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Monday, October 30, 2023

दिल्ली ‘शराब-नीति कांड’ से जुड़ी गिरफ्तारियों की नीति और राजनीति


दिल्ली के शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी मनीष सिसोदिया की जमानत पर रिहाई को स्वीकार नहीं किया है। इस मामले की वजह से आम आदमी पार्टी को भविष्य के चुनावों में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। अदालत ने कहा, हम बेल के आवेदन को खारिज कर रहे हैं, लेकिन स्पष्ट करते हैं कि अभियोजन पक्ष ने आश्वासन दिया है कि मुकदमा छह से आठ महीने के भीतर समाप्त हो जाएगा। तीन महीने के भीतर यदि केस लापरवाही से या धीमी गति से आगे बढ़ा, तो सिसोदिया जमानत के लिए आवेदन करने के हकदार होंगे।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी के पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ ने दोनों याचिकाओं पर 17 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने 17 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा था कि अगर दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत ‘अपराध से आय' का हिस्सा नहीं है, तो संघीय एजेंसी के लिए सिसोदिया के खिलाफ धन शोधन का आरोप साबित करना कठिन होगा।

सीबीआई ने आबकारी नीति 'घोटाले' में कथित भूमिका को लेकर सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। वे तब से हिरासत में हैं। इसके बाद सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी पर मनी लाउंडरिंग (धन शोधन) मामले में 9 मार्च को तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था।

संजय सिंह

दिल्ली सरकार की शराब--नीति मामले में पहले मनीष सिसोदिया और उसके बाद संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद आर्थिक-अपराधों से जुड़ी न्याय-प्रक्रिया से जुड़े कुछ जटिल सवाल सामने आए हैं। क्या ये गिरफ्तारियाँ न्यायिक-दृष्टि से उचित थीं? क्या कारण है कि मनीष सिसौदिया ज़मानत को लेकर इतनी लंबी सुनवाई हुई, पर फैसला फिर भी नहीं हो पाया है? क्या ऐसा ही अब संजय सिंह के साथ होगा? दिल्ली के गलियारों में अब यह भी पूछा जा रहा है कि अब इसके बाद किसका नंबर है? पर उसके पहले देखना होगा कि मनीष सिसोदिया को जमानत मिलती है या नहीं। यह मामला आम आदमी पार्टी के राजनीतिक अस्तित्व से भी जुड़ा है।

यह मामला जटिल कानूनी-प्रक्रियाओं से गुजरेगा। अभी हम इसके शुरुआती दौर में हैं। इस मामले में दो तरह के केस चल रहे हैं। एक सीबीआई ने दर्ज किया है, जो मूल अपराध से जुड़ा है और दूसरा ईडी का केस है, जो इस केस से जुड़े मनी लाउंडरिंग और आर्थिक-अपराधों से जुड़ा है। यह सिलसिला तेलंगाना तक जा पहुँचा है, जहाँ की साउथ-लॉबी के कारोबारियों के नाम इस केस से जुड़े हैं। इसी सिलसिले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के पुत्री के कविता का नाम भी इससे जुड़ गया है। सीबीआई और ईडी ने उनसे भी पूछताछ की है।

राजनीतिक रस्साकशी

आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह राजनीतिक कारणों से हमें परेशान कर रही है। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री के निवास के पुनर्निर्माण और सज्जा पर हुए खर्च को लेकर सीबीआई की जाँच भी शुरू हो गई है और कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल पर भी आँच आ सकती है।

सवाल है कि क्या वास्तव यह सब आम आदमी पार्टी को घेरने के लिए किया जा रहा है? या आम आदमी पार्टी ने ऐसे काम कर दिए हैं, जिनकी वजह से उसका बच पाना मुश्किल है। वह बचाव के लिए राजनीति का सहारा ले रही है? राजनीति और न्याय-व्यवस्था से जुड़े इन सवालों के बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

