भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में कितनी तेजी से उतार-चढ़ाव आता है इसका नमूना दो दिन में देखने को मिला है। पाकिस्तान ने बुधवार को भारत के साथ आंशिक-व्यापार फिर से शुरू करने की घोषणा करके इस उम्मीद को बल दिया था कि रिश्ते सुधरेंगे। उसके अगले ही दिन वहाँ की कैबिनेट ने इस फैसले को बदल दिया और कहा कि जब तक भारत जम्मू-कश्मीर में 370 की वापसी नहीं करेगा, तब तक उसके साथ व्यापार नहीं होगा। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच रिश्तों की बहाली की ताजा कोशिशों पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। अब इंतजार करना होगा कि इस ब्रेक के बाद होता क्या है।
भारत से कपास और
चीनी के आयात का फैसला पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री हम्माद अज़हर द्वारा बुधवार
को की गई उस घोषणा के बाद आया जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी अध्यक्षता में हुई आर्थिक
समन्वय समिति (ईसीसी) की बैठक में आयात का फैसला किया गया था। इसके बाद गुरुवार को
देश के मंत्रिमंडल ने इस फैसले को खारिज कर दिया।
इस मुद्दे के राजनीतिक निहितार्थ को लेकर पाकिस्तान में गुरुवार दोपहर बाद से ही कयास लग रहे थे लेकिन अधिकारी खामोश थे। अंतत: फैसले को लेकर पहली टिप्पणी मानवाधिकार मामलों की मंत्री शीरीन मज़ारी की तरफ से आई जिन्हें कश्मीर को लेकर उनके कट्टर रुख के लिए जाना जाता है। एक बात साफ है कि आयात का फैसला इमरान खान की जानकारी में हुआ था। पर देश के कुछ कट्टरपंथी तबकों के विरोध को देखते हुए उन्होंने पलटी मारना बेहतर समझा। मज़ारी ने कहा कि 20 मार्च को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद से पहली बार मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता कर रहे प्रधानमंत्री इमरान खान ने, “(यह) स्पष्ट किया (कि) भारत के साथ रिश्ते तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक वे पांच अगस्त 2019 को कश्मीर में की गई कार्रवाई को वापस नहीं ले लेते।”
पाकिस्तानी अखबार
डॉन के अनुसार बुधवार को ईसीसी ने कपास और चीनी के आयात का जो फैसला किया था, उसके
कागज पर प्रधानमंत्री इमरान
खान ने दस्तखत किए थे। इस बात पर एक मंत्री फवाद चौधरी ने सफाई दी कि वाणिज्य
मंत्री होने के नाते इमरान खान ने उसे स्वीकार किया था, पर कैबिनेट ने इस प्रस्ताव
को नामंजूर कर दिया, क्योंकि उसकी अनुमति जरूरी थी। इस रोचक स्थिति पर पाकिस्तान
के विरोधी दल पीएमएल-एन ने कहा कि माना जाय कि पाकिस्तानी कैबिनेट ने अपने
प्रधानमंत्री पर अविश्वास व्यक्त किया है। बहरहाल अब सरकार सफाई देती फिर रही है।
बाद में विदेश
मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि मंत्रिमंडल ने भारत से
कपास और चीनी के आयात के मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “ऐसा पेश किया जा रहा है कि भारत के साथ
संबंध सामान्य हो गए हैं और व्यापार बहाल हो गया है…”। “इस रुख पर प्रधानमंत्री और
मंत्रिमंडल की सर्वसम्मत राय है कि जब तक भारत 5 अगस्त, 2019 की एकतरफा कार्रवाई को वापस नहीं लेता, भारत के साथ संबंध सामान्य होना संभव नहीं
है।” जम्मू कश्मीर पर भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार पर
पूरी तरह से रोक लगाने की घोषणा की थी। बाद में मई 2020 में कोविड-19 महामारी के बीच भारत से जरूरी दवाओं और आवश्यक दवाओं
के लिये कच्चे माल के आयात पर से रोक हटाई थी।
सरकार ने कपड़ा
उद्योग के दबाव में बुधवार को फिर से भारत के साथ व्यापारिक संबंध सुधारने की पहल
की थी, लेकिन कट्टरपंथियों ने
इसको लेकर इमरान सरकार की आलोचना करनी शुरू कर दी थी। उनका कहना है कि कश्मीर पर
भारत के रुख में बदलाव के बिना ही उन्होंने ऐसा क्यों किया? बुधवार के फैसले के मुताबिक पाकिस्तान ने 30 जून, 2021 से भारत से कपास आयात करने का फैसला किया है।
गौरतलब है कि भारत के कपास के बिना पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग को भारी संकटों का
सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तानी कपड़ा मंत्रालय ने भी यह पाबंदी हटाने की
सिफारिश की थी। इसी तरह अपने निजी क्षेत्र के लिए उसने भारत से चीनी आयात को मंजूरी
दी थी। पिछले हफ्ते भारत के केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री हरदीप सिंह
पुरी ने भी संसद में कहा था कि भारत, पाकिस्तान समेत सभी देशों के साथ सामान्य संबंधों की इच्छा रखता है, जिसमें व्यापारिक रिश्ते भी शामिल हैं।
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