करीब 41 साल पहले एबीबीए यानी ‘एबा’ या ‘अब्बा’ संगीत-मंडली ने अपना आखिरी कंसर्ट मिलकर संचालित किया था। वह भी श्रोताओं के लिए लाइव शो नहीं था, बल्कि स्वीडिश टीवी का एक शो था। अब 27 मई को इस स्वीडिश-मंडली के लंदन में नए शो ‘अब्बा वॉयेज़’ ने तहलका मचाया है। यह तहलका इस संगीत-मंडली ने नहीं, बल्कि तकनीकी-कर्णधारों ने मचाया है।
इस शो में वे खुद शामिल नहीं थे, बल्कि वर्क
फ्रॉम होम की तर्ज पर वे वर्चुअल रूप में उपस्थित थे। वैसे ही जैसे 1977 में थे।
इसमें ‘अब्बा’ की टीम भौतिक रूप से उपस्थित नहीं थी,
बल्कि उसके युवा ‘अब्बातार’ (आभासी
अवतार) उपस्थित थे। उन्होंने 10-पीस बैंड के साथ अब्बा के पुराने अल्बमों को पेश
किया। अब्बा के चारों सदस्य 1982 के बाद
पहली बार सार्वजनिक रूप से लंदन में एकसाथ मौजूद थे, परफॉर्मर के रूप में नहीं,
दर्शकों के रूप में।
तकनीकी-सफलता
उम्र की सीमाओं को देखते हुए उनकी
भौतिक-उपस्थिति सम्भव नहीं थी। फिर भी शो हुआ और उसकी समीक्षाएं बहुत सकारात्मक
आईं हैं। इस शो में भी उनके 3,000 उत्साही फैन शामिल थे। इसे पेश करने में 140
एनिमेटरों, चार ‘बॉडी-डबल्स’की
भूमिका थी, ताकि यह एकदम वास्तविक शो जैसा नजर आए। इस शो पर करीब साढ़े सत्रह
करोड़ डॉलर का खर्चा आया। सवाल है कि कोई बैंड भौतिक रूप से उपस्थित हुए बिना कैसे
स्टेज पर वापसी की दावा कर सकता है?
शो देखने के बाद एक अब्बा सितारे ब्योर्न
उल्वेस ने कहा, मेरी उम्मीदों से ज्यादा शानदार यह शो रहा। स्वीडन के सम्राट कार्ल
16वें गुस्ताफ और महारानी सिल्विया भी मेहमानों में शामिल थे। इस प्रदर्शन के लिए
खासतौर से बनाए गए पंचकोणीय सभागार में करीब तीन हजार दर्शक मौजूद थे। चारों
संगीतकार रोशनी के छपाकों के बीच सत्तर के दशक के हेयर-स्टाइल और परिधानों में मंच
पर उतरे। दर्शकों ने अपनी सीटों से निकलकर नाचना शुरू कर दिया। मंच पर मौजूद
अब्बा-मंडली के सदस्य वास्तविक नहीं थे। उन्हें सावधानी के साथ 77-79 के दौर के
रूप में डिजिटली डिजाइन किया गया था। वास्तविक अब्बा, जिनमें से ज्यादातर की उम्र
72 साल या ज्यादा है, स्टैंड्स में मौजूद थे।
दिसम्बर तक चलेगा शो
90 मिनट के ‘अब्बा-वॉयज़’
कार्यक्रम का यह वर्ल्ड-प्रीमियर था। यह शो अब इस साल दिसम्बर तक हफ्ते के सातों
दिन चलेगा। इसके बाद भी इसे अप्रेल 2026 तक बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए बनाए गए
विशेष एरेना को तब तक की अनुमति मिली हुई है। इस जमीन पर बाद में आवासीय-भवन बनने
वाले हैं।
स्टेज के दोनों तरफ लगाए गए स्क्रीन पर 30 फुट ऊँचे ये अवतार गाते और झूमते नजर आ रहे थे। शो के डायरेक्टर बेली वॉल्श का कहना है कि यह प्रोजेक्ट होलोग्राम प्रदर्शनों से भी आगे की चीज़ है। इसपर काफी लम्बे अर्से से काम किया जा रहा था। लम्बे अर्से से स्वीडन में असली अब्बा की फिल्मिंग का काम किया गया। इसमें चार बॉडी-डबल्स और 140 एनिमेटरों की मदद ली गई। यह काम जॉर्ज लुकास द्वारा स्थापित प्रसिद्ध विजुअल इफैक्ट्स फर्म इंडस्ट्रियल लाइट एंड मैजिक (जो आईएलएम नाम से प्रसिद्ध है) ने किया। यह फर्म हॉलीवुड ब्लॉकबस्टरों में विशेष दृश्यों को तैयार करने में मदद करती है।
लोकप्रियता की बुलंदियां