अदालती टिप्पणियाँ

इस सुनवाई के दौरान अदालत की कुछ टिप्पणियों को लेकर मीडिया की कवरेज अपने आप में सनसनी पैदा कर रही है। कई बार अदालत को अगली सुनवाई में यह स्पष्ट करना पड़ रहा है कि यह निष्कर्ष निकाल लेना ठीक नहीं है। अलबत्ता ईडी और सीबीआई के सामने भी मामले की कड़ियाँ जोड़ने की समस्या है। जाँच के दौरान कुछ नए नाम सामने आते हैं या पुराने नामों से ही जुड़े कुछ नए प्रकरण सामने आते हैं। रुपयों के लेन-देन की बातें आती हैं, पर ईडी को मनी ट्रेल भी साबित करनी होगी। कही-सुनी बातों से कानूनी-प्रक्रिया पूरी नहीं होती। उसके लिए पक्के सबूतों की जरूरत होती है। दूसरी तरफ बहुत सारे नाम सामने हैं और उनसे जुड़ी गवाहियाँ भी हैं, इसलिए संदेह बने ही हुए हैं। 

दिल्ली सरकार ने नई शराब-नीति राजस्व बढ़ाने और शराब की चोरबाजारी रोकने के नाम पर बनाई थी, लेकिन वह सरकार के ही गले ही हड्डी बन गई। इसकी शुरुआत मनीष सिसौदिया से हुई थी, जिन्हें अरविंद केजरीवाल ने कट्टर ईमानदार घोषित किया था। दिल्ली के आबकारी विभाग के मंत्री पद पर रहते हुए मनीष सिसोदिया ने मार्च 2021 में नई एक्साइज पॉलिसी का ऐलान किया था।

छूट ही छूट

उन्होंने कहा था कि नई नीति के तहत शराब की बिक्री में सरकार का कोई रोल नहीं होगा। शराब को सिर्फ निजी दुकानों को ही बेचने की अनुमति होगी। इसके लिए न्यूनतम 500 वर्ग फ़ुट क्षेत्र में दुकानें खोली जाएंगी और दुकान का कोई भी काउंटर सड़क पर नहीं होगा। शराब की दुकानों का सामान दिल्ली में बेचा जाएगा, नई नीति से उन्होंने राजस्व में 1500 से 2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई थी।

नई नीति में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानों की संख्या पहले की तरह 850 ही रहेगी। अलबत्ता शराब की होम डिलीवरी हो सकेगी। दुकानों, होटलों के बार, क्लबों और रेस्तराँओं को रात के 3.00 बजे तक खुला रखने की छूट दी गई। छत समेत खुली जगह पर भी जगह शराब परोसने की अनुमति दी गई थी। इससे पहले तक, खुले में शराब परोसने पर रोक थी। बार में मनोरंजन का इंतजाम करने का भी प्रावधान था। बार काउंटर पर खुल चुकीं बोतलों की शैल्फ लाइफ पर कोई पाबंदी नहीं रखी गई थी। लाइसेंसधारी को शराब पर असीमित छूट देने की अनुमति भी थी।

गड़बड़ी का अंदेशा

नवंबर 2021 में नई शराब नीति लागू कर दी गई। इस नीति के लागू होने के कुछ दिन बाद ही दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को इस मामले में गड़बड़ी की आशंका हुई। इसी अंदेशे के मद्देनज़र और जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर मनीष सिसोदिया पर नियमों को तोड़ने-मरोड़ने और शराब के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ प्रदान करने का आरोप लगाते हुए, राज्यपाल ने सीबीआई जांच के आदेश दिए।

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में शराब नीति में गड़बड़ी होने के साथ ही तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुँचाने का आरोप लगाया गया था। आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करने में अनियमितता बरती गई और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया। नई नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफ की गई। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया।

मनीष की गिरफ्तारी

उन दिनों मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा था कि इस नीति से कारोबारियों का मुनाफा काफी बढ़ जाता, जिसमें से आधा वे पार्टी को देते। बहरहाल एलजी के हस्तक्षेप के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी। दूसरी तरफ सीबीआई ने 19 अगस्त, 2022 को मनीष सिसोदिया के घर समेत 31 जगहों पर छापेमारी की। इस छापेमारी के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा था कि जाँच में कुछ भी नहीं मिला। 26 फरवरी, 2023 को लंबी पूछताछ के बाद सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया।

सिसोदिया से पहले जाँच एजेंसी ने विजय नायर, समीर महेंद्रू और अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार किया था। सिसोदिया की गिरफ्तारी चौथी थी। विजय नायर एक ईवेंट मैनेजमेंट कंपनी के पूर्व सीईओ है। सीबीआई का आरोप है कि उनके जरिए एक शराब फर्म के मालिक से रिश्वत ली गई थी।

