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Saturday, December 26, 2020

कांग्रेस पर चले शिवसेना के तीर

 मुंबई कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अशोक उर्फ ​​भाई जगताप ने रविवार 20 दिसंबर को संकेत दिया था कि पार्टी 2022 के मुंबई नगर निकाय चुनाव में सभी 227 सीटों पर लड़ेगी। इस प्रतिक्रिया का असर है कि शिवसेना ने यूपीए अध्यक्ष को बदलने की मांग की है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में इशारों में कहा गया है कि यूपीए की कमान शरद पवार को सौंपी जानी चाहिए। वर्तमान में सोनिया गांधी यूपीए की अध्यक्ष हैं।

सामना में छपे संपादकीय में लिखा है कि सोनिया ने अब तक यूपीए अध्यक्ष की भूमिका बखूबी निभाई, लेकिन अब बदलाव करना होगा। दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों का साथ देने के लिए आगे आना होगा। संपादकीय में लिखा गया है कि कई विपक्षी दल हैं जो यूपीए में शामिल नहीं हैं। उन दलों को साथ लाना होगा। कांग्रेस का अलग अध्यक्ष कौन होगा, यह साफ नहीं है। राहुल गांधी किसानों के साथ खड़े हैं, लेकिन कहीं कुछ कमी लग रही है। ऐसे में शरद पवार जैसे सर्वमान्य नेता को आगे लाना होगा।

सामना में लिखा गया कि अभी जिस तरह की रणनीति विपक्ष ने अपनाई है, वह मोदी और शाह के आगे बेअसर है। सोनिया गांधी का साथ देने वाले मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल जैसे नेता अब नहीं रहे। इसलिए पवार को आगे लाना होगा।

दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन शुरू है। इस आंदोलन को लेकर दिल्ली के सत्ताधीश बेफिक्र हैं। सरकार की इस बेफिक्री का कारण देश का बिखरा हुआ और कमजोर विरोधी दल हैं। फिलहाल, लोकतंत्र में जो गिरावट आ रही है, उसके लिए भाजपा या मोदी-शाह की सरकार नहीं, बल्कि विरोधी दल सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। वर्तमान स्थिति में सरकार को दोष देने की बजाय विरोधियों को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है।

कांग्रेस के नेतृत्व में एक यूपीए नाम का राजनीतिक संगठन है। यूपीए की हालत NGO की तरह होती दिख रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को छोड़ दें तो ‘यूपीए’ की अन्य सहयोगी पार्टियों की कुछ हलचल नहीं दिखती। शरद पवार का एक स्वतंत्र व्यक्तित्व है, उनके अनुभव का लाभ प्रधानमंत्री मोदी से लेकर दूसरी पार्टियां भी लेती रहती हैं।

कांग्रेस जैसी ऐतिहासिक पार्टी का एक साल से ज्यादा समय से पूर्णकालिक अध्यक्ष भी नहीं है। सोनिया यूपीए की अध्यक्ष हैं और कांग्रेस का कार्यकारी नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल जैसे पुराने नेता अब नहीं रहे। ऐसे में कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा? यूपीए का भविष्य क्या है, इसको लेकर भ्रम बना हुआ है।

जब तक भाजपा विरोधी दल यूपीए में शामिल नहीं होंगे, विरोधी दल का बाण सरकार को भेद नहीं पाएगा। प्रियंका की दिल्ली की सड़क पर गिरफ्तारी होती है। राहुल गांधी का मजाक उड़ाया जाता है। ममता बनर्जी को फंसाया जाता है और महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार को काम नहीं करने दिया जाता। मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही गिराई है, यह राज भाजपा नेता ही खोलते हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? मरी हुई अवस्था का विरोधी पक्ष! देश के लिए यह तस्वीर अच्छी नहीं है। कांग्रेस नेतृत्व ने इस पर विचार नहीं किया तो आनेवाला समय सबके लिए कठिन होगा।

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