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Monday, December 12, 2022

अरुणाचल में भारतीय और चीनी सेना का टकराव


भारत और चीन के सैनिकों के बीच फिर से टकराव कीखबर है। इस बार यह टकराव गत 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से, तवांग में होने की खबर है। इस टकराव में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों के घायल होने का समाचार है। भारतीय सुरक्षा सूत्रों के अनुसार भारतीय पक्ष के मुकाबले चीनी सैनिकों को ज्यादा नुकसान हुआ है। भारतीय सेना के अनुसार दोनों देशों के सैनिक तत्काल घटनास्थल से पीछे हट गए हैं. झड़प के बाद शांति स्थापित करने के लिए इलाके के कमांडर ने चीनी समकक्ष के साथ फ़्लैग स्तर की वार्ता की।

15 जून, 2020 को गलवान में हुए हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली बड़ी घटना है। तवांग की घटना के बाद घायल भारतीय सैनिकों को गुवाहाटी के अस्पताल में भरती कराया गया है। बताया जाता है कि जिस समय यह टकराव हुआ चीन के करीब 600 सैनिक मौजूद थे।

अरुणाचल प्रदेश में चीनी और भारतीय सैनिकों के आमने-सामने आने की यह पहली घटना नहीं है। अक्तूबर 2021 में चीनी सैनिकों के एक बड़े गश्ती दस्ते को भारतीय सेना ने कई घंटे तक हिरासत में रखा था। चीनी सेना ने अपनी रणनीति बदली है और उसके बड़े-बड़े गश्ती दस्ते ब सीमा पर गश्त लगाते हैं। हाल के वर्षों में तवांग क्षेत्र में भारतीय सेना के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया गया है और शेष अरुणाचल प्रदेश में भी नियंत्रण रेखा पर सुधार किया जा रहा है।

भारत और चीन के बीच टकराव की ज्यादातर घटनाएं अब भी पश्चिमी क्षेत्र से सुनाई पड़ती हैं। दोनों देशों की सीमा पर नियंत्रण रेखा पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम) और पूर्व (अरुणाचल) सेक्टरों में विभाजित है। पिछले दो साल से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। बातचीत के कई दौरों के बाद तनाव में कुछ कमी भी आई है।

हिंद महासागर

चीनी सेना लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के अलावा महासागर में जंगी तैयारी कर रही है। हिंद महासागर में चीन ने अफ्रीका के जिबूती में अपना सैनिक अड्डा बनाया है। अमेरिकी रक्षा विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपने पहले विदेशी नौसैनिक बेस जिबूती को इस तरह से तैयार कर लिया है कि कभी भी युद्धपोतों की तैनाती कर सकता है। चीनी पनडुब्बियां भी हिंद महासागर में चक्कर लगाती हैं।

अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि सैकड़ों परमाणु हथियारों और किलर मिसाइलों से लैस चीन जिबूती अड्डे पर जंगी जहाजों और पनडुब्बियों तैनाती कर सकता है। मार्च 2022 में चीन ने अपने टाइप 903 ए युद्धपोत को जिबूती भेजा था। इससे यह संकेत मिलता है कि यह बंदरगाह अब बड़े युद्धपोतों के लिए पूरी तरह से तैयार है।

चीन ने जिबूती सैनिक अड्डे को 2017 में बनाया था। चीन का दावा है कि यह जिबूती का नेवल बेस अफ्रीका में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा मिशन को सहयोग देने के लिए है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपना वैश्विक विस्‍तार करना चाहता है। जिबूती के नेवल बेस का इस्तेमाल चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत के प्रदर्शन के लिए करता है। जिबूती का नेवल बेस सोमालिया और यमन के करीब भी जो समुद्री तस्करी और आतंकी गतिविधियों के लिए बदनाम हैं। चीन इसके जरिए अफ्रीका पर भी अपना प्रभाव बढ़ा रहा है जहां हीरे, सोने, रेयर अर्थ जैसी धातुओं के विशाल भंडार हैं।

ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने कहा है कि चीन का जिबूती नेवल बेस भारत के मुंबई बंदरगाह से मात्र 2000 समुद्री मील की दूरी पर है। चीन की नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अमेरिका को अपनी बराबर की शक्ति मानता है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। 

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