देश के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 7 जनवरी को इस वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय आय (जीडीपी) का पहला अग्रिम अनुमान (एफएई) जारी किया, जिसके अनुसार देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में अर्थव्यवस्था में 9.2 प्रतिशत की संवृद्धि होगी, जबकि इससे पिछले साल 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.3 प्रतिशत का संकुचन हुआ था। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी विभिन्न क्षेत्रों खासकर कृषि, खनन और विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से वृद्धि दर कोविड-पूर्व स्तर को भी पार कर जाएगी। पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक, अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में वृद्धि देखने को मिली है। इस साल की पहली तिमाही यानी अप्रेल-जून में संवृद्धि की दर 20.1 प्रतिशत और दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में 8.4 प्रतिशत रही है। तीसरी तिमाही के परिणाम इस महीने के अंत में आएंगे।
चूंकि देश में कोविड-19 के नए वेरिएंट के कारण
संक्रमण फिर से बढ़ रहा है, इसलिए अर्थशास्त्री इस वर्ष के प्रोजेक्शन में काफी
सावधानी बरत रहे हैं। इस लिहाज से 9.2 प्रतिशत की संवृद्धि रिजर्व बैंक के अनुमान
9.5 की तुलना में कम है। रिजर्व बैंक ने अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में 6.6 और चौथी
तिमाही में 6.0 प्रतिशत का अनुमान लगाया था, पर यह भी कहा था कि ये अनुमान इस शर्त
पर हैं कि कोरोना का संक्रमण फिर से नहीं होगा।
बहरहाल अग्रिम अनुमानों के अनुसार इस साल कृषि
क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत की संवृद्धि होगी, जबकि पिछले साल 3.6 प्रतिशत रही थी। विनिर्माण
(मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में 12.5 प्रतिशत की संवृद्धि रहने की संभावना है, जबकि
पिछले साल उसमें 7.2 प्रतिशत का संकुचन हुआ था। विद्युत उत्पादन में 8.5 प्रतिशत
की संवृद्धि का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यह 1.9 प्रतिशत था। खनन और उत्खनन में
14.3 प्रतिशत और व्यापार, होटल, परिवहन,
संचार तथा प्रसारण से जुड़े सेवा क्षेत्र में 11.9 प्रतिशत की
संवृद्धि का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष इसमें 18.2 प्रतिशत का जबर्दस्त संकुचन
था। इस कारण से इस साल भी इस सेवा क्षेत्र की जीडीपी महामारी पूर्व की जीडीपी की
तुलना में कम रहेगी।
हरेक वित्त वर्ष में मंत्रालय जीडीपी के बारे
में नियमित रूप से अपने अग्रिम अनुमान जारी करता है। यह अनुमान हर साल 7 जनवरी को
जारी होता है। इस अनुमान का महत्व यह है कि केंद्र सरकार आगामी वर्ष के बजट के लिए
इस अनुमान को आधार बनाती है। जैसे ही जानकारी और मिलती है, इस अनुमान में संशोधन
किया जाता है। अब 26 फरवरी को मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के लिए दूसरा अग्रिम
अनुमान जारी करेगा।
जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान पहले सात महीनों
के डेटा पर आधारित होता है। इसे अग्रिम रूप से इसलिए जारी किया जाता है, ताकि
वित्त मंत्रालय के अधिकारी तथा अन्य विभाग अगले वित्त वर्ष के बजट की तैयारी में
उनका उसका इस्तेमाल कर सकें। अलग-अलग सेक्टर के डेटा की जानकारी अलग-अलग संकेतकों
के आधार पर होती है। जैसे कि पहले सात महीनों के औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक
(आईआईपी) और निजी क्षेत्र में सूचीबद्ध कंपनियों के सितंबर तक के वित्तीय
प्रदर्शन, फसल के पहले अग्रिम अनुमान, केंद्र और राज्य सरकारों के लेखा, बैंकों के
जमा और ऋण, रेलवे के यात्रियों तथा माल ढुलाई से होने वाली आय, नागरिक उड्डयन की
पैसेंजर और कार्गो आय, बड़े बंदरगाहों में कार्गो से आय, कॉमर्शियल वाहनों की
बिक्री वगैरह के आधार पर यह सूचना एकत्र की जाती है।
एनएसओ ने एक बयान में कहा, स्थिर मूल्य पर वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 2021-22 में
147.54 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 31 मई, 2021
को 2020-21 के लिए जारी अस्थायी अनुमान में यह 135.13 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह
2021-22 में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जबकि एक
साल पहले 2020-21 में इसमें 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इस अनुमान के अनुसार
2021-22 में निरपेक्ष रूप से जीडीपी कोविड-पूर्व स्तर 2019-20 के 145.69 लाख करोड़
रुपये के आंकड़े को पार कर जाएगी।
मार्च 2020 में देश में आयी महामारी की रोकथाम
के लिए 25 मार्च, 2020 से लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से वित्त
वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ा था। हालांकि एनएसओ का वृद्धि
अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के 2021-22 के लिए जताए गए 9.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि
दर के अनुमान से कुछ कम है। बयान के अनुसार आधार मूल्य पर वास्तविक सकल
मूल्य-वर्धन (जीवीए) 2021-22 में 135.22 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो
पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 124.53 लाख करोड़ रुपये था। यह 8.6 प्रतिशत वृद्धि
को बताता है।
सपने देखने में न तो कोई नुकसान है न सपने देखने पर कोई टैक्स है.
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