5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। अन्य दिवसों की तरह यह दिवस भी उतना ही महत्वपूर्ण है। दिक्कत यह है कि हम मदर्स डे, फ्रेंड्स डे और वैलेंटाइन्स डे के साथ जिस भावना से जुड़े हैं, उस भावना से इसके साथ नहीं जुड़े। व्यवहार में हमारा पर्यावरण जितना हमारे करीब है, उतना करीब बहुत से मानवीय रिश्ते नहीं हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बहुत जल्द पर्यावरण रिफ्यूजी सिर पर गठरियाँ रखे दुनिया मे घूमते नज़र आएंगे। सागर की सतह के ऊपर उठने से कई द्वीप डूबने वाले हैं। किरिबाती से शुरूआत हो गई है।
पर्यावरण के बारे में बात करते वक्त हमे केवल अपनी ज़िम्मेदारी को समझना है। बात का एक पहलू निराशा बढ़ाने वाला होता है। निराश, हताश और नकारात्मक बातें करने से हम कहीं नहीं पहुँचेंगे। जो भी हालात हैं हमे इनमें रहते हुए रास्ते खोजने हैं। पर उसके पहले हमें स्थिति की भयावहता के बारे मे पता तो लगाना होगा।
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सही कहा!! अच्छा आलेख!
ReplyDeleteपर्यावरण के बारे में बात करते वक्त हमे केवल अपनी ज़िम्मेदारी को समझना है...sach kahaa aapne
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