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Monday, February 1, 2021

तेज संवृद्धि और आर्थिक सुधार

 


मेरी बात पढ़ने के पहले बीबीसी हिंदी की इस रिपोर्ट को पढ़ें:

पहले से सब जानते थे कि ये इस सदी का अनोखा बजट होगा। संकट से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था को इस बजट से ढेरों उम्मीदें थीं। सवाल थे कि आर्थिक गतिविधियों को एक बार फिर पटरी पर कैसे लाया जाएगा? संसाधनों और जीडीपी कम होने को देखते हुए और राजकोषीय घाटे के बीच संतुलन बनाकर कैसे कोई बोल्ड कदम लिया जाएगा? ज़्यादातर अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि ये एक बोल्ड बजट होना चाहिए, खपत पर ख़ास तौर से ध्यान होना चाहिए, खर्च पर विशेष ध्यान होना चाहिए और ज़्यादा से ज़्यादा पैसों का आवंटन किया जाए, चाहे उसके लिए कर्ज़ या घाटे की सीमा का उल्लंघन करना पड़े। उन्हें ये भी अपेक्षा थी कि रोज़गार बढ़ाने के लिए और अर्थव्यवस्था को तेज़ गति देने के लिए सरकार को एक साहसिक कदम लेना पड़ेगा। इस परिप्रेक्ष्य में इस बजट को देखा जा रहा था और वित्त मंत्री ने उसी के अनुसार सोमवार को ये बजट पेश किया। बीबीसी हिंदी में पढ़ें यह रिपोर्ट विस्तार से

 निर्मला सीतारमन के बजट में दो बातें साफ दिखाई पड़ रही हैं। पहली, तेज संवृद्धि का इरादा और दूसरे आर्थिक सुधारों की दिशा में तेज कदम। इन फैसलों का क्रियान्वयन कैसा होता है और देश की राजनीति और उद्योग-व्यापार इन्हें किस रूप में लेते हैं, यह भी देखना होगा।

खर्चों की भरमार

वर्ष 2020-21 के बजट में जहाँ पूँजीगत व्यय (कैपेक्स एक्सपेंडिचर) 4.12 लाख करोड़ रुपये था, वहीं इसबार वह 5.54 लाख करोड़ रुपये है, जो इस बजट का 15.91 प्रतिशत है। पिछले साल के बजट में यह परिव्यय बजट का 13.55 प्रतिशत था। पूँजीगत परिव्यय का मतलब होता है, वह धनराशि जो भविष्य में इस्तेमाल के लिए परिसम्पदा के निर्माण पर खर्च होती है। जैसे कि सड़कें और अस्पताल वगैरह। राजस्व परिव्यय में सूद चुकाना, कर्मचारियों का वेतन देना और इसी प्रकार के भुगतान जो सरकार करती है। हाल के वर्षों में सरकार का पूँजीगत व्यय कम होता जा रहा था। सन 2004-05 के बजट में यह 19.3 फीसदी की ऊँचाई तक जा पहुँचा था। सन 2019-20 में यह न्यूनतम स्तर 12.11 प्रतिशत पर पहुँच गया था। इस बजट के पहले का उच्चतम स्तर 2007-08 के बजट में 18.02 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि इस साल इंफ्रास्ट्रक्चर तथा निर्माण कार्यों पर भारी परिव्यय होगा। 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.5% रहने का अनुमान है। वित्तमंत्री के अनुसार 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8% रहने का अनुमान है, जबकि 2025-26 तक राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.5% लाने का लक्ष्य है। पिछले बजट में इस साल का लक्ष्य 3.5 प्रतिशत का था, पर कोरोना के कारण सारे अनुमान गलत साबित हुए। इतने भारी राजकोषीय घाटे के बावजूद भारी खर्च का जोखिम मोल लेना साहस की बात है और इसका दीर्घकालीन लाभ इस साल देखने को मिलेगा।

आर्थिक सुधार

पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि वित्तमंत्री का बजट भाषण खत्म होते-होते देश का शेयर बाजार धड़ाम से गिरने लगता है। इस बार ऐसा नहीं हुआ, बल्कि उसमें जबर्दस्त उछाल आया। किसी वित्तमंत्री ने निजीकरण की बात बहुत खुलकर कही है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों में एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49% से बढ़ाकर 74% करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के शेयर बाज़ार में उतारे जाने की घोषणा की। साल 2021-22 में जीवन बीमा निगम का आईपीओ लेकर आएँगे, जिसके लिए इसी सत्र में ज़रूरी संशोधन किए जा रहे हैं। राज्य सरकारों के उपक्रमों के विनिवेश की अनुमति दी जाएगी।

लंबे समय से घाटे में चल रही कई सरकारी कंपनियों का निजीकरण होगा। इनमें बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड), एयर इंडिया, आईडीबीआई, एससीआई (शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), सीसीआई (कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), बीईएमएल और पवन हंस के निजीकरण की घोषणा की गई है। अगले दो वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की बात भी है ताकि राजस्व बढ़ाया जा सके। इन सभी कंपनियों के विनिवेश की प्रक्रिया साल 2022 तक पूरी कर ली जाएगी।

सीतारमण ने कहा, बेकार एसेट्स आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान नहीं करते हैं। मेरा अनुमान है कि विनिवेश से साल 2021-22 तक हमें 1.75 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे। घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों के विनिवेश से उन्हें घाटे से तो उबारा ही जा सकेगा, साथ ही रेवेन्यू भी बढ़ाया जा सकेगा। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारें लगभग हर बजट में विनिवेश का ऐलान ज़रूर करती हैं, लेकिन ज़रूरी नहीं कि बेचने में कामयाब हो ही जाए। एयर इंडिया इसका ताज़ा उदाहरण है।

