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Sunday, May 18, 2014

मोदी की पहली चुनौती है महंगाई

नरेंद्र मोदी के भीतर वह क्या बात है जिसके कारण वे एक जबर्दस्त आंधी को पैदा करने में कामयाब हुए? मनमोहन सिंह की छवि के विपरीत वे फैसला करने वाले कड़क और तेज-तर्रार राजनेता हैं। उनकी यह विजय उनके बेहतरीन मैनेजमेंट की विजय भी है। यानी अब हमें ऐसा नेता मिला है, जो भ्रमित नहीं है, बड़े फैसले करने में समर्थ है और विपरीत स्थितियों में भी रास्ता खोज लेने में उसे महारत हासिल है। सन 2002 के बाद से वह लगातार हमलों का सामना करता रहा है। उसके यही गुण अब देश की सरकार को दिशा देने में मददगार होंगे।

मोदी की जीत के पीछे एक नाकारा, भ्रष्ट और अपंग सरकार को उखाड़ फेंकने की मनोकामना छिपी है। फिर भी यह जीत सकारात्मक है। दस साल के शासन की एंटी इनकम्बैंसी स्वाभाविक थी। पर सिर्फ इतनी बात होती तो क्षेत्रीय पार्टियों की जीत होती। बंगाल, उड़ीसा और तमिलनाडु में क्षेत्रीय पार्टियों की ताकत जरूर बढ़ी है, पर भारतीय जनता पार्टी ने भी इन राज्यों में प्रवेश किया है। पहली बार भाजपा पैन-इंडियन पार्टी के रूप में उभरी है। इसके विपरीत सोलहवीं लोकसभा में दस राज्यों से कांग्रेस का एक भी प्रतिनिधि नहीं होगा। यानी कांग्रेस अपने पैन-इंडियन सिंहासन से उतार दी गई है और उसकी जगह बीजेपी पैन इंडियन पार्टी बनकर उभरी है।

मोदी के नए भारत का सपना युवा-भारत की मनोभावना से जुड़ा है। उनका नारा है, अच्छे दिन आने वाले हैं। इसलिए नरेंद्र मोदी की पहली जिम्मेदारी है कि वे अच्छे दिन लेकर आएं। देशभर के वोटर ने एक सरकार को उखाड़ फेंकने के साथ-साथ अच्छे दिनों को वापस लाने के लिए वोट दिया है। ऐसा न होता तो तीस साल बाद देश के मतदाता ने किसी एक पार्टी को साफ बहुमत नहीं दिया होता। यह मोदी मूमेंट है। मोदी ने कहा, ये दिल माँगे मोर और जनता ने कहा, आमीन।


उनके सामने कई स्तर पर चुनौतियाँ भी हैं। पहली चुनौती राजनीतिक है। अपनी ही पार्टी के कई सीनियर नेता उनसे ईर्ष्या रखते हैं। क्या वे उनका सामना कर पाएंगे? अब इस पार या उस पार की नौबत है। उनका पहला धर्म होगा मान मनौवल से काम करना। इसमें सफलता न मिलने पर उन्हें सख्ती भी बरतनी पड़ सकती है।

मोदी ने प्रचार के दौरान शिद्दत के साथ कहा था कि मैं विकल्प देना चाहता हूँ। अब वे अपने गुजरात मॉडल को जनता के सामने रखेंगे। गुजरात सरकार के अनुभव जनता के सामने हैं। हाल में एक चैनल की पत्रकार बिहार के किसी गाँव में कुछ युवकों से बात कर रही थी। नौजवान का कहना था कि गुजरात में विकास हुआ है, इसे कोई अंधा भी बता सकता है। पत्रकार ने पूछा, पर आप कैसे कह सकते हैं? इसपर उसने कहा, मैं गुजरात में काम करता हूँ। मुझे ही नहीं बिहार के तमाम नौजवानों को वहाँ रोज़गार मिला है। मुझे वहाँ काम मिला, यह वहाँ के विकास का प्रतीक है। वहाँ के लोग तो यहाँ काम करने नहीं आते। क्यों नहीं आते?

मोदी की चुनौती रोज़गार से जुड़ी है। उन्हें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि बिहार और उत्तर प्रदेश के नौजवान रोजगार के लिए घर छोड़कर बाहर न जाएं। मोदी की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उत्तर प्रदेश और बिहार का है। ग्रामीण इलाकों से नौजवानों की बड़ी संख्या शहरों में काम की खोज में निकल रही है। इनके लिए पहले कारगर ट्रेनिंग और फिर रोजगार का इंतज़ाम करना उनकी पहली प्रथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने नौजवानों को रोजगार दिलाने का वादा किया है। बीजेपी ने 'इंडिया इनोवेट्स और इंडिया लीड्स' का नारा दिया है। उन्होंने युवाओं को नीति निर्धारण में शामिल करने का आश्वासन दिया है। इसका व्यावहारिक रूप क्या है, इसे देखना होगा।

