यह तस्वीर रुक्सा खातून की है। इस साल 12 जनवरी को भारत ने पोलियो की बीमारी से मुक्ति के दो साल पूरे कर लिए। हाल में खबर आई थी कि देश में पोलियो की आखिरी शिकार रुक्सा खातून नाम की छोटी सी लड़की को पैरों में सर्जरी की ज़रूरत है। पोलियों के कारण उसके दोनों पैर बराबर नहीं हैं। कुछ साल पहले तक पोलियो एक भयानक बीमारी थी। पल्स पोलियो अभियान केवल टीकाकरण के लिहाज से ही नहीं मानवीय प्रश्नों पर संचार माध्यमों के इस्तेमाल के लिहाज से दुनिया के सफलतम कार्यक्रमों में से एक है। पोलियो के टीके का विरोध भी हुआ, कोल्ड चेन से लेकर गाँव-गाँव जाने की दिक्कतें भी सामने आईं, पर भारत ने इसे सफल बनाकर दिखाया। दो साल पहले तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत और नाइजीरिया अंग्रेजी में अपने नाम के पहले अक्षरों के आधार पर 'पेन'(PAIN) देश कहलाते थे। भारत का नाम इनमें से हट गया है। शेष देशों का नाम भी हट जाएगा। जब हम निश्चय करके एक बीमारी को खत्म कर सकते हैं तो क्या अपनी तमाम बीमारियों को, शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक, खत्म नही कर सकते? कर सकते हैं। ज़रूर कर सकते हैं। नीचे कुछ जानकारियाँ देखें और विचार करें।
भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अन्य सभी 192 सदस्य देशों के साथ 1988 में वैश्विक पोलियो उन्मूलन का लक्ष्य पूरा करने के लिए वचनबद्ध है। वर्ष 1995 से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय पोलियो वायरस को समाप्त करने की सघन टीकाकरण और निगरानी गतिविधियों का आयोजन करता है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का प्रयास एक वरदान सिद्ध हुआ है। सरकार को तकनीकी और रसद संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए 1997 में राष्ट्रीय पोलियो निगरानी परियोजना आरंभ की गई और अब यह राज्य सरकारों के साथ नजदीकी से कार्य करती है और देश में पोलियो उन्मूलन का लक्ष्य पूरा करने के लिए भागीदारी एजेंसियों की एक बड़ी श्रृंखला इसमें संलग्न है। डब्ल्यूएचओ के समर्थन के साथ सरकार के नेतृत्व में रोटरी इंटरनेशनल, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रीवेंशन तथा यूनिसेफ की भागीदारी है। बिल एण्ड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन महत्वपूर्ण निधिकरण भागीदारों में से एक है।
पोलियो : कुछ तथ्य
- 2011 में मामले : 1 (13 जनवरी 2011 में अंतिम मामला)
- 2010 : में 42 मामले
- 2009 : में 741 मामले
- 1991 : में 6,028 मामले
- 1985 : में 150,000 मामले
पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान भारत ने डब्ल्यूएचओ वैश्विक पोलियो उन्मूलन प्रयास के परिणाम स्वरूप 1995 में पल्स पोलियो टीकाकरण (पीपीआई) कार्यक्रमआरंभ किया। इस कार्यक्रम के तहत 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को पोलियो समाप्त होने तक हर वर्ष दिसम्बर और जनवरी माह में ओरल पोलियो टीके (ओपीवी) की दो खुराकें दी जाती हैं। यह अभियान सफल सिद्ध हुआ है और भारत में पोलियो माइलिटिस की दर में काफी कमी आई है।पीपीआई की शुरुआत ओपीवी के तहत शत प्रतिशत कवरेज प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई थी। इसका लक्ष्य उन्नत सामाजिक प्रेरण, उन क्षेत्रों में मॉप अप प्रचालनों की योजना बनाकर उन बच्चों तक पहुंचना है जहां पोलियो वायरस लगभग गायब हो चुका है और यहां जनता के बीच उच्च मनोबल बनाए रखना है।