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Monday, November 30, 2020

ओआईसी के प्रस्ताव पर भारत की तीखी प्रतिक्रिया


बीबीसी हिंदी के अनुसार भारत ने इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में पास किए गए प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है। इस प्रस्ताव में कश्मीर का भी ज़िक्र किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ओआईसी में पास किए गए प्रस्ताव में भारत का संदर्भ तथ्यात्मक रूप से ग़लत, अकारण और अनुचित है। भारत ने इसे अनुचित करार देते हुए ओआईसी को देश के आंतरिक मसलों में दखल ना देने की सलाह दी है। हमने हमेशा से यह उम्मीद की है कि इस्लामिक सहयोग संगठन का भारत के आंतरिक मसलों को लेकर कोई स्टैंड नहीं है। इसमें जम्मू कश्मीर का मसला भी शामिल है जो भारत का अभिन्न हिस्सा है।

भारत ने कहा है कि ओआईसी अब भी एक ऐसे देश के बहकावे में आकर भारत विरोधी प्रचार में शामिल हो रहा है, जिसका धार्मिक असहिष्णुता, कट्टरपंथ और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को लेकर एक घृणित रिकॉर्ड है। नाइजर की राजधानी नियामे में 27-28 नवंबर को ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों के 47वें सम्मेलन (सीएफ़एम) में कश्मीर के उल्लेख से दो बातें साबित हुईं। एक, इस्लामिक देश आसानी से कश्मीर से मुँह मोड़ नहीं पाएंगे, भले ही वे ऐसा चाहते हों। दूसरे, कश्मीर मामले को, संयुक्त राष्ट्र में उठाने में पाकिस्तान भले ही विफल रहा हो, पर ओआईसी का समर्थन पाने में कामयाब है।

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार ओआईसी ने भारत से कहा है कि वह कश्मीर में अपनी कार्रवाइयाँ रोके। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक़, ओआईसी ने भारत के 5 अगस्त 2019 के फ़ैसले को एकपक्षीय व ग़ैर क़ानूनी क़रार देते हुए रद्द कर दिया और प्रस्ताव के ज़रिए भारत से मांग की कि वह ग़ैर कश्मीरियों के नाम जारी डोमिसाइल सर्टिफ़िकेट को रद्द करे और दूसरी ग़ैर क़ानूनी कार्यवाही रोके। भारत ऐसा कोई काम न करे जिससे कश्मीर में आबादी का अनुपात बदले।

पाकिस्तान के वरिष्ठ डिप्लोमैट अब्दुल बसीत के अनुसार नियामे घोषणापत्र में केवल एक पैराग्राफ में कश्मीर का रस्मी तौर पर जिक्र है। उसे पाकिस्तान अपनी विजय मान सकता है। बाकी जिन प्रस्तावों की बात कही जा रही है, वे सैकड़ों की तादाद में पास होते रहते हैं। 

इससे पहले ओआईसी के कश्मीर कांटैक्ट ग्रुप की जून में हुई बैठक में भी भारत की आलोचना की गई थी। उसे पाकिस्तान की बड़ी सफलता नहीं माना गया, पर नियामे सम्मेलन को पाकिस्तान सरकार, कम से कम अपने देश में,  उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। हालांकि सम्मेलन के प्रस्ताव में केवल एक रस्मी पैराग्राफ इस सिलसिले में है, पर पाकिस्तान में उसे लेकर काफी उत्साह का माहौल है। ओआईसी विदेश मंत्रियों का 2021 में सम्मेलन पाकिस्तान में होगा। उसमें पाकिस्तान इस विषय को बेहतर तरीके से उठाने की उम्मीद रखता है। इस्लामिक देशों के बीच भी गोलबंदी हो रही है। एक साल बाद की स्थितियों के बारे में अभी कुछ कहना कठिन है।

हाल के वर्षों में ओआईसी के साथ भारत के रिश्तों में सुधार हुआ है। पिछले साल ओआईसी विदेश मंत्रियों को 1-2 मार्च को अबू धाबी में हुए सम्मेलन में तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी बुलाया गया, जिसपर नाराज होकर पाकिस्तान ने उस सम्मेलन का बहिष्कार किया था।

पृष्ठभूमि: ओआईसी और भारत 

पाकिस्तानी डिप्लोमैट अब्दुल बसीत का वीडियो देखें, जिसमें उन्होंने पाकिस्तानी दृष्टिकोण को पेश किया है


 

 

 

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