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Friday, October 23, 2020

रॉ चीफ की काठमांडू यात्रा को लेकर नेपाल में चिमगोइयाँ

भारत के थल सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे की अगले महीने होने वाली नेपाल यात्रा के पहले रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख सामंत गोयल की काठमांडू यात्रा को लेकर नेपाली मीडिया में कई तरह की चर्चाएं हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से भी मुलाकात की है, जिसे लेकर तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनकी अपनी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने आलोचना की है। आलोचना इस बात को लेकर नहीं है कि उन्होंने रॉ चीफ से मुलाकात की, बल्कि इसलिए है कि इस मुलाकात की जानकारी उन्हें नहीं दी गई।

रॉ चीफ की इस यात्रा के बारे में न तो नेपाल सरकार ने कोई विवरण दिया है और न भारत सरकार ने। पिछले दिनों जब खबर आई थी कि भारत के सेनाध्यक्ष नेपाल जाएंगे, तब ऐसा लगा था कि दोनों देशों के रिश्तों में जो ठहराव आ गया है, उसे दूर करने के प्रयास हो रहे हैं। रॉ के चीफ की यात्रा उसकी तैयारी के सिलसिले में ही है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री ओली ने अपनी कैबिनेट में जब एक छोटा सा बदलाव किया, तब इस बात का संकेत मिला था कि भारत के साथ रिश्तों में भी बदलाव आ रहा है। देश के रक्षामंत्री ईश्वर पोखरेल को उनके पद से हटाकर नेपाल ने रिश्तों की कड़वाहट को दूर करने का इशारा किया था। पिछले कुछ महीनों में भारत को लेकर पोखरेल ने बहुत कड़वी बातें कही थीं।

बहरहाल सामंत गोयल की प्रधानमंत्री से मुलाकात को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल, झालानाथ खनाल, माधव कुमार नेपाल और पूर्व उप प्रधानमंत्री भीम बहादुर रावल तथा नारायण काजी श्रेष्ठ ने अलग-अलग बैठकें कीं और कुछ ने सोशल मीडिया पर आलोचना भी की। इनमें से ज्यादातर का कहना था कि सरकार उस मुलाकात का विवरण सार्वजनिक करे। यह मुलाकात गत बुधवार 21 अक्तूबर को दो घंटे से ज्यादा यानी मध्य रात्रि तक चली थी।

सामंत गोयल और नौ सदस्यों की उनकी टीम एक विशेष फ्लाइट से काठमांडू आई थी। बताया जाता है कि उनकी मुलाकात विरोधी दल के नेता शेर बहादुर देउबा, पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई और मधेस नेता महंत ठाकुर के साथ अलग-अलग हुई। यह टीम नेपाल में 24 घंटे तक रही। इस बैठक के दौरान ओली अकेले थे और सामंत गोयल के साथ दो अधिकारी और थे। प्रधानमंत्री ओली के अपनी ही पार्टी में सबसे प्रमुख प्रतिस्पर्धी पुष्प दहल कमल प्रचंड का कहना है कि पार्टी और मंत्रालय को अंधेरे में रखकर हुई इस मुलाकात का स्पष्टीकरण होना चाहिए। उधर प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने कहा कि यह औपचारिक मुलाकात थी। सामंत गोयल ने दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने और समस्याओं का समाधान बातचीत से निकालने के सिलसिले में विचार-विमर्श किया।

नेपाली वैबसाइट काठमांडू पोस्ट के अनुसार कयास लगाए जा रहे हैं कि नेपाल के सेनाध्यक्ष भी तत्कालीन रक्षामंत्री पोखरेल के कुछ वक्तव्यों को लेकर खुश नहीं हैं। उन्होंने भारत के सेनाध्यक्ष के उस बयान की आलोचना की थी जिसमें जनरल नरवणे ने कहा था कि भारत के खिलाफ नेपाल का रवैया चीन के इशारे पर बदला है। बहरहाल ओली ने उन्हें हटाकर रक्षा मंत्रालय खुद अपने हाथ में ले लिया है। इस फेरबदल को लेकर प्रचंड ने अपना असंतोष व्यक्त किया है। ओली के साथ प्रचंड पार्टी के संयुक्त अध्यक्ष भी हैं। पार्टी के भीतर टकराव कई महीनों से चल रहा है। इधर करनाली की प्रांतीय असेंबली में मुख्यमंत्री महेंद्र बहादुर शाही के विरुद्ध आधा दर्जन सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। शाही को हटाने की मुहिम में 15 सदस्य कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हैं। इनमें कम से कम आठ ओली गुट के बताए जाते हैं।

काठमांडू पोस्ट के अनुसार ओली के प्रधानमंत्रित्व में सामंत गोयल की यह पहली नेपाल यात्रा नहीं है। पिछले साल जुलाई में वे नेपाल के राष्ट्रीय इंटेलिजेंस विभाग के निमंत्रण पर भी काठमांडू आए थे। अलबत्ता पर्यवेक्षकों को इस बात पर आश्चर्य है कि नेपाल से रिश्ते सुधारने के लिए भारत ने अपने इंटेलिजेंस चीफ को क्यों भेजा? इस यात्रा के बारे में नेपाल के विदेश मंत्रालय ने अपनी अनभिज्ञता प्रकट की है, बावजूद इसके कि काठमांडू में भारतीय वायुसेना के विमान को उतरने की इजाजत इसी मंत्रालय ने दी थी। दोनों देशों के बीच अभी फ्लाइट बंद हैं। भारत ने विमान सेवाएं फिर से शुरू करने का निवेदन किया है, पर ओली सरकार ने इसपर कोई जवाब दिया नहीं है।

 

 

1 comment:

  1. चिमगोइयाँ नया शब्द सीखा।

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