लखनऊ से श्री यशवंत माथुर ने मेरे पास एक लेख भेजा है ऑनलाइन वोटिंग पर। हालांकि हमारे देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान हो रहा है। उसे लेकर कुछ आपत्तियाँ भी हैं, पर उसका फायदा साफ देखने को मिला है।
ऑनलाइन वोटिंग का मतलब है इंटरनेट या किसी दूसरे ज़रिए से वोटिंग। इसमें दिक्कत कुछ भी नहीं है। इस तरीके का इस्तेमाल अब काफी हो रहा है। पिछले दिनों आपने दुनिया के सात आश्चर्यों के बारे में फैसला ऑनलाइन वोटिंग से होता देखा। भारत के रियलिटी शो एसएमएस से वोटिंग कराते हैं। हम इनकम टैक्स रिटर्न जब ऑनलाइन भर सकते हैं तब वोट देने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। असली दिक्कत हार्डवेयर की है। अभी न तो उतने नेट कनेक्शन हैं और न उतनी अच्छी ब्रॉडबैंड सेवाएं।
पहले चरण में तो सभी ईवीएम को आपस में जोड़ने की व्यवस्था हो जाय वही काफी होगा। उस स्थिति में मशीनों को गाँव-गाँव ढोकर नहीं ले जाना होगा। हर गाँव में स्थायी ई-केन्द्र बनाकर न सिर्फ वोट बल्कि तमाम दूसरे काम और दोतरफा सम्पर्क का काम भी किया जा सकता है। हाँ यह जानकारी देना बेहतर होगा कि करीब पाँच साल पहले एस्तोनिया ने ऑनलाइन वोटिंग शुरू की। यों अनेक देशों की संस्थाएं ऑनलाइन वोटिंग का सहारा ले रहीं हैं। खासतौर से छात्रसंघों की वोटिंग ऑनलाइन की जा सकती है।
बहरहाल माथुर जी का लेख एक ज़रूरी सवाल को उठाता है। पढ़े और ठीक समझें तो अपनी राय दें।
संदर्भ
ऑनलाइन वोटिंग का मतलब है इंटरनेट या किसी दूसरे ज़रिए से वोटिंग। इसमें दिक्कत कुछ भी नहीं है। इस तरीके का इस्तेमाल अब काफी हो रहा है। पिछले दिनों आपने दुनिया के सात आश्चर्यों के बारे में फैसला ऑनलाइन वोटिंग से होता देखा। भारत के रियलिटी शो एसएमएस से वोटिंग कराते हैं। हम इनकम टैक्स रिटर्न जब ऑनलाइन भर सकते हैं तब वोट देने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। असली दिक्कत हार्डवेयर की है। अभी न तो उतने नेट कनेक्शन हैं और न उतनी अच्छी ब्रॉडबैंड सेवाएं।
पहले चरण में तो सभी ईवीएम को आपस में जोड़ने की व्यवस्था हो जाय वही काफी होगा। उस स्थिति में मशीनों को गाँव-गाँव ढोकर नहीं ले जाना होगा। हर गाँव में स्थायी ई-केन्द्र बनाकर न सिर्फ वोट बल्कि तमाम दूसरे काम और दोतरफा सम्पर्क का काम भी किया जा सकता है। हाँ यह जानकारी देना बेहतर होगा कि करीब पाँच साल पहले एस्तोनिया ने ऑनलाइन वोटिंग शुरू की। यों अनेक देशों की संस्थाएं ऑनलाइन वोटिंग का सहारा ले रहीं हैं। खासतौर से छात्रसंघों की वोटिंग ऑनलाइन की जा सकती है।
बहरहाल माथुर जी का लेख एक ज़रूरी सवाल को उठाता है। पढ़े और ठीक समझें तो अपनी राय दें।
चुनाव आयोग को एक सुझाव
यशवंत माथुर
अभी 17 फरवरी 2011 के ‘हिन्दुस्तान’ में सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित नवीन जिंदल जी के आलेख को पढ़ कर मेरे मन भी एक विचार आया जो मैं आप सब के साथ यहाँ साझा कर रहा हूँ.
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार भारत 8 करोड इंटरनेट कनेक्शंस के साथ विश्व में इंटरनेट का सर्वाधिक इस्तेमाल करने वाले देशों की सूची में चौथे नम्बर पर है.यह तो वो आँकडा है कि इतने लोगों के पास भारत में इंटरनेट कनेक्शंस हैं जबकि इंटरनेट प्रयोग करने वाले वास्तव में इससे कहीं ज्यादा हैं.
मेरा सुझाव है कि चुनावों की प्रक्रिया ऑनलाइन भी होनी चाहिए(अर्थात जनता के पास परम्परागत व ऑनलाइन दोनों ही विकल्पों से वोट देने का विकल्प होना चाहिए,इस हेतु दो तरह की मतदाता सूची रखनी होगी एक ऑनलाइन वोटर्स की और दूसरी पोलिंग बूथ पर जाकर वोट देने वालों की).
