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Saturday, January 3, 2015

भारत सौर ऊर्जा पर 100 अरब डॉलर खर्च करेगा

राजस्थान में जयपुर के पास सांभर झील के निकट प्रस्तावित विश्व का सबसे
 बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट
रायटर्स की खबर के मुताबिक भारत सरकार ने अगले सात साल में सौर ऊर्जा पर 100 अरब डॉलर के निवेश की योजना बनाई है। लक्ष्य है सौर ऊर्जा की क्षमता एक लाख मेगावाट करना। भारत में सात लाख से 21 लाख मेगावॉट तक सौर बिजली बनाने लायक यानी यूरोपीय देशों के मुकाबले दुगनी धूप उपलब्ध है। हैंडबुक ऑन सोलर रेडिएशन ओवर इंडिया के अनुसार, भारत के अधिकांश भाग में एक वर्ष में 250-300 धूप निकलने वाले दिनों सहित प्रतिदिन प्रति वर्गमीटर 4-7 किलोवाट घंटे का सौर विकिरण प्राप्त होता है। राजस्थान और गुजरात में प्राप्त सौर विकिरण उड़ीसा में प्राप्त विकिरण की अपेक्षा ज्यादा है। देश में 30-50 मेगावाट/ प्रतिवर्ग किलोमीटर छायारहित खुला क्षेत्र होने के बावजूद उपलब्‍ध क्षमता की तुलना में देश में सौर ऊर्जा का दोहन काफी कम है (जो 31-5-2014 की स्थिति के अनुसार 2647 मेगावाट है)। यूपीए सरकार ने सन 2009 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन योजना की शुरुआत की थी। यह जलवायु परिवर्तन पर राष्‍ट्रीय कार्य योजना के एक हिस्‍से के रूप में थी। इस मिशन का लक्ष्य 2022 तक 20 हजार मेगावाट क्षमता वाली ग्रिड से जोड़ी जा सकने वाली सौर बिजली की स्‍थापना और 2 हजार मेगावाट के समतुल्‍य गैर-ग्रिड सौर संचालन के लिए नीतिगत कार्य योजना का विकास करना है। इसमें सौर तापीय तथा प्रकाशवोल्टीय दोनों तकनीकों के प्रयोग का अनुमोदन किया गया। इस मिशन का उद्देश्‍य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश को वैश्विक नेता के रूप में स्‍थापित करना है।

इस दिशा में जो महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है उसे देखते हुए भारत सौर ऊर्जा के मामले में दुनिया के ज्यादातर देशों से आगे जाना चाहता है। खासतौर से हमें जर्मनी से प्रेरणा मिल रही है, जिसने अपना परमाणु ऊर्जा का कार्यक्रम पूरी तरह समाप्त करने का ऐलान किया है। हाल में हरियाणा सरकार ने बड़े प्लॉटों और मॉल में सौर बिजली संयंत्र लगाना अनिवार्य कर दिया है। पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकारों ने इस मामले में पहल की है। पिछले साल मध्य प्रदेश के नीमच की जावद तहसील के भगवानपुरा (डिकेन) में शुरू हुआ सौर एनर्जी प्लांट एशिया का सबसे बड़ा सौर एनर्जी प्लांट बताया जाता है। इस सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना का शुभारंभ 26 फरवरी 2014 को हुआ था। इसी तरह राजस्थान में सांभर झील इलाके में दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट लगाया जा रहा है।

सौर ऊर्जा संयंत्र महंगे होते हैं, पर भारत सरकार को लगता है कि जब बड़े स्तर पर उन्हें लगाया जाएगा तो एक समय के बाद वे सस्ते पड़ेंगे। अनुमान है कि इतने बड़े स्तर पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाने से तीन साल के भीतर ताप बिजलीघरों के मुकाबले उनकी लागत का अंतर खत्म हो जाएगा। उनसे उत्पादित बिजली की लागत कम होगी और यह बिजली पर्यावरण-मित्र भी होगी। रायटर की खबर के अनुसार Solar energy in India costs up to 50 percent more than power from sources like coal. But the government expects the rising efficiency and falling cost of solar panels, cheaper capital and increasing thermal tariffs to close the gap within three years.,,,Foreign companies say they are enthused by Modi's personal interest, but red tape is still an issue. "The policy framework needs to be improved vastly. Documentation is cumbersome. Land acquisition is time-consuming. Securing debt funding in India and financial closures is a tough task," said Canadian Solar's Vinay Shetty, country manager for the Indian sub-continent.

पूरी खबर पढ़ें रायटर्स की वैबसाइट पर





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