2009 के दौरान हाल ही में भारत में विश्व के पोलियो के मामलों का उच्चतम भार (741) था।, यहां तीन अन्य महामारियों से पीडित देशों की संख्या से अधिक मामले थे। यह टीका बच्चों तक पहुंचाने के असाधारण उपाय अपनाने से भारत में पश्चिम बंगाल राज्य की एक दो वर्षीय बालिका के अलावा कोई अन्य मामला नहीं देखा गया जिसे 13 जनवरी 2011 को लकवा हो गया था। आज भारत ने पोलियो के खिलाफ अपने संघर्ष में एक महत्वपूर्ण पड़ाव प्राप्त किया है, चूंकि अब पोलियो का अन्य कोई केन्द्र नहीं है। भारत में 13 जनवरी 2011 के बाद से सीवेज के नमूनों में न तो वन्य पोलियो वायरस और न ही अन्य पोलियो वायरस का मामला दर्ज किया गया है।इसकी असाधारण उपलब्धि लाखों टीका लगाने वालों, स्वयं सेवकों, सामाजिक प्रेरणादायी व्यक्तियों, अभिनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक नेताओं के साथ सरकार द्वारा लगाई गई ऊर्जा, समर्पण और कठोर प्रयास का परिणाम है। पोलियो उन्मूलन के प्रयास देश में सर्वाधिक मान्यता प्राप्त ब्रांड हैं, जिसमें फिल्म उद्योग के चर्चित सितारे जनता को संदेश देते हैं।- वन्य पोलियो वायरस के तीन प्रकारों में से एक – वन्य पोलियो वायरस प्रकार 2 (डब्ल्यूपीवी2) दुनिया भर से समाप्त कर दिया गया है। डब्ल्यूपीवी 2 का अंतिम मामला अक्तूबर, 1999 में अलीगढ़, भारत में देखा गया था।
- भारत में 1995 में पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरूआत की गई थी, जिस समय देश भर में 150,000 पोलियो के मामले प्रतिवर्ष रिपोर्ट किए जाते थे।
- उत्तर प्रदेश और बिहार के पोलियो से प्रभावित दो बड़े राज्यों से क्रमश: अप्रैल 2010 और सितम्बर 2010 से पोलियो के किसी मामले की रिपोर्ट नहीं की गई है।
- सर्वाधिक खतरनाक डब्ल्यूपीवी1 का फैलाव, जो 2006 तक भारत में पोलियो के 95 प्रतिशत मामलों का कारण है, 2010 में अत्यंत निम्न स्तर पर पहुंच गया। उत्तर प्रदेश, देश में पोलियो के सर्वाधिक मामलों का केन्द्र माना गया था, जहां से नवम्बर 2009 से डब्ल्यूपीवी1 के किसी मामले की रिपोर्ट नहीं की गई है।
पुनर्वाससामाजिक न्याय और अधिकारिकता मंत्रालय के नि:शक्तता प्रभाग द्वारा नि:शक्त व्यक्तियों के सशक्तीकरण की सुविधा दी जाती है। भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में नि:शक्त व्यक्तियों की पूर्ण प्रतिभागिता और समानता की घोषणा का हस्ताक्षरी भी है। यह समावेशी, बाधा मुक्त और अधिकार आधारित समाज के प्रति कार्रवाइयों हेतु बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क में सक्रिय रूप से भाग लेता है। भारत नि:शक्त व्यक्तियों के लिए अधिकारों के संरक्षण और प्रोत्साहन तथा सम्मान हेतु संयुक्त राष्ट्र अभिसमय का हस्ताक्षरी है।नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 को पारित करना राष्ट्र निर्माण में नि:शक्त व्यक्तियों के लिए समान अवसरों एवं अधिकारों की सुरक्षा तथा पूर्ण प्रतिभागिता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक कल्याण के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम था।पोलियो से प्रभावित देश 1988 से पोलियो के मामलों में 99% से अधिक की कमी आई है, जब महामारी से पीडित 125 देशों में इनकी संख्या 350 000 से कम होकर 2010 में 1349 बताई गई। 