भारत-पाकिस्तान के बीच विश्व कप सेमी फाइनल मैच मुझे खेल के लिहाज से शानदार नहीं लगा। पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने सचिन के चार-चार कैच गिराए और उसकी सेंचुरी फिर भी नहीं बनी। शुरू में वीरेन्द्र सहवाग ने एक ओवर में पाँच चौके मारकर अच्छी शुरुआत की, पर चले वे भी नहीं। पूरे मैच में रोमांच स्टेडियम से ज्यादा घरों के ड्रॉइंग रूमों, रेस्तराओं और मीडिया दफ्तरों में ही था। इतना जरूर लगता है कि भारतीय मीडिया, खासतौर से हिन्दी मीडिया के पास युद्ध के अलावा दूसरा रूपक नहीं है।
बहरहाल आज मुझे अखबारों में ध्यान देने लायक जो लगा सो पेश है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के पहले सफे पर क्रिकेट की खबर का शीर्षक
Dropped catches, scratchy shots
and Misbah’s ‘Test innings’
blamed for defeat
Cricket mania evaporates
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आपने बिलकुल सही कहा हमारा मीडिया खास तौर पर भारत -पाक के मैचों की युद्ध से बेवजह तुलना करता है जिसकी कोई आवश्यकता नहीं है.आज 'हिन्दुस्तान' के सम्पादकीय में भी यही बात है.कितना अजीब और हास्यास्पद लगता है जब ऐसे मैचों की तुलना विश्वयुद्ध से कर दी जाती है.
ReplyDeleteखेल को सिर्फ खेल की तरह ही लिया जाना चाहिए.
सादर
आज तो हर भारतवासी को पूरी ताकत के साथ मुठ्ठियां हवा में लहराते हुए ये गाना गाना चाहिए...
ReplyDeleteहिमालय की चोटी पर चढ़ कर,
हमने ये ललकारा है,
दूर हटो, दूर हटो,
हटो हटो, ऐ श्रीलंका वालों,
वर्ल्ड कप हमारा है...
जय हिंद...
सही कहा
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