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Tuesday, August 9, 2022

बिहार में एक अध्याय खत्म, दूसरा शुरू


बिहार में भाजपा और जेडीयू का गठबंधन अंततः टूट गया है। नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को  मुलाकात करके अपना इस्तीफा सौंप दिया और अब कल वे नई सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। गवर्नर हाउस से निकल कर वे तेजस्वी यादव के घर पहुँचे। फिर तेजस्वी के साथ दुबारा राज्यपाल से मुलाकात करने गए और 164 विधायकों का समर्थन-पत्र सौंपा। इस प्रकार राज्य में एक राज्नीतिक अध्याय खत्म हुआ और दूसरा शुरू हो गया है। कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा है कि नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री होंगे। सब कुछ तय हो गया है। इसका मतलब है कि इसकी बातचीत कुछ दिन पहले से चल रही थी। 

राजभवन से वापसी के बाद नीतीश और तेजस्वी यादव ने पत्रकारों के साथ बातचीत में विश्वास जताया कि उनका गठबंधन बेहतर काम करेगा। अब कल से नई सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू होगी। उसके बाद पता लगेगा कि राज्य की राजनीति किस दिशा में जा रही है। बीजेपी को ओर से कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई है। केवल इतना कहा गया है कि हमने गठबंधन धर्म का निर्वाह किया, फिर भी नीतीश कुमार ने गठबंधन को तोड़ा है। 

किसे क्या मिलेगा?

हालांकि कहा जा रहा है कि महागठबंधन वैचारिक लड़ाई का हिस्सा है। इसका सरकार बनाने या गिराने से वास्ता नहीं है, पर नई सरकार का गठन होने के पहले ही मीडिया में खबरें चल रही हैं कि किसे कौन सा मंत्रालय मिलेगा। मसलन खबर है कि तेजस्वी यादव ने गृह मंत्रालय की मांग की है। गृह मंत्रालय अभी तक नीतीश के पास है।

अभी तक खामोशी से इंतजार कर रहे बीजेपी के खेमे की खबर है कि पार्टी के कोर ग्रुप की बैठक आज शाम तारकिशोर प्रसाद के आवास पर हुई। अब कुछ समय तक राज्य की राजनीति में नए गठबंधन और नई सरकार से जुड़े मसले हावी रहेंगे। फिलहाल दिलचस्पी का विषय यह है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ क्यों छोड़ा और क्या राजद और कांग्रेस के साथ उनकी ठीक से निभ पाएगी या नहीं।

नई परिस्थिति में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो बने रहेंगे, पर बड़ी संख्या में मंत्रियों के चेहरे बदल जाएंगे। नीतीश कुमार अब राजद और कांग्रेस के समर्थन वाले महागठबंधन का हिस्सा बन जाएंगे। क्या यह गठबंधन 2024 और 2025 के चुनावों तक कायम रहेगा?  क्या अगले दो साल तक सरकार आराम से चलती रहेगी? सत्ता को शेयर करने के फॉर्मूलों को क्या तय कर लिया गया है? ऐसे सवालों का जवाब पाने के लिए हमें अब कुछ समय इंतजार करना होगा।

बिहार की राजनीति में यह दूसरा मौका है, जब नीतीश कुमार ने इस तरह से पाला बदला है। वे 2013 में बीजेपी का साथ छोड़कर चले गए थे और 2015 के विधानसभा चुनाव उन्होंने महागठबंधन में रहते हुए लड़ा था। फिर 2017 में वे वापस एनडीए के साथ चले गए थे। उसके पाँच साल बाद वे फिर एनडीए से बाहर आ गए हैं।

हाल में लालू प्रसाद यादव पटना के पारस अस्पताल में भरती थे, तो नीतीश कुमार खुद उनका हाल-चाल जानने पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि सरकारी खर्चे पर इलाज के लिए लालू यादव को दिल्ली भेजा जाएगा। पर्यवेक्षकों का कहना है कि लालू और नीतीश कुमार की वह मुलाकात एक प्रकार से आने वाले समय का संकेत मात्र थी।

2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री थे और तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री। तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के मुद्दे को लेकर एक दिन नीतीश कुमार ने अचानक राजभवन जाकर इस्तीफा सौंप दिया था। महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार को भाजपा का समर्थन मिला और सरकार बनाई। उस सरकार ने अपना कार्यकाल भी पूरा किया और 2020 का चुनाव लड़ा।

 

 

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