तालिबान प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद मतभेदों का खंडन करते हुए
तालिबान के सह-संस्थापक और कार्यवाहक उप-प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने कहा है कि तालिबान के भीतर किसी
प्रकार की आंतरिक कलह नहीं है, फिर भी पर्यवेक्षक इस बात को पूरी तरह सही नहीं मान
रहे हैं। अलबत्ता वे यह भी मानते हैं कि यह असहमति सरकार के लिए कोई बड़ा खतरा
नहीं बनेगी।
सीएनएन
की रिपोर्ट के अनुसार, बरादर ने पहले एक ऑडियो संदेश जारी
किया था, फिर बुधवार को अफगान राष्ट्रीय टीवी के साथ एक साक्षात्कार में पिछले
उन्होंने राष्ट्रपति भवन में हुए किसी विवाद में घायल होने या मारे जाने की
अफवाहों का खंडन किया। इस साक्षात्कार की क्लिप को तालिबान के राजनीतिक कार्यालय ने
ट्विटर पर पोस्ट किया गया है। बरादर ने कहा, मैं
पूरी तरह से ठीक हूं।
दूसरी तरफ समाचार एजेंसी एपी ने कैथी गैनन की
एक विशेष रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि तालिबान के भीतर नरमपंथियों और
कट्टरपंथियों के बीच पृष्ठभूमि में असहमतियाँ
और टकराव जारी है। यह टकराव पिछले हफ्ते देश में कट्टरपंथियों के प्रभुत्व
वाली सरकार के गठन के बाद और बढ़ गया है।
यह टकराव पृष्ठभूमि में है, पर अफवाहों के कारण इसके बारे में बातें बढ़-चढ़ कर सुनाई पड़ रही हैं। अब्दुल ग़नी बरादर नरमपंथी ग्रुप से वास्ता रखते हैं। अमेरिका के साथ तालिबान की वार्ता में वे ही सबसे आगे थे। गत 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद उन्होंने दुनिया को आश्वस्त किया था कि देश में समावेशी सरकार बनेगी, पर ऐसा हुआ नहीं।
बरादर हाल में ज्यादातर महत्वपूर्ण मौकों पर
गैर-हाज़िर रहे हैं। हाल में क़तर के उप-प्रधानमंत्री शेख मुहम्मद बिन
अब्दुर्रहमान अल-थानी, जो विदेशमंत्री भी हैं, काबुल आए। तालिबान के काबिज होने के
बाद से यह किसी विदेशी शिष्ट मंडल के आगमन की सबसे बड़ी घटना थी। उस मौके पर बरादर
राष्ट्रपति भवन में नहीं थे। बुधवार को प्रसारित इंटरव्यू में उन्होंने कहा, मुझे
इस दौरे की जानकारी नहीं थी। मैं काबुल से बाहर चला गया था और वापस लौट नहीं पाया
था।
नई सरकार में 33 में से 30 पश्तून प्रतिनिधि
हैं और एक भी महिला इनमें नहीं है। इसके साथ ही अफगान राष्ट्रपति भवन पर से देश का
राष्ट्रीय-ध्वज हटाकर तालिबानी सफेद झंडा फहरा दिया गया। एक तालिबान पदाधिकारी ने
बताया कि नेतृत्व ने अभी तक ध्वज को लेकर कोई निर्णय नहीं किया है। बहुत से लोग
दोनों ध्वजों को बराबरी पर लगाने का सुझाव दे रहे हैं।
एपी ने ये जानकारियाँ दो ऐसे अफगान परिवारों के
सूत्रों से दी हैं, जो इस विमर्श से काफी करीब से जुड़े हैं। इन दोनों परिवारों ने
इस भरोसे पर यह जानकारी दी है कि उनकी पहचान को किसी तरह से उजागर नहीं किया
जाएगा। उन्होंने बताया कि एक कैबिनेट मंत्री ने अपना पद ठुकराया भी था।
तालिबान प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने नेतृत्व
के भीतर टकराव की खबरों का खंडन
किया है। इसके पहले मंगलवार को तालिबान विदेशमंत्री अमीर कान मुतक्की ने इन
खबरों को दुष्प्रचार बताया था।
अफगान सूत्रों के अनुसार वे कंधार की राजधानी
में थे, जहाँ वे तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबातुल्ला अखुंदज़ादा से मुलाकात कर
रहे थे। एक दूसरे स्रोत ने बताया कि वे अपने परिवार से मिलने गए थे, जिनसे वे
पिछले बीस साल में नहीं मिले थे।
वॉशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर के एशिया
प्रोग्राम के उप निदेशक माइकल कुगलमैन का कहना है कि हम पिछले कई वर्षों में
तालिबान के भीतर इस प्रकार के विवादों को देख चुके हैं। इसके बावजूद संगठन के रूप
में तालिबान दृढ़ बना रहा। अलबत्ता अब जो मतभेद उभर रहे हैं, उन्हें दूर करने के
लिए कड़ाई की जरूरत होगी। तालिबान को यदि अपनी वैधता स्थापित करनी है, तो अपनी
नीतिगत चुनौतियों का सामना करना होगा।
यदि ये प्रयास विफल हुए, तब संगठन के भीतर
टकराव और बढ़ जाएगा। मुल्ला उमर के रहते उनकी बात सर्वमान्य होती थी। उनके निधन के
बाद संगठन में वह दृढ़ता है या नहीं, इसे देखना होगा।
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