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Sunday, January 1, 2017

इस साल राहें आसान होंगी

भारत के लिए गुजरा साल जबर्दस्त उठा-पटक वाला था। साल की शुरुआत पठानकोट पर हमले के साथ हुई और अंत विमुद्रीकरण और यूपी में सपा के पारिवारिक संग्राम के साथ हुआ। एक तरफ देश की सुरक्षा और विदेश नीति के सवाल थे, वहीं अर्थ-व्यवस्था और राजनीति में गहमा-गहमी थी। हमने पथरीला रास्ता पार कर लिया है। यह साल सफलताओं का साल साबित होने वाला है। अब राह आसान है और नेपथ्य का संगीत बदल रहा है।

अक्तूबर 2016 में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर अपनी रिपोर्ट में संभावना व्यक्त की थी कि 2016-17 में भारत की अर्थ-व्यवस्था 7.6 प्रतिशत की दर से विकसित होगी। उसने साथ ही भारत से उम्मीद जाहिर की थी कि वह अपनी कर प्रणाली में सुधार करेंगे और सब्सिडी को कम करेंगे ताकि इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए संसाधन उपलब्ध हो सकें। मुद्राकोष को आशा है कि वैश्विक अर्थ-व्यवस्था 2016 में 3.1 की दर से और 2017 में 3.4 फीसदी की दर से विकास करेगी।
भारतीय और वैश्विक अर्थ-व्यवस्था में सुधार की उम्मीदों के बीच चीनी अर्थ-व्यवस्था में सुस्ती आने का अंदेशा है। अनुमान है कि सन 2016 में चीनी अर्थ-व्यवस्था ने 6.6 फीसदी की संवृद्धि हासिल की है, जो अगले साल 6.2 फीसदी हो जाने का अंदेशा है। चीन हमारा प्रतिस्पर्धी है, पर हमारे आर्थिक विकास में उसका योगदान भी है। खासतौर से इंफ्रास्ट्रक्चर में।  
भारत ने अपनी खाद्य तथा वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए बड़े स्तर पर भंडार, रेलवे के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, राजमार्ग और बंदरगाह बनाने की योजनाएं बनाईं हैं। इनके लिए हमें बड़े स्तर पर निवेश की जरूरत है। सन 2016 के सितंबर महीने तक देश में 21 अरब डॉलर से ज्यादा का प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश हुआ था, जो 2015 के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा था। इस निवेश में सेवा क्षेत्र, टेलीकम्युनिकेशंस और व्यापार पर जोर है। निर्माण क्षेत्र के लिए बड़े स्तर पर निवेश की जरूरत है। सरकार ने रक्षा के क्षेत्र में काफी छूट देने की घोषणाएं की हैं। सन 2017 में कुछ बड़े कार्यक्रमों की घोषणा हो सकती है। रोजगार सृजन के लिए हमें बड़े निवेशों का इंतजार है।
आर्थिक मोर्चे पर विमुद्रीकरण के परिणामों को देखने का मौका सबसे पहले मिलेगा। वित्तमंत्री का कहना है कि अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष टैक्सों में वृद्धि हुई है। अभी इस बात के आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं कि बड़े नोटों में से कितने बैंकिंग सिस्टम में आने से रह गए। चूंकि अब काफी राशि ऑडिट ट्रेल में आ गई है, इसलिए उम्मीद रखनी चाहिए कि इस साल आयकर जमा करने वालों की संख्या बढ़ेगी। एक्साइज ड्यूटी भी बढ़नी चाहिए। ये बातें बजट पूर्व आर्थिक समीक्षा में दिखाई पड़ेगी।
जिस दूसरी आर्थिक परिघटना पर नजर रखने की जरूरत है, वह है जीएसटी। संसद के बजट सत्र का भी महत्व है। इस साल बजट 28 के बजाय 1 फरवरी को पेश होगा। रेलवे का बजट अलग से नहीं होगा, बल्कि आम बजट का हिस्सा होगा। इन बातों के राजनीतिक और आर्थिक दोनों निहितार्थ हैं। क्या आयकर की दरें घटेंगी, कॉरपोरेट टैक्स कम होगा?
इस साल सरकार को एक और बड़ा फैसला वित्त वर्ष के बाबत करना है। वित्त वर्ष को बदलकर एक जनवरी से करने के बारे में गठित उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रपट वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंप दी है। मंत्रालय कुछ समय में इस रपट को सार्वजनिक करेगा। समिति ने इसमें बदलाव की वजह और इसके विभिन्न कृषि फसलों की अवधि के साथ ही कारोबार, कराधान प्रणाली तथा प्रक्रियाओं, सांख्यिकी तथा डाटा संग्रहण पर असर के बारे में बताया है।