सीबीआई की एफआईआर के बाद मनी लाउंडरिंग से जुड़ी जाँच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी शुरू की। उसने 6 सितंबर को 30 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की और एक शराब कंपनी के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया। एक और शराब कंपनी के महाप्रबंधक बिनोय बाबू और अरबिंदो फार्मा के पूर्णकालिक निदेशक और प्रवर्तक शरत चंद्र रेड्डी को भी गिरफ्तार किया।

साउथ ग्रुप

इस तरह अपराध की जाँच सीबीआई और मनी लाउंडरिंग की जाँच ईडी ने शुरू की। यह दावा किया गया कि साउथ ग्रुप नाम से प्रसिद्ध शराब लॉबी ने गिरफ्तार किए गए कारोबारियों में से एक के माध्यम से आम आदमी पार्टी को रिश्वत में कम से कम 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इसके बदले इस लॉबी को दिल्ली के शराब कारोबार में खुली छूट मिलती। इस पैसे का इस्तेमाल गोवा में चुनाव लड़ने पर किया गया। बहरहाल 9 मार्च को तिहाड़ जेल में सिसोदिया से लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी के कविता का नाम भी आया। 2 दिसंबर 2022 को सीबीआई ने के कविता को समन भेजकर गवाह के तौर पर पेश होने के लिए बुलाया था। इसके बाद कविता ईडी की जाँच के दायरे में भी आ गईं। सिसोदिया की गिरफ्तारी के दो दिन बाद 11 मार्च को ईडी ने करीब 9 घंटे तक के कविता से पूछताछ की। उनसे हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्रन पिल्लई के बयानों को लेकर पूछताछ की गई थी।

संजय सिंह

संजय सिंह पर आरोप है कि केस के मुख्य आरोपी दिनेश अरोड़ा ने संजय सिंह के कहने पर ही दिल्ली चुनाव के लिए पार्टी फंड इकट्ठा करने का काम किया था। दिनेश अरोड़ा एक रेस्तरां के स्वामी हैं। मई में ईडी की एक शिकायत में भी  संजय सिंह का नाम आया था। यह कहा गया कि दिनेश अरोड़ा ने सबसे पहले संजय सिंह से ही मुलाकात की थी और संजय सिंह ने ही दिनेश अरोड़ा की मुलाकात मनीष सिसोदिया से कराई थी। तब संजय सिंह ने ईडी को एक कानूनी नोटिस भेजा था, जिस पर ईडी ने जवाब दिया कि संजय सिंह का नाम 'अनजाने में' चला गया।

मई में ही ईडी ने संजय सिंह के दो सहयोगियों अजीत त्यागी और सर्वेश मिश्रा के घर पर भी छापा मारा था। इसके अलावा मनीष सिसोदिया के खिलाफ दायर की गई ईडी की चार्जशीट में भी संजय सिंह का नाम आया। आरोप है कि दिनेश अरोड़ा ने संजय सिंह के कहने पर ही दिल्ली चुनाव के लिए पार्टी फंड इकट्ठा करने का काम किया था। इसके लिए संजय सिंह ने दिनेश अरोड़ा को फोन करके  पैसे के इंतजाम की बात कही थी। आरोप हैं कि अरोड़ा ने पैसा इकट्ठा किया था और 82 लाख रुपये का एक चेक भी सिसोदिया को सौंपा। ईडी का आरोप है कि संजय सिंह ने दिनेश अरोड़ा का आबकारी विभाग से जुड़ा एक मुद्दा भी सुलझाया था।

आरोप है कि दिनेश ने संजय सिंह की मुलाकात और कुछ व्यवसायियों से कराई, जिसमें प्रमुखता से अमित अरोड़ा नाम के व्यक्ति का नाम लिया जा रहा है। फिर एक मीटिंग हुई मनीष सिसोदिया के आवास पर। इसमें थे मनीष सिसोदिया, दिनेश अरोड़ा, अमित अरोड़ा और संजय सिंह। इस मीटिंग में सिसोदिया ने शराब-नीति में बदलाव का जिक्र किया।

दिनेश अरोड़ा को 2022 में सबसे पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद दिनेश ने इस मामले में वायदा माफ सरकारी गवाह बनने की इच्छा व्यक्त की। राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने 2022 में यह बात स्वीकार कर ली। वे बाहर आ गए। फिर जुलाई 2023 में उन्हें ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। संजय सिंह पर छापा पड़ने के एक दिन पहले यानी 3 अक्टूबर को दिनेश अरोड़ा ईडी केस में भी सरकारी गवाह बन गए थे।

भारत वार्ता में प्रकाशित

 

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