2011 में दुनिया के तीन देशों के कुछ हिस्से रोग से प्रभावित रहे - यह इतिहास का सबसे छोटा भौगोलिक क्षेत्र रहा और यहां वन्य प्रकार के पोलियो वायरस टाइप 3 के मामलों की संख्या अब तक के अल्पतम स्तर पर बताई गई है।समकालीन रूप से पोलियो केवल तीन देशों में महामारी बना हुआ है –अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान - जिसके साथ चार देशों में पोलियो वायरस के फैलने की शंका (अंगोला, चाड और कोंगो लोक तांत्रिका गणतंत्र) या जिसके दोबारा फैलने की शंका (सूडान) है। अन्य अनेक देशों में पोलियो वायरस के आने के कारण 2010 में इसका प्रकोप हुआ था।डब्ल्यूएचओ / यूनिसेफ की भूमिका1988 में 41वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में 166 सदस्य राष्ट्रों के शिष्ट मंडलों में पोलियो के विश्वव्यापी उन्मूलन के प्रस्ताव को पारित किया। इसमें वैश्विक पोलियो उन्मूलन प्रयास की शुरूआत के साथ डब्ल्यूएचओ, रोटरी इंटरनेशनल, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रीवेंशन (सीडीसी) और यूनाइटिड नेशन्स चिल्ड्रन्स फंड (यूनिसेफ) ने सक्रिय रूप से कार्य किया।इसके बाद 1980 में स्मॉल पॉक्स उन्मूलन का प्रमाणन आरंभ हुआ, 1980 के दौरान अमेरिका में पोलियो वायरस के उन्मूलन के दौरान प्रगति हुई तथा रोटरी इंटरनेशनल द्वारा रोग से सभी बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए धन की उगाही की गई।पोलियो मुक्त दुनिया वैश्विक पोलियो उन्मूलन प्रयास (जीपीईआई) यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी बच्चे को पोलियो के खतरनाक प्रभावों का सामना न करना पड़े। वर्ष 1988 में अपनी स्थापना के बाद से जीपीईआई ने पोलियो की वैश्विक दर को कम करने में 99% सफलता पाई।- अब पोलियो महामारी से पीडि़त देशों की संख्या 125 से घट कर केवल तीन, अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान तक सीमित रह गई है।
- अब सत्तर लाख लोग पोलियो उन्मूलन प्रयासों के परिणाम स्वरूप आज चल फिर सकते हैं और दुनिया के अधिकांश बच्चे अब पोलियो मुक्त स्थान पर निवास करते हैं।
- पोलियो उन्मूलन के परिणाम स्वरूप 40 -50 अमेरिकी डॉलर की अनुमानित बचत लगभग सभी विकासशील देशों में होगी।
आगे चुनौतियांवर्ष 2011 के दौरान दुनिया भर में पोलियो के मामलों की कुल संख्या में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई (3 जनवरी 2012 को 620), जो 2010 और 2009 से तुलना योग्य है। इस कमी का मुख्य कारण गैर महामारी वाले देशों में पोलियो के आक्रमण की संख्या और इसकी तीव्रता में कमी तथा भारत में हुई मजबूत प्रगति है।पोलियो अनेक देशों में अब भी एक खतरा बना हुआ है, खास तौर पर पाकिस्तान में। भारत का लक्ष्य पोलियो के दोबारा आने की रोकथाम के लिए उच्च गुणवत्ता के प्रयासों को बनाए रखना है और यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि सभी बच्चे इस खतरनाक रोग से सुरक्षित रहें। अब तक किए गए प्रशंसनीय प्रयासों के साथ भारत ने पोलियो की रोकथाम का एक सशक्त नेटवर्क बनाया है और अब इसे अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवाओं को समर्थन देने के लिए रोकने योग्य रोगों के लिए समान इस्तेमाल किया जा रहा है।
Meet India's last Polio Victim Ruksa Khatun हफिंगटन पोस्ट
How India fought Polio and won टाइम मैगज़ीन
धीरे धीरे सारे मामले समाप्त हो जायेंगे..
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