अब्बा दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय संगीत
सितारों में शामिल किए जाते हैं। किसी गैर-अंग्रेजी भाषी देश का यह पहला ग्रुप था,
जो अंग्रेजी-देशों में लोकप्रियता के शिखर पर सवार है। सन 1974 में यूरोविज़न सांग
कांटेस्ट में इस मंडली के गीत ‘वॉटरलू’ को स्वीडन का पहला पुरस्कार मिला था।
संगीत मंडली के चार कलाकारों का संक्षिप्त नाम अब्बा था। ये नाम हैं अग्निता फेल्ट्सकुग,
ब्योर्न उल्वेस, बेनी एंडरसन और एनी-फ्रिड लिंगस्टाड। ये पति-पत्नी के दो जोड़े
थे। फेल्ट्सकुग-उल्वेस और एंडरसन-लिंगस्टाड।
लोकप्रियता का इनके जीवन पर इतना असर पड़ा कि
अंततः दोनों शादियाँ टूट गईं। यह बात इसके बाद के इनके गीतों में भी सुनाई पड़ा।
बहरहाल दिसम्बर 1982 में यह ग्रुप अनौपचारिक रूप से अलग हो गया। चारों ने फिर कभी
नहीं मिलने की कसम खाई। वक्त ने वह कसम तुड़वा दी। यों तो चारों ही किसी न किसी
रूप में सक्रिय रहे, पर इस टूट के दस साल बाद अब्बा गोल्ड नाम से इनकी एक और
सामूहिक रचना प्रकाशित हुई।
1999 में जारी हुई ‘मामा मिया’ तो
आजतक दुनिया के टॉप टेन में शामिल है। इस शीर्षक से 2008 में एक फिल्म भी बनी, जो
युनाइटेड किंगडम में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म साबित हुई। 2014 में यह
ग्रुप फिर से साथ आया और इस डिजिटल अवतार की अवधारणा पर काम शुरू किया। समय बताएगा
कि इस तकनीक का विस्तार कहाँ तक होगा। क्या हम एक सदी पहले की मूक फिल्मों को फिर
से किसी नए रूप में आने वाले वक्त में देखेंगे? बहरहाल
इस प्रयोग परिणामों का इंतजार करें।
आठ साल का काम
इस प्रोजेक्ट पर आठ साल से काम चल रहा था, और
इस दौरान तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ा धक्का कोविड-19 ने लगाया।
दूसरी तरफ महामारी के कारण सार्वजनिक-प्रदर्शनों की अनुपस्थिति के कारण पैदा हुई
उदासी को तोड़ने में भी इस प्रदर्शन की भूमिका है। कोरोना ने ही एक चुनौती पेश
नहीं की। स्वेज नहर में जब एक पोत फँस गया, तब इसके एरेना के साउंड इंस्यूलेशन के
आ रहे जरूरी उपकरण भी फँस गए। और अब यूक्रेन पर रूसी कार्रवाई के कारण बिल्डिंग
तैयार करने के लिए आ रही लकड़ी रुक गई, जिसके विकल्प में जर्मनी से महंगी लकड़ी
मँगानी पड़ी।
अब्बा वॉयेज़ ने मनोरंजन की एक नई कैटेगरी की
रचना की है। इसका श्रेय डिजिटल इनोवेशन को दिया जा सकता है। इसमें कोविड-19 के
अनुभव भी शामिल हैं। इस दौरान ऑनलाइन गेमिंग की विधाओं ने जन्म लिया है, तो संगीत
की इस नई कैटेगरी को भी तैयार किया है। वॉयेज़ के एक शो में 3,000 श्रोता-दर्शक
शामिल हो सकते हैं, जबकि शो शुरू होने के दिन 27 मई के पहले ही तीन लाख से ज्यादा टिकट
बिक चुके थे। यानी कि अगले सौ दिन का इंतजाम अग्रिम हो चुका है। इस शो की मीडिया
कवरेज ने आयोजकों का उत्साह बढ़ाया है।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-06-2022) को चर्चा मंच "निम्बौरी अब आयीं है नीम पर" (चर्चा अंक- 4455) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारी, जिज्ञासा जी.
ReplyDeleteमनोरंजन से भरपूर जानकारी । सुंदर आलेख । मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
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