भारत तकनीक और विज्ञान के मोर्चे पर कुछ बड़ी सफलताएं हासिल करने जा रहा है। इस महीने सबसे पहले एक साथ 83 उपग्रहों का प्रक्षेपण करके भारत एक नया विश्व रिकॉर्ड कायम करने जा रहा है। इस साल जीएसएलवी-मार्क-3 का परीक्षण भी होगा, जो भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण की शुरूआत करेगा। इस साल भारत का आणविक अनुसंधान आयोग प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर चालू करके आणविक ऊर्जा की एक नई तकनीक की ओर कदम बढ़ाएगा। पिछले ढाई दशक से हमारे वैज्ञानिक इसपर काम कर रहे हैं और यदि सफल हुआ तो भारत इसे हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बनेगा।
पिछले ढाई साल में मोदी सरकार की सबसे ज्यादा सक्रियता विदेश नीति के मोर्चे पर रही है। भारत ने चीन, रूस, जापान, यूरोपीय संघ, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ अपने रिश्तों को लेकर गतिविधियों का संचालन किया। इन सबके अलावा उसका जोर अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करने का रहा है। साल का अंत होते-होते खबर आई है कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैशे मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर पर पाबंदी लगाने वाले प्रस्ताव को ब्लॉक कर दिया है। उधर खबर यह भी है कि भारत को एनएसजी का सदस्य बनाने से जुड़े एक नए प्रस्ताव पर विचार होने लगा है।
ये दोनों खबरें भारत-चीन रिश्तों पर रोशनी डालती हैं। पिछले हफ्ते रूस, चीन और पाकिस्तान के बीच अफगानिस्तान को लेकर एक बैठक हुई है। तीनों देश तालिबानियों को मुख्यधारा में वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। तुर्की अपने रिश्ते रूस के साथ सुधार रहा है और भारत की रूस के साथ दूरी बढ़ रही है। वह अब पाकिस्तान के साथ रिश्ते कायम कर रहा है। उधर 20 जनवरी को अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपना कार्यभार संभालने जा रहे हैं। उनका आगमन कुछ नई संभावनाओं को जन्म देगा। भारत और अमेरिका ने सामरिक सहयोगियों के रूप में काम करने का फैसला किया है। ये समझौते बदलती वैश्विक परिस्थितियों का संकेत कर रहे हैं।
चुनावी राजनीति के लिहाज से 2017 बहुत महत्वपूर्ण वर्ष होगा। इस साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, हिमाचल और गुजरात विधानसभाओं के चुनाव होंगे। राजनीतिक असर के लिहाज से इनमें उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण है। क्या भारतीय जनता पार्टी इस राज्य पर भी कब्जा कर पाएगी? उसकी जीत या हार नरेंद्र मोदी के राजनीतिक भविष्य को तय करेगी। इस साल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद के चुनाव भी होंगे। इसमें भी एनडीए और कांग्रेस की ताकत का संकेत मिलेगा। तय यह भी होना है कि कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य विरोधी दल के रूप में भी बचेगी या नहीं। इस साल आम आदमी पार्टी के भविष्य का भी पता लगेगा। क्या यह पार्टी पंजाब और गोवा में सफल होगी?
हरिभूमि में प्रकाशित

3 comments:

  1. bahut khub likha hai aap ne

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  2. नये साल के शुभ अवसर पर आपको और सभी पाठको को नए साल की कोटि-कोटि शुभकामनायें और बधाईयां। Nice Post ..... Thank you so much!! :) :)

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  3. अच्छी जानकारी ... नव वर्ष मंगलमय हो ...

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