मेरे पास इसका पूरा खाका तैयार है.इस प्रक्रिया में हम उपलब्ध तकनीकी का ही सहारा लेकर और न्यूनतम खर्च में मितव्ययिता पूर्ण और सुरक्षित चुनाव प्रक्रिया अपना सकते हैं.आइये एक नज़र डालें मेरे बनाए खाके पर-
- सबसे पहले चुनाव आयोग देश के सभी नागरिकों को इंटरनेट द्वारा ऑनलाइन वोटिंग करने का विकल्प उपलब्ध कराये.
- चुनाव आयोग की वेब साईट पर ऑनलाइन मतदान के इच्छुक वोटर्स हेतु रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आरम्भ हो.
- इस ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म में इच्छुक मतदाता अपना वोटर आई डी कार्ड नम्बर,मोबाइल नम्बर और ई मेल पता भरेगा.
- रजिस्ट्रेशन हेतु मतदाता के आवेदन की सूचना इसके मोबाइल एवं मेल पर दी जायेगी.
- रजिस्ट्रेशन की समय सीमा के उपरान्त प्राप्त आवेदनों को रजिस्ट्रेशन नम्बर आवंटित किया जाएगा जिसे मतदान के समय वोटर आयोग की साईट पर यूजर आई डी के रूप में भी प्रयोग कर सकेगा.
- आयोग की साईट पर ऑनलाइन वोटिंग हेतु रजिस्टर्ड मतदाताओं का नाम सम्बंधित विधान सभा एवं लोक सभा क्षेत्र की भौतिक मतदाता सूची से हटा दिया जाए.और उनका नाम पृथक से ऑनलाइन वोटर्स की मतदाता सूची में सम्मिलित कर लिया जाए.और इसकी सूचना सम्बंधित वोटर्स को भी दे दी जाए.
यहाँ आरंभिक प्रक्रिया पूर्ण हो जायेगी.
अब जब भी चुनाव हों या जिस दिन जहाँ वोट पड़ना हो;वोट डालने हेतु साईट पर आते ही मतदाता अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नम्बर एंटर करेगा और सबमिट करते ही उसके मोबाइल अथवा मेल पर एक पासवर्ड भेज दिया जाएगा जिसे डालते ही उसके सामने स्क्रीन पर मतपत्र आ जायेगा और अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम पर क्लिक करके सबमिट करते ही मतदान प्रक्रिया भी पूर्ण हो जायेगी.
मेरा इस ब्लॉग के माध्यम से सुझाव है कि हमारे चुनाव आयोग को दोहरी मतदान प्रक्रिया पर भी विचार करना चाहिए.
आइये एक नज़र डालें इससे होने वाले लाभों पर भी.-
1. वे सभी लोग किसी भी वजह से पोलिंग बूथ पर जाने में असमर्थ हैं और कम्प्युटर का ज्ञान रखते हैं वोट डाल पायेंगे.
2. बूथ कैप्चरिंग जैसी घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा.
3. कागज की बचत होगी.
4. इस प्रक्रिया में मानव श्रम भी बचेगा.
5. यात्रा कर रहे या अपने शहर से बाहर रह रहे मतदाता जिनका अपने नए शहर की भौतिक मतदाता सूची नाम नहीं है वे भी अपना वोट डाल सकेंगे.
6. गोपनीयतापूर्ण एवं विश्वसनीय मतदान की पूर्ण संभावना उपस्थित रहेगी.
ऑनलाइन मतदान की इस प्रक्रिया अपनाने में किसी भी तरह की नयी तकनीकी की आवश्यकता संभवतः नहीं होगी और यह प्रक्रिया सरल भी होगी.
यदि आने वाले दिनों में इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है तो संभवतः हमारा देश विश्व का पहला देश होगा जहाँ इतनी सरल व सुगम मतदान प्रक्रिया लागू होगी.
इस आलेख पर आप सभी पाठकों के बहुमूल्य विचार आमंत्रित हैं.
यशवन्त माथुर
लखनऊ
bahut jaroori hai is disha me vichar kiye jane ki .badhiya aalekh .
ReplyDeleteजो लोग झंझटों के कारण या आलस्य के कारण पोलिंग बूथ तक नहीं पहुँचते हैं,उन्हें मतदान-प्रक्रिया में शामिल करने का एक यह उपाय हो सकता है.
ReplyDeleteइन विचारों को स्थान देने के लिए जोशी जी धन्यवाद के पात्र हैं.