 

लोक-लुभावन नहीं, संवृद्धि

वित्तमंत्री ने न तो आयकर की दरों में कमी की और मानक कटौती की सीमा बढ़ाई। उन्होंने मध्यवर्ग को कोई राहत देने का प्रयास नहीं किया।


स्वास्थ्य की चिंता

कोविड-19 का असर है या सरकारी समझ में बदलाव आया है, इस साल

के बजट में स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान दिया गया है। सन 2020-21 में स्वास्थ्य के मद में 94,452 करोड़ रुपये का परिव्यय था, जो इस साल 137 प्रतिशत बढ़कर 2,23,846 करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है और कहा है कि भविष्य में और पैसा इस मद में दिया जा सकता है।  

 

बैंकिंग सुधार

लंबे अरसे की सुस्ती के बाद सरकार ने बैंकों की बदहाली से निपटने के लिए एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी बनाने का फैसला किया है, जो बैंकों के डूब रहे कर्जों का काम अपने हाथों में लेगी और बैंकों को अपने पैरों पर खड़ा होने की स्वतंत्र कोशिश करने का अवसर देगी।

 

विकास वित्त संस्थान

सरकार 20000 करोड़ रुपये की पूंजी से एक विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) स्थापित करेगी। दीर्घकालिक कर्ज देने वाला यह नया वित्तीय संस्थान राष्ट्रीय अवसंरचना विकास कार्यक्रम के लिए 2025 तक अनुमानित 111 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय जरूरतों को देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। वित्तमंत्री ने कहा कि पेशेवरों द्वारा संचालित डीएफआई का गठन किया जाएगा जो अवसंरचना परियोजनाओं के लिए कर्ज प्रदान करने के साथ दूसरी संस्थाओं को भी इसके लिए प्रेरित करेगा। वित्तमंत्री ने 2019-20 के बजट भाषण में अवसंरचना वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए डीएफआई की स्थापना के संबंध में अध्ययन का प्रस्ताव भी रखा था। राष्ट्रीय अवसंरचना विकास कार्यक्रम एनआईपी (नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन) के लिए करीब 7000 परियोजनाएं चिह्नित की गई हैं, जिनमें 2020 से 2025 के बीच 111 लाख करोड़ रुपये निवेश की योजना है। पिछले साल जनवरी में घोषित एनआईपी एक अनूठी पहल है जिसके तहत देश भर में विश्व स्तरीय आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा जिससे सभी नागरिकों की जीवनशैली सुधरेगी। यह 2025 वित्त वर्ष तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य पाने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण है।


सरकारी परिसम्‍पत्तियों का मुद्रीकरण

देश के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), रेलवे, एयरपोर्ट, पावर ग्रिड (पीजीसीआईएल), भंडारागार, खेल स्टेडियमों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों की परिसम्पदा का हिसाब भी अभी देश में नहीं है। वित्तमंत्री ने संभावित मौजूदा अवसंरचना परिसंपत्तियों की एक ‘राष्‍ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ लॉन्च करने की घोषणा की। इस दिशा में हो रही प्रगति पर करीबी नजर रखने और निवेशकों को इससे अवगत कराने के लिए एक परिसंपत्ति मुद्रीकरण डैशबोर्ड भी बनाया जाएगा। मुद्रीकरण की दिशा में कुछ महत्‍वपूर्ण उपायों का उल्लेख नीचे किया गया है:

क.

 क. भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पीजीसीआईएल ने एक-एक इनविट (इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट) को प्रायोजित किया है, जो विदेशी एवं घरेलू संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करेंगे। 5000 करोड़ रुपये के अनुमानित उद्यम मूल्य वाली 5 चालू सड़कों को एनएचएआई-इनविट को हस्तांतरित किया जा रहा है। इसी तरह 7000 करोड़ रुपये मूल्य की पारेषण परिसंपत्तियों को पीजीसीआईएल-इनविट को हस्तांतरित किया जाएगा।

ख. रेलवे समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का इस्तेमाल शुरू करने के बाद परिचालन एवं रख-रखाव के लिए इसकी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करेगी।

ग.  परिचालन एवं प्रबंधन संबंधी रियायत के लिए हवाई अड्डों के अगले समूह का मुद्रीकरण किया जाएगा।

घ.   परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम के तहत अमल में लाई जाने वाली अन्‍य प्रमुख अवसंरचना परिसंपत्तियां ये हैं : (i) एनएचएआई द्वारा चालू की जा चुकी टोल रोड (ii) पीजीसीआईएल की पारेषण  परिसंपत्तियां (iii) गेल, आईओसीएल एवं एचपीसीएल की तेल व गैस पाइपलाइनें (iv) टियर-2 एवं टियर -3 शहरों में स्थित एएआई के हवाई अड्डे (v) रेलवे की अन्‍य अवसंरचना परिसंपत्तियां (vI) सीपीएसई जैसे कि केन्‍द्रीय भंडारण निगम, नैफेड इत्‍यादि की भंडारण परिसंपत्तियां, और (vii) खेल स्‍ट‍ेडियम।     

 

चुनाव पर निगाहें

वित्तमंत्री ने चार राज्यों की परियोजनाओं की घोषणाएं आने वाले समय के चुनावों को देखते हुए की हैं। चारों राजमार्ग परियोजनाएं हैं। ये हैं तमिलनाडु (3,500 किलोमीटर-लागत 1.03 लाख करोड़ रुपये), केरल (1,100 किलोमीटर-लागत 65,000 करोड़ रुपये), पश्चिम बंगाल (675 किलोमीटर-25,000 करोड़ रुपये) और असम (1,300 किलोमीटर-34,000 करोड़ रुपये)।

 

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