अफगानिस्तान को लेकर कतर की राजधानी दोहा में दो दिन से चल रही अलग-अलग वार्ताएं भी पूरी हो गईं और उनका परिणाम विश्व-समुदाय की इस उम्मीद के रूप में सामने आया है कि प्रांतीय राजधानियों पर हो रहे हमले फौरन रोके जाएं और बातचीत के जरिए शांति-प्रक्रिया को बढ़ाया जाए। अमेरिका, चीन और कुछ दूसरे देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता के बाद जारी बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान में ताकत के जोर पर बनाई गई सरकार को दुनिया का कोई भी देश मान्यता नहीं देगा। इस प्रक्रिया में अफगान सरकार और तालिबान-प्रतिनिधियों से बातचीत भी की गई। एक्सटेंडेड ट्रॉयका की इस बैठक में पाकिस्तान, ईयू और संरा प्रतिनिधि भी शामिल थे।
वार्ता के बाद जारी बयान में कहा गया है कि प्रांतीय
राजधानियों पर हमलों और हिंसा को फौरन रोका जाना चाहिए। दोनों पक्षों को बैठकर
राजनीतिक-समझौता करना चाहिए। इस वार्ता के दौरान और उसके अलावा बाहर भी
अफगानिस्तान सरकार ने कहा है कि हम तालिबान सत्ता में भागीदारी के लिए तैयार हैं।
वार्ता में शामिल विश्व-समुदाय के प्रतिनिधियों ने कहा है कि यदि दोनों पक्ष
शांतिपूर्ण-समझौते पर राजी होंगे, तब देश के पुनर्निर्माण के लिए सहायता दी जाएगी।
उधर बीबीसी संवाददाता सिकंदर किरमानी ने
तालिबान के अधीन-क्षेत्रों का दौरा करने के बाद लिखा है कि तालिबान ने कहा,
अगर पश्चिमी संस्कृति नहीं छोड़ी, तो हमें उन्हें मारना होगा।
किरमानी ने लिखा है, अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की वापसी के बाद से तालिबान हर दिन नए
क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच जो लोग सबसे
ज्यादा प्रभावित हैं, वो है यहाँ की आम जनता, जो काफ़ी डरी हुई है। हाल के सप्ताहों में लाखों आम अफ़ग़ान नागरिकों ने
अपना घर छोड़ दिया है। सैकड़ों लोग या तो मारे गए हैं या घायल हुए हैं।
जर्मन रेडियो के अनुसार एक सुरक्षा सूत्र ने बताया कि पहाड़ियों से घिरी राजधानी काबुल में आने जाने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं। रॉयटर्स एजेंसी से इस सूत्र ने कहा, "इस बात का डर है कि खुदकुश हमलावर शहर के राजनयिक दफ्तरों वाले इलाकों में घुसकर हमला कर सकते हैं ताकि वे लोगों को डरा सकें और सुनिश्चित कर सकें कि जल्द से जल्द सारे लोग चले जाएं।” संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पिछले एक महीने में एक हजार से ज्यादा आम नागरिकों की मौत हो चुकी है। रेड क्रॉस ने कहा है कि सिर्फ इस महीने में 4,042 घायल लोगों का 15 अस्पतालों में इलाज हुआ है।
ज़ीन्यूज़ ने एएफपी की रिपोर्ट का हवाला देते
हुए लिखा है कि शुक्रवार को तालिबान ने दावा किया कि उसने एक और प्रांतीय राजधानी
कंