बाएं आज के हिन्दू की लीड और दाएं कोलकाता के टेलीग्राफ की लीड
रविवार को सम्पन्न
हुए जी-7 के शिखर सम्मेलन में भारत ने ‘खुले समाज’ से जुड़े एक
संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे लेकर कल भारतीय मीडिया में
टिप्पणियाँ थीं कि भारत ने ‘इंटरनेट शटडाउन-विरोधी’ इस घोषणापत्र पर दस्तखत कैसे कर दिए, जबकि 2019 में उसने जम्मू-कश्मीर में
शटडाउन किया था। आज के हिन्दू की लीड है कि भारत के
कहने पर इस घोषणापत्र की भाषा बदली गई और इसमें राष्ट्रीय-सुरक्षा को अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता के ऊपर रखा गया है।
मूलतः इस घोषणापत्र में ऑनलाइन और ऑफलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा
लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बातें हैं, ताकि लोग भय और शोषण-मुक्त
माहौल में रह सकें। इस घोषणापत्र में इन स्वतंत्रताओं में इंटरनेट की भूमिका को
खासतौर से रेखांकित किया गया है। इस विषय पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने
कहा कि लोकतंत्र और वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ भारत की सभ्यतागत
प्रतिबद्धता है।
भारत ने इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के पहले इस विषय पर अपनी राय भी
रखी थी। मई के महीने में जी-7 विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भारत के विदेशमंत्री
एस जयशंकर ने कहा था कि वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ-साथ इस स्वतंत्रता के
दुरुपयोग, खासतौर से फ़ेकन्यूज़ और डिजिटल छेड़छाड़ के खतरों से बचने की जरूरत भी
होगी।
हिन्दू की खबर के अनुसार भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि भारत के जोरदार-विरोध के बाद ‘इंटरनेट-शटडाउन’ की आलोचना से जुड़ी शब्दावली में संशोधन किया गया। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद राज्य में काफी समय तक इंटरनेट और मोबाइल टेलीफोन सेवाएं बंद रहीं। उसके बाद नागरिकता कानून के विरोध में हुए आंदोलन और जनवरी, 2021 में दिल्ली में किसान-आंदोलन के दौरान दिल्ली और असम में भी ऐसी पाबंदियाँ लगाई गई थीं। दुनिया के कुछ और देशों में भी इंटरनेट शटडाउन हुआ है। इसमें हांगकांग का शटडाउन उल्लेखनीय है।
जी-7 शिखर सम्मेलन के
मौके पर जारी बयान में कहा गया है, ‘हम एक महत्वपूर्ण मोड़ आ गए हैं, जहाँ बढ़ते अधिनायकवाद, चुनावी हस्तक्षेप,
भ्रष्टाचार, आर्थिक दबाव, सूचना के साथ छेड़छाड़, जिसमें गलत सूचना शामिल है,
ऑनलाइन-क्षति, साइबर-हमले, राजनीति-प्रेरित शटडाउन, मानवाधिकार-उल्लंघन और
दुरुपयोग, आतंकवाद और उग्र-चरमपंथ का खतरा है।’
इस बयान में कुछ बिंदुओं की संवेदनशीलता को लेकर सम्मेलन में भारतीय
प्रतिनिधियों और जी-7 के बीच विमर्श चला। भारत सरकार के कहना है कि ‘राजनीति-प्रेरित
शटडाउन’ को शामिल करने
से यह स्पष्ट हो जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसले इंटरनेट-स्वतंत्रता
में अपवाद का काम करेंगे। सूत्रों के अनुसार मई के महीने में विदेशमंत्री एस
जयशंकर की लंदन-यात्रा के दौरान उनसे 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर में हुए
शटडाउन से जुड़े सवाल किए गए थे।
उस दौरान एस जयशंकर
ने ‘यह स्पष्ट’ किया था कि
सूचना-प्रवाह के विनियमन के सिलसिले में विधि-व्यवस्था और सार्वजनिक-सुरक्षा से
जुड़ी चिंताओं को प्राथमिकता देनी होती है। उनके सामने जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में
गणतंत्र दिवस के मौके पर हुए शटडाउन से जुड़े सवाल रखे गए थे। इसके पहले मई में
जी-7 के विदेशमंत्री स्तर के बयान में कहा गया था कि आयोजक ‘इंटरनेट-शटडाउन’ पर भी विचार
कर रहे हैं।
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