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Thursday, October 29, 2020

कश्मीर की आड़ में इमरान

पाकिस्तानी साप्ताहिक फ्राइडे टाइम्स से साभार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार 27 अक्तूबर को कहा कि हम भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, बशर्ते
कश्मीरियों का उत्पीड़न रोका जाए और समस्या का समाधान हो। उन्होंने यह बात कश्मीर के काले दिन के मौके पर एक वीडियो संदेश में कही। कश्मीर का यह कथित काल दिन पाकिस्तानी दृष्टिकोण से काला है, क्योंकि इस दिन 1947 में महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।

भारत ने इस साल पहली बार 22 अक्तूबर को काल दिन मनाया था, जिस दिन 1947 में पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर पर हमला किया था। इमरान खान ने अपने संदेश में शांति के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र की समृद्धि के लिए शांति आवश्यक है। इमरान खान ने पिछले ढाई साल में न जाने कितनी बार बातचीत की पेशकश की है, साथ ही यह भी कहा है कि हम तो बातचीत करना नहीं चाहते।

हाल में उनके सलाहकार मोईद युसुफ करने थापर के साथ इंटरव्यू में बताकर गए हैं कि भारत ने बातचीत की पेशकश की है, पर हमने मना कर दिया है। उसके बाद उनके विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि हम भारत से बात करना नहीं चाहते। इन बातों के जवाब में भारत ने कहा कि हमने बातचीत की  कोई पेशकश नहीं की है। ये सारी बातें आपकी कल्पना की उपज हैं।

सच यह है कि इमरान खान विरोधी दलों के आंदोलन के कारण परेशान हैं और कभी भारत, कभी फ्रांस और कभी आर्मेनिया के नाम पर बयान जारी करते रहते हैं। कश्मीर क कथित काले दिन का इस्तेमाल भी वे अपने बचाव के लिए कर रहे हैं। कश्मीर के हालात लगातार सुधरते जा रहे हैं।

कश्मीर के हालात

जिन्हें लगता था कि राज्य में अराजकता पैदा हो जाएगी, उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई हैं। बेशक वहाँ सुरक्षा बलों की तैनाती है, पर ऐसा कोई नहीं कह सकता कि वहाँ अमन-चैन है। किसी न किसी स्तर पर पाकिस्तान-परस्त ताकतें सक्रिय हैं, जिनपर काबू पाने का काम तो करना ही होगा। इस बीच सरकार ने कानूनों में सुधार करके कश्मीर में बाहरी लोगों को जमीन खरीदने का अधिकार दे दिया है। ऐसा लगता नहीं कि इस बदलाव से कोई तूफान आया हो।

राज्य में राजनीतिक गतिविधियाँ शुरू हो गई हैं। विरोधी दलों ने गुपकार गठबंधन बनाया है। भारतीय संविधान के दायरे में होने वाली यह राजनीति स्वस्थ है। संभव है कि जल्द ही राज्य में चुनाव की घोषणा हो। पर पहले चुनाव स्थानीय स्तर पर होंगे। अभी लगता नहीं कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश की जगह पूर्ण राज्य बनाया जाएगा। इसका बड़ा कारण कानून-व्यवस्था और पुलिस है।

समस्या है पाकिस्तान

कश्मीर की आंतरिक राजनीति से ज्यादा बड़ी समस्या पाकिस्तान है। अराजकता और आतंक जिस देश की घोषित रणनीति है, उसके सुधरने की क्या उम्मीद की जाए? पाकिस्तान कैसे सुधरेगा? हम जिन्हें आतंकवादी कहते हैं, उन्हें वह राष्ट्रनायक कहता है। अलबत्ता अपनी गतिविधियों के कारण वह चारों तरफ से घिरने लगा है। एफएटीएफ की कार्रवाई के अलावा इसके कुछ और उदाहरण भी सामने हैं।

जम्मू कश्मीर पर पाक हमले की 73 वीं वर्षगांठ पर यूरोपीय संघ के सदस्यों ने ईयू और फ्रांस से आग्रह किया है कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। यूरोपियन सांसदों कहना है कि पाकिस्तान ने अपनी स्थापना के साथ ही  आतंकवाद को पनाह देने की नीति को अपना रखा है। अब उसपर कड़े प्रतिबंध लगने चाहिए। यूरोपियन यूनियन के सांसद रिसजार्ड जारनेकी, फुलवियो मार्सिलो और गियाना गार्सिया ने पत्र लिखकर कहा है कि दुनिया अब निरीह लोगों ही हत्याओं को बर्दाश्त नहीं कर सकती। ये हरकतें पाकिस्तान की जमीन से हो रही हैं।

यह पत्र फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डी लेयेन को भेजा गया है। ईयू के इन सदस्यों ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क पर हुए हमले का उत्सव पाकिस्तान में मनाया गया था। उस हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को आखिरकार पाकिस्तान में ही शरण मिली थी। इस साल 25 मई को इमरान खान ने पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेम्बली में ओसामा बिन लादेन को शहीद घोषित किया।

पत्र में लिखा गया है कि 1947 में पाकिस्तानी सेना ने हमले की रूपरेखा तैयार की थी। इस हमले पर कबायली आवरण इसलिए चढ़ाया गया था ताकि दुनिया पाकिस्तान सरकार के क्रूर चेहरे को देख न पाए। उस हमले के दौरान 35,000 कश्मीरी मुस्लिम, हिंदू और सिख नागरिकों का नरसंहार किया गया और हजारों महिलाएं और बच्चों का बलात्कार किया गया और मार डाला गया।

इसी पत्र में पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में किए गए नरसंहार का भी उल्लेख किया गया। पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश में 300,000 से 30,00,000 के बीच लोगों की हत्या की थी और 2,00,000 से 4,00,000 महिलाओं का बलात्कार किया था। पत्र में कहा गया कि बांग्लादेश अभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नरसंहार के लिए इंसाफ का इंतजार कर रहा है।

सबसे काला दिन

हाल में यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज ने अपनी एक टिप्पणी  में 22 अक्तूबर को जम्मू कश्मीर के इतिहास का सबसे काला दिन बताया था। पिछले साल अगस्त में भारत में अनुच्छेद 370 की वापसी के बाद 18 सितंबर को यूरोपियन संसद की बैठक में कश्मीर की स्थिति पर जब विचार हो रहा था, तब पोलैंड के प्रतिनिधि ज़ार्नेकी ने कहा कि भारत दुनिया का महानतम लोकतांत्रिक देश हैं। ऐसे देश की शांति को आतंकवादी भंग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ये आतंकवादी चंद्रमा से नहीं आते हैं, बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान से आते हैं। इटली के सदस्य मार्तुसिएलो ने कहा कि पाकिस्तान ने एटम बम की धमकी दी है, जो हमारी चिंता का विषय है। पाकिस्तानी आतंकवादी यूरोप पर हमलों की साजिशें भी करते रहते हैं।

एक तरफ दुनिया भर में पाकिस्तानी आतंकवाद की खबरें हैं, दूसरी तरफ यह देश खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश घोषित करना चाहता है। पाकिस्तान के बलोच, पश्तून और सिंध नागरिक अत्याचारों से पीड़ित हैं। इनके अलावा हिंदू, अहमदिया और शिया अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों की खबरें भी आए दिन मिलती रहती हैं।

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