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Wednesday, May 23, 2018

मोदी-विरोधी एकता का प्रदर्शन

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का शपथ ग्रहण समारोह मोदी-विरोधी नेताओं के महा-सम्मेलन में तब्दील हो गया। मंच पर विपक्षी एकजुटता की झलक नजर आई। खासतौर से राहुल गांधी करीब-करीब सभी नेताओं के साथ काफी उत्साह के साथ मिलते नजर आए। मंच पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, एचडी देवेगौड़ा, ममता बनर्जी, शरद पवार, मायावती, चंद्रबाबू नायडू, सीताराम येचुरी, अजित सिंह, पिनाराई विजयन, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, फारुक़ अब्दुल्ला, अरविन्द केजरीवाल, कनिमोझी समेत ज्यादातर विरोधी नेता नजर आए।

महत्वपूर्ण नेताओं में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की अनुपस्थिति उल्लेखनीय रही। केसीआर ममता बनर्जी के साथ मिलकर गैर-बीजेपी गैर-कांग्रेस फेडरल फ्रंट बनाने में लगे हैं। केसीआर वहां इसलिए नहीं गए, क्योंकि वे गांधी परिवार के साथ मंच शेयर नहीं करना चाहते। कुमारस्वामी ने उद्धव ठाकरे को भी न्यौता दिया था लेकिन उन्होंने महाराष्ट्र के पालघर लोकसभा उपचुनाव में अपनी व्यस्तता को लेकर आने में असमर्थता जाहिर की थी। 
एनडीटीवी के एंकर श्रीनिवासन जैन बता रहे थे कि उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय से सम्पर्क किया तो पता लगा कि वे अपने किसी दूसरे कार्यक्रम में व्यस्त हैं। श्रीनिवासन का यह भी कहना था कि नवीन पटनायक किसी शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जाते हैं। दूसरी तरफ विश्लेषकों का अनुमान है कि नवीन पटनायक मोदी के विरोधी पक्ष के साथ खड़े होने से बच रहे हैं। ऐसा नहीं होता तो कम से कम वे अपना प्रतिनिधि ज़रूर भेजते जैसा कि करते रहे हैं।

पिछले महीने जब खबर आई कि फेडरल फ्रंट में शामिल होने के सिलसिले में बात करने के लिए केसीआर ओडिशा जाएंगे, नवीन पटनायक भुवनेश्वर में कहा कि हमारी फेडरल फ्रंट या उससे जुड़े किसी राजनीतिक मसले पर बात नहीं होने वाली है। सन 2009 में एनडीए के साथ रिश्ते तोड़ने के बाद से बीजद ने अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाकर रखा है। सन 2013 में जब गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस फेडरल फ्रंट बनाने की सम्भावनाएं बन रहीं थीं, तब उन्होंने उसमें दिलचस्पी दिखाई थी। तब वह फ्रंट बन नहीं पाया था।

यह सच है कि बीजेपी ओडिशा में बीजद के खिलाफ खड़ी हो रही है, लेकिन जब से 2014 में मोदी सरकार बनी है तब से नवीन पटनायक मोदी विरोधी खेमे में खड़े होने से बचते रहे हैं। नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों पर उन्होंने बीजेपी का समर्थन भी किया था। पटनायक ने यूपीए के शासनकाल में भी कांग्रेस के साथ रिश्ते नहीं बिगाड़े थे।

2 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 23 मई - विश्व कछुआ दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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