विचारणीय आलेख्।
ReplyDeleteUID project जिसके धर्ताकर्ता श्री नंदन नीलकरनी है , का प्रमुख उद्देश्य भी यही था कि नागरिक ऑन लाइन वोटिंग कर पांए क्योंकि अगर कोई उस यु आई डी को अपने पासवर्ड के साथ ऑन लाइन वोटिंग के लिए इस्तेमाल करे तो वह सुरक्षित है क्योंकि कोई दूसरा उसका मिसयूज नहीं कर सकता ! मगर सवाल वही है कि फिर हर शिक्षित नागरिक वोट देने लगेगा और कुछ खास "वोट बैंक " वाली पार्टिया कहीं की नहीं रह जायेंगी फिर ! :)
ReplyDeletesahi hai
ReplyDeleteइसी विषय पर 9 जून 2009 को मैंने एक लेख लिखा था... कृपया देखें...
ReplyDelete1. आन पड़ी है ऑनलाइन वोटिंग की जरूरत
http://khabar.ndtv.com/2009/06/09115920/Online-votingdharmendra.html
धर्मेन्द्र जी आपका लेख देखा.काफी पहले ही आपने ऑनलाइन वोटिंग की आवश्यकता की और संकेत कर दिया था.
ReplyDeleteमैंने यहाँ इसके संभावित स्वरूप को रखना चाहा है.
bahut achcha sujhav hai.Aisa hona hi chahiye.
ReplyDeleteDear Yashwant, apka sujhav practical nahi hai...pehli bat isme vote ke miss use ke chance bad jaynge...agar ise optional b rakha jata hai to....election commission ko...dohri mehnat karni padegi...ek to vo voting traditional tarike se karayga aur ek online....voting machine to ek machine hai jo apne system se kam karegi lekin online voting k liye ya to bohut ache software chahiye honge ya trend man power jo system ko operate karega...aise me voting ki vishwasniyta kam hogi...apka sujhav manya ho sakta hai lekin tabhi jab aap sare if and but clear karen jo mujhe abhi nahi laga.
ReplyDeleteशरद जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद.देश के एक आम नागरिक की हैसियत से मैंने केवल अपना सुझाव मात्र दिया है.
ऐसे प्रस्ताव आज मानने या लागू करने का कोई सवाल ही नहीं है। पर यह काम न तो असम्भव है और न मुश्किल। जब ईवीएम पर मतदान सम्भव है तब ऑनलाइन वोटिंग में कोई दिक्कत ही नहीं होगी। वैसे भी ऐसे काम पूरा होने में दस-दस साल लग जाते हैं। कभी पायलट प्रोजेक्ट हो तब तो ऑनलाइन और परम्परागत वोटिंग साथ-साथ कराने की बात समझ में आती है, पर एक बार ऑनलाइन वोटिंग शुरू होगी तो परम्परागत वोटिंग की ज़रूरत ही नहीं होगी।
ReplyDeleteक्या बात है यशवंत जी. इतना शानदार खाका खींचा है न, कि चुनाव आयोग को केवल अमल में लाने की ज़रूरत है. जब नेट बैंकिंग होने लगी है, लम्बे समय से नेट द्वारा ही रेल्वे-रिज़र्वेशन हो रहे हैं, तब नेट वोटिंग क्यों नहीं? शहरी क्षेत्रों में तो ये तुरन्त ही लागू किया जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी समय लगेगा. समय और मानव-श्रम दोनों की बचत होगी. प्रयोग के तौर पर किसी एक इलाके में ऑनलाइन वोटिंग कराके देखनी चाहिये.
ReplyDeleteOne day people will read in history books about Booth Voting and Booth capturing.
ReplyDeleteaapki baat bilkul sahi hai yashwant ji..online voting ke vishye me sarkaar ko vichaar karna chahiye...!
ReplyDeleteप्रैक्टिकली तो बहुत सम्भव नहीं लगता लेकिन असम्भव भी नहीं है लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगेगा....अभी से इस पर काम शुरू हो तभी निकट भविष्य में सम्भव हो सकेगा। हां इसके गलत प्रयोग से बचने के लिए सबसे पहले कदम उठाना होगा...
ReplyDeleteबिल्कुल सही जब खून पसीने की कमाई पर टैक्स देने की प्रक्रिया ऑन लाइन हो सकती है, तो पांच साल खून पीने वालों से बचने की प्रक्रिया तो तुरंत ऑन लाइन होनी चाहिए। इसकी तकनीकी दिक्कतों का समाधान जरूर खोजा जाना चाहिए। इससे युवाओं की मतदान में भागीदारी बढ़ेगी और देश की सूरत निश्चित ही बदल जाएगी।
ReplyDeleteविचारणीय है सारे सुझाव ....
ReplyDeleteअच्छा सुझाव है ...यदि संभव हो पाए तो काफी आसानी हो जायेगी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया तथा सहमति देने योग्य विचार है. इस बेहतरीन तथा नई सोच के लिए बधाई.
ReplyDeleteअच्छा सुझाव है।
ReplyDelete