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Sunday, August 8, 2021

अफगानिस्तान पर विचार के लिए ट्रॉयका की बैठक में भारत को बुलावा नहीं

अफगानिस्तान की ताजा स्थिति पर संरा सुरक्षा परिषद की बैठक

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इस महीने भारत के पास है, जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत की पहल पर हाल में अफगानिस्तान को लेकर सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। इधर लड़ाई चल रही है और दूसरी तरफ राजनयिक स्तर पर बातचीत भी चल रही है। रूस ने तालिबान की
बढ़ती आक्रामकता और अफ़गानिस्तान में बिगड़ते हालात पर चर्चा करने के लिए 11 अगस्त को दोहा में ट्रॉयका प्लस की बैठक बुलाई है।

ट्रॉयका तीन देशों, रूस, अमेरिका और चीन का एक समूह है, जो अफगानिस्तान के मसलों पर विचार के लिए बनाया गया है। इस बैठक में पाकिस्तान और अफगानिस्तान को भी बुलाया गया है। इस बैठक में रूस ने अमेरिका, चीन और पाकिस्तान को तो बुलाया है लेकिन भारत को आमंत्रित नहीं किया। जब इस सिलसिले में भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता अरिंदम बागची से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर रूस के साथ भारत लगातार सम्पर्क में है।

इसी तरह की एक और कोशिश इसी साल 18 मार्च से 30 अप्रैल के बीच भी हुई थी। उसमें भी भारत को नहीं बुलाया गया था। एक्सटेंडेड ट्रॉयका में भारत को आमंत्रित न किए जाने पर तरह-तरह की अटकलें शुरू हो गई हैं। ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि पिछले महीने ही रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ताशकंद में कहा था कि रूस अफ़गानिस्तान में जारी हालात के मसले पर भारत को साथ लेकर काम करना जारी रखेगा। सर्गेई लावरोव के इस बयान के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी एक्सटेंडेड ट्रॉयका में भारत को भी बुलाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

रूस ने इसकी वजह बताते हुए कहा है कि भारत का तालिबान पर कोई प्रभाव नहीं है। रूसी समाचार एजेंसी तास की रिपोर्ट अनुसार अफ़गानिस्तान में रूसी राजदूत ज़ामिर कबुलोव ने 20 जुलाई को ही कह दिया था कि भारत एक्सटेंडेड ट्रॉयका का हिस्सा नहीं बन सकता क्योंकि उसका तालिबान पर कोई प्रभाव नहीं है। रूसी राजदूत ने कहा, एक्सटेंडेड ट्रॉयका का फॉर्मेट ऐसा है कि इसमें रूस के साथ सिर्फ़ चीन, पाकिस्तान और अमेरिका ही शामिल हो सकते हैं। इस बातचीत में वही देश शामिल हो सकते हैं जिनका दोनों पक्षों (तालिबान और अफ़गानिस्तान) पर स्पष्ट प्रभाव हो। वैसे तो अफ़गानिस्तान संकट को लेकर रूस का अमेरिका के साथ कई मुद्दों पर मतभेद है. लेकिन अब दोनों ही देश शांति प्रक्रिया पर ज़ोर दे रहे हैं।

सुरक्षा परिषद

अफगानिस्तान सरकार की माँग पर संरा सुरक्षा परिषद में भी देश की ताजा स्थिति पर विचार किया गया। इस बैठक में भारत के राजदूत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने के एक हफ्ते के भीतर हमारे देश ने अफगानिस्तान पर शक्तिशाली वैश्विक निकाय की महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें सदस्य देशों से हिंसा और शत्रुता को खत्म करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया और इससे दुनिया को युद्धग्रस्त देश की गंभीर स्थिति दिखाने में भी मदद मिली।

परिषद की बैठक में अफगानिस्तान के दूत गुलाम इसाकज़ई ने कहा कि तालिबान को देश में पनाह मिल रही है और पाकिस्तान से युद्ध के लिए जरूरी साजो-सामान उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में प्रवेश करने के लिए डूरंड रेखा के करीब तालिबान लड़ाकों के जुटने की खबरें और वीडियो, निधि जुटाने के कार्यक्रम, सामूहिक अंतिम संस्कार के लिए शवों को ले जाने और पाकिस्तानी अस्पतालों में तालिबान के घायल लड़ाकों के इलाज की खबरें आ रही हैं।

परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ने की कड़ी निंदा की. अमेरिका ने कहा, तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की यह बात जरूर सुननी चाहिए कि हम अफगानिस्तान पर सैन्य कब्जा या तालिबान के इस्लामिक शासन की वापसी स्वीकार नहीं करेंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा कि क्षेत्र में आतंकवादियों की पनाहगाहों को फौरन नष्ट करना चाहिए और आतंकवादियों की आपूर्ति श्रृंखला तोड़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग आतंकवादियों को वित्तीय तथा साजो-सामान संबंधी सहयोग दे रहे हैं उन्हें जवाबदेह ठहराना चाहिए।

तालिबानी दबाव

अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जा लगातार बढ़ता जा रहा है। नवीनतम समाचारों के अनुसार कम से कम तीन प्रांतों की राजधानियों पर तालिबान का नियंत्रण हो गया है। अमेरिकी और अफगान वायुसेनाएं हालांकि तालिबानी ठिकानों पर हवाई हमले कर रही हैं, पर नागरिक आबादी के बीच में आ जाने के उन्हें अपने हमलों में सावधानी बरतनी पड़ रही है। लड़ाई ने आम नागरिकों के हताहत होने को लेकर चिंता बढ़ गई है। दक्षिणी अफगानिस्तान के हेलमंड प्रांत की प्रांतीय परिषद के एक सदस्य ने बताया कि प्रांत में हवाई हमलों में एक स्वास्थ्य क्लिनिक और एक हाई स्कूल को क्षति पहुँची है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ अहमद खान वेयार ने बताया कि स्वास्थ्य क्लिनिक पर हवाई हमले में एक नर्स की मौत हो गई और एक गार्ड जख्मी हो गया।

उत्तरी कुंदुज प्रांत में तालिबान के लड़ाकों को और बढ़त मिली है। रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि लश्करगाह शहर पर हवाई हमले किए गए हैं। उसने कहा कि बलों ने तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाया है जिनमें 54 लड़ाके मारे गए हैं और 23 अन्य जख्मी हुए हैं। लश्करगाह के आसपास भीषण लड़ाई हो रही है और अमेरिका तथा अफगान सरकार की वायु सेनाएं शहर पर हमले कर रही हैं। तालिबान ने शहर के 10 में से नौ पुलिस जिलों पर कब्जा कर लिया है।

हेलमंड प्रांतीय परिषद के उपाध्यक्ष माजिद अखुंद ने कहा कि शनिवार देर शाम किए गए हवाई हमले में एक चिकित्सा-क्लिनिक और स्कूल बमबारी की चपेट में आए हैं। तालिबानी हमलों के जवाब में अफगान सुरक्षा बलों ने हमले किए हैं और अमेरिका की मदद से हवाई हमले किए हैं।

अहमद रशीद के इस इंटरव्यू को भी देखना चाहिए। इनकी बात से लगता है कि तालिबान की सफलता के पीछे पाकिस्तान है। 


 

 

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