मोदी की विजय की खबर आने के पहले खबर थी कि इस बार मॉनसून को लेकर विलंब का अंदेशा उतना निराशाजनक नहीं है, जितना शुरू में बताया गया था। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को काबू में करने की होगी। भाजपा ने मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए विशेष फंड बनाने का वादा किया है। पार्टी ने विदेशों में जमा कालेधन को देश में वापस लाने का आश्वासन दिया है। अब उन्हें बताना होगा कि यह काम कैसे होगा। प्रत्येक गांव और इलाके तक पानी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक होगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य गारंटी मिशन सहित नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति तैयार की जाएगी। अस्पतालों का आधुनिकीकरण किया जाएगा। प्रत्येक राज्य में एम्स बनाने की योजना भी भाजपा की है।

पर सरकार की सीमाएं हैं। नई सरकार के पास इस साल के बजट में कुछ क्रांतिकारी काम करने का मौका नहीं है। राजकोषीय घाटा नियंत्रण में नहीं है। शायद जून में बजट आएगा। नई सरकार मंत्रालयों की संरचना में बड़ा बदलाव करना चाहती है। क्या यह काम फौरन होगा? मंत्रिमंडल का गठन उनकी पहली वरीयता होगी। वे वाराणसी से चुनकर आए हैं। वहाँ उन्होंने गंगा को स्वच्छ बनाने का वादा किया है। शायद इसी काम के लिए वे नदियों से जुड़ा एक नया मंत्रालय बनाना चाहते हैं। उनके साथ वरिष्ठ नौकरशाहों का सलाहकार मंडल है। काम का खाका पहले से बनाकर रखा गया है।

सरकार के पास लोकसभा में बहुमत है, पर राज्यसभा में वह अल्पमत है। सरकार को नए कानून बनाने के लिए कांग्रेस की मदद लेनी होगी। देश में बड़े स्तर पर रोज़गारों का सृजन करने के लिए भारी पूँजी निवेश की जरूरत होगी। मोदी सरकार की आहट आने के साथ ही रुपए की कीमत बढ़ने लगी है। इससे पेट्रोलियम की कीमत पर असर पड़ेगा भुगतान संतुलन में देश की स्थिति बेहतर होगी। अच्छी बात यह है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत हैं।

मोदी के सामने एक बड़ी चुनौती विदेश नीति के बाबत है। आमतौर पर विदेश नीति के मामले में बड़े बदलाव नहीं होते हैं। खासतौर से पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर उनसे बड़ी अपेक्षाएं की जा रहीं हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने उन्हें बधाई संदेश में पाकिस्तान यात्रा का निमंत्रण दिया है। हाल में उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में कहा है कि हम पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बनाकर रखना चाहेंगे। वस्तुतः मोदी सरकार की परीक्षा नीतियों से ज्यादा उसके प्रशासन को लेकर होगी। विदेश नीति जल्दबाजी में नहीं बनाई जाती, पर जनता को उनकी पाकिस्तान नीति का इंतज़ार है, खासतौर से सीमापार आतंक के संदर्भ में।

देश के संघीय ढाँचे में क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पंख देने में भी नरेंद्र मोदी की भूमिका है। एक अरसे बाद एक क्षेत्रीय क्षत्रप प्रधानमंत्री बनने वाला है। केंद्र-राज्य सम्बंधों को लेकर बंगाल, उड़ीसा और बिहार के अनेक मसले अधूरे पड़े हैं। उन्हें सुलझाना एक बड़ी चुनौती होगी। एक सवाल कि क्या वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दबाव में काम करेंगे या स्वतंत्र होकर अपने फैसले करेंगे?  
देश जाति और सम्प्रदाय की राजनीति से बाहर आना चाहता है। पहचान की राजनीति से बाहर निकलने की वोटर की छटपटाहट साफ नज़र आती है। उत्तर प्रदेश में मायावती और मुलायम सिंह की राजनीति की हवा ही नहीं निकली, अजित सिंह के रालोद का भी सफाया हो गया। मोदी ने प्रकट रूप से संकीर्ण नारों का सहारा लेने के बजाय, गवर्नेंस पर ज़ोर दिया। संघ परिवार से जुड़े कुछ नेताओं के ज़हरीले बयानों पर हालांकि पार्टी ने कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं की, पर अंदरूनी तौर पर इस किस्म के बयानों को मोदी के निर्देश पर रोका गया। यानी मोदी की आवाज़ में दम है। बहरहाल उन्हें समय मिलना चाहिए अपना काम शुरू करने के लिए।

हरिभूमि में प्रकाशित

2 comments:

  1. महंगाई is the main problem for all and if Modi Ji is able to compete this than he surely will be PM for all next coming years for India.

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  2. Loved your analysis and message of positivity!

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