कर्नाटक चुनाव ने एक साथ कई विसंगतियों को जन्म दिया है। कांग्रेस
पार्टी चुनाव हारने के बाद सत्ता पर काबिज रहना चाहती है। तीसरे नम्बर पर रहने के
बाद भी एचडी कुमारस्वामी अपने सिर पर ताज चाहते हैं। जैसे कभी मधु कोड़ा थे, उसी
तरह वे भी कांग्रेस के रहमोकरम पर मुख्यमंत्री पद की शोभा बढ़ाएंगे। कांग्रेस बाहर
से राज करेगी या भीतर से, यह सब अभी तय नहीं है।
मंगलवार की दोपहर लगने लगा कि बीजेपी न केवल सबसे बड़ी पार्टी बनकर
उभरी है, बल्कि बहुमत के करीब पहुँच रही है. तभी सस्पेंस थ्रिलर की तरह कहानी में
पेच आने लगा। उधर कांग्रेस हाईकमान ने बड़ी तेजी से कुमारस्वामी को बिना शर्त
समर्थन देने का फैसला किया। सोनिया गांधी ने एचडी देवेगौडा से बात की और शाम होने
से पहले राज्यपाल के नाम चिट्ठी भेज दी गई। इस तेज घटनाक्रम के कारण बीजेपी बैकफुट
पर आ गई।
हाथी निकल गया, पूँछ रह गई। कई दिन से कहानी चल रही थी कि त्रिशंकु
विधानसभा बनने के इमकान हैं। पता नहीं बीजेपी के महारथियों ने इन स्थितियों के लिए
कोई प्लान बी तैयार किया था या नहीं। सन 2008 में भी बीजेपी को स्पष्ट बहुमत नहीं
मिला था, पर उस वक्त येदियुरप्पा ने छह निर्दलीय विधायकों को तोड़कर काम चलाया था।
उसके बाद पार्टी ने अपने विस्तार के लिए ‘ऑपरेशन कमल’ चलाया, जिसमें जेडीएस और कांग्रेस के तमाम नेता टूटकर बीजेपी में शामिल
हुए। यह उस दौर में हुआ, जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार की थी।
सवाल है कि अब क्या होगा? खबरें हैं कि बीजेपी
जेडीयू और कांग्रेस के दो दर्जन से ज्यादा विधायकों के सम्पर्क में हैं। लिंगायत
विधायकों पर येदियुरप्पा का साथ देने का दबाव है। उधर कांग्रेस अपने विधायकों को
आंध्र प्रदेश और पंजाब के आरामगाहों में भेजने की तैयारी कर रही है। कुमारस्वामी
की सरकार बन भी गई तो क्या वह बहुमत साबित कर पाएगी? साबित कर भी लिया तो
क्या सरकार लम्बी चलेगी? कांग्रेस ने 1996 में एचडी देवेगौडा को इसी तरह समर्थन दिया था और बाद
में बाहर कर दिया था।
सरकार बनाने की गहमागहमी में चुनाव परिणामों पर से सबका ध्यान हट गया।
इसमें दो राय नहीं कि वोटर ने कांग्रेस को हराया है। खासतौर से राहुल गांधी के लिए
यह खराब खबर है। अध्यक्ष बनने के बाद उनका यह पहला चुनाव था और पार्टी को यहाँ से बहुत
उम्मीदें थीं। चुनाव हारने के बाद अब वे बीजेपी को रोकने का श्रेय हासिल कर रहे
हैं। बहरहाल इस गतिविधि को राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी-विरोधी राजनीति की शुरुआत मान
सकते हैं। सरकार को बनाने में मायावती और ममता बनर्जी की भूमिका है। इसका मतलब है
कि विरोधी राजनीति में गैर-कांग्रेसी नेताओं की भूमिका बढ़ेगी।
केवल कांग्रेस के नज़रिए से देखें कि उसे क्या मिला? यह उसकी जीत नहीं है।
कांग्रेस इस चुनाव को 2019 के चुनाव में अपनी वापसी का प्रस्थान-बिन्दु मानकर चल
रही थी। इस चुनाव का असर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव पर भी पड़ेगा।
फिलहाल वह कुमारस्वामी की आड़ में अपनी विफलता को छिपा सकती है, पर यह सफलता तो
नहीं है।
कर्नाटक में सिद्धारमैया की सोशल इंजीनियरी अपेक्षित परिणाम लाने में
मददगार नहीं हुई। वे खुद चामुंडेश्वरी से चुनाव हार गए हैं और बादामी से केवल 1696
वोटों से जीते हैं। लिंगायतों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाले फैसले का लाभ
पार्टी को नहीं मिला। लिंगायत प्रभाव वाली 62 सीटों में से 43 बीजेपी की झोली में
गईं। मुस्लिम वोटरों के प्रभाव वाली 23 में से 10 सीटें बीजेपी को मिलीं। अजा-जजा
बेल्ट की 62 में से 23 सीटें बीजेपी के खाते में गईं हैं। बेंगलुरु शहर की 26 में
से 15 सीटों पर बीजेपी को सफलता मिली है। कांग्रेस के कई बड़े नेता खेत रहे।
बीजेपी के नज़रिए से ‘मोदी-मैजिक’ ने काम किया। पार्टी के माइक्रो-मैनेजमेंट को सफलता मिली। अमित शाह के
नेतृत्व में पार्टी ने एक मशीन की तरह जीत का रास्ता प्रशस्त किया। उसने 56 हजार बूथों पर अपने कार्यकर्ताओं की टीमों को लगाया था। इस लिहाज
से पार्टी सफल रही। अपनी रैलियों में मोदी ने कहा था कि इस चुनाव के बाद कांग्रेस ‘पीपीपी (पंजाब, पुदुच्चेरी और परिवार) पार्टी’ बनकर रह जाएगी। ऐसा हुआ भी, पर बीजेपी की
जीत भी तार्किक परिणति तक नहीं पहुँची। कर्नाटक से एक नई सुबह शुरू हो रही है।
उसकी दिशा क्या होगी, इसका इंतजार करें।
नवोदय टाइम्स में प्रकाशित
हाँ, इन्तज़ार तो करना होगा कि क्या होता है। कुछ खेल तो बीजेपी भी खेल रही है। कौन सफल होता है, यह तो बाद में पता चलेगा। मुझे लगता है कि कुमार स्वामी शायद कांग्रेस के साथ खतरे में पड़े मुख्यमंत्री बनने की तुलना में बीजेपी को समर्थन दे उप मुख्यमंत्री बनना पसन्द करें। मुझे यह भी लगता है कि अगर कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बन भी गये तो बीजेपी निश्चितरूप से कुछ समय बाद इस दल और कांग्रेस में सेंध लगाकर विधायक बटोर लायेगी। यह शादी अधिक चलती नज़र नहीं आती।
ReplyDeleteआपका लेख बहुत सुन्दर है। अच्छी जानकारी भी देता है और आपके अनुमान मुझे काफी बैलेन्स्ड लगते हैं।