विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त डेटा
हासिल करने तक का समय नहीं मिल पाया है। रोजाना तेजी से मानक बदल रहे हैं।
हालात सुधरेंगे या बिगड़ेंगे?
अब तक का निष्कर्ष है कि वेरिएंट बी.1.1.529
यानी ओमिक्रॉन का संक्रमण भले ही तेज है, पर इसका असर कम है। इसका मतलब क्या हुआ? क्या यह महामारी खत्म होने का लक्षण है
या किसी नए वेरिएंट की प्रस्तावना? क्या अगले वेरिएंट का संक्रमण और तेज
होगा? ज्यादातर
विशेषज्ञ मानकर चल रहे हैं कि यह पैंडेमिक नहीं एंडेमिक बनकर रहेगा। पिछले दो साल
का अनुभव है कि आप मास्क लगाएं, दूरी रखकर बात करें और हाथ धोते रहें, तो बचाव
संभव है।
भारत में आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद तथा कुछ अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञ मिलकर गणितीय मॉडल ‘सूत्र’ पर काम कर रहे हैं। ‘सूत्र’ का अनुमान है कि इसबार हर रोज की पीक संख्या चार से आठ लाख तक हो सकती है। इससे जुड़े विशेषज्ञ आईआईटी कानपुर के मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा है कि इसमें सबसे बड़ी भूमिका दिल्ली और मुम्बई में हो रहे तेज संक्रमण की होगी। इन दोनों शहरों में पीक भी जनवरी के मध्य तक यानी इन पंक्तियों के प्रकाशन तक हो जाना चाहिए, जबकि शेष देश में फरवरी में पीक संभव है।
अनुमान से
ज्यादा तेज
‘सूत्र’ ने भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के
बारे में दिसंबर में जो अनुमान लगाया था, उसकी तुलना में ओमिक्रॉन की गति कहीं ज्यादा
तेज साबित हुई। उसके बाद जनवरी में अनुमान को संशोधित किया गया है। फिलहाल अनुमान
यह है कि मार्च तक भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर वापस चली जाएगी। इस वक्त सबसे
बड़ा जोखिम पाँच राज्यों में हो रहे चुनाव को लेकर है। चुनाव का समय और तीसरी लहर
का समय एक साथ पड़ रहा है। फिलहाल 15 जनवरी तक रोडशो और रैलियों पर पाबंदी लगी है।
15 जनवरी के बाद चुनाव आयोग इस विषय पर विचार करेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रधान वैज्ञानिक
सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि कोविड-19 का सामना करने के लिए अब लॉकडाउनों की
जरूरत नहीं है, क्योंकि इस वायरस के बारे में अब हमारे पास बेहतर जानकारी है। उनका
कहना है कि इस बीमारी के बढ़ने की वजह अंग्रेजी के ‘तीन सी’
अक्षरों से जुड़े कारण थे। क्लोज़ कॉण्टैक्ट, क्राउड्स और क्लोज़ सेटिंग्स। लोगों
को मास्क लगाने पर ध्यान देना चाहिए। हम निरोधात्मक उपायों से बचाव कर सकते हैं।
वॉक, एक्सरसाइज़, संतुलित आहार और शरीर के वजन को अपनी ऊँचाई के हिसाब से संतुलित
रखना चाहिए। ओमिक्रॉन का संक्रमण जिस वक्त हो रहा है उस समय उत्तर भारत में सर्दी
का मौसम है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें जुकाम है फ्लू है या कोविड।
एंटी-वैक्सीन आंदोलन
उधर दुनियाभर में वैक्सीन और प्रतिबंधों को
लेकर कई तरह के विवाद खड़े हो रहे हैं। विश्व के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी नोवाक
जोकोविच के मामले ने इसे और बड़ा मोड़ दे दिया है। वे ऑस्ट्रेलियन ओपन प्रतियोगिता
में खेलने के लिए मेलबर्न पहुंचे ही थे कि उन्हें हिरासत में ले लिया गया। हालांकि
अदालत ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है, पर 17 जनवरी से शुरू होने वाली
प्रतियोगिता में उनकी शिरकत को लेकर संदेह हैं। जोकोविच ने वैक्सीन नहीं लगाई है।
वे वैक्सीन के विरोधी भी हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया में इसे लेकर सख्त कानून हैं।
फ्रांस की संसद के निम्न सदन ने गत 6 जनवरी को ‘वैक्सीन-पास’ विधेयक पास किया है, जिसे लेकर भी विवाद
है। अब इस कानून को पास करने की कार्रवाई सीनेट से होनी है। इस कानून के अनुसार अब
किसी भी प्रकार की सामाजिक, क्रीड़ा, मनोरंजन या सांस्कृतिक गतिविधि में वे लोग ही
शामिल हो सकेंगे, जिनका पूरी तरह टीकाकरण हो चुका होगा। जोकोविच प्रकरण से
एंटी-वैक्सीन आंदोलन को सहारा मिला है। यूरोप के कई देशों में एंटी-वैक्सीन
प्रदर्शन हो रहे हैं।
शनिवार 8 जनवरी को पेरिस में जबर्दस्त प्रदर्शन
हुआ, जिसमें करीब एक लाख लोग शामिल हुए है। बड़ी संख्या में लोग बगैर-मास्क पहने ‘वैक्सीन-पास’ कानून के विरोध में निकले थे। यह
प्रदर्शन ऐसे मौके पर हुआ है, जब फ्रांस में हर रोज तीन लाख से ज्यादा संक्रमण हो
रहे हैं। फ्रांस जैसे प्रदर्शन ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना और इटली के शहरों में
भी हुए हैं। शनिवार 8 जनवरी को जर्मनी के अनेक शहरों में प्रदर्शन हुए। जर्मनी में
एक नया नियम लागू हुआ है, जिसके तहत जिनके पास वैक्सीनेशन का प्रमाण नहीं होगा, वे
सार्वजनिक परिवहन से यात्रा नहीं कर सकेंगे। यूरोप के दूसरे देशों की सरकारें भी
इसी रास्ते पर हैं, जिसपर उन्हें प्रतिरोध का सामना भी करना पड़ रहा है।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (19-01-2022) को चर्चा मंच "कोहरे की अब दादागीरी" (चर्चा अंक-4314) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हर दिन चिंताजनक समाचार।
ReplyDeleteजानकारी युक्त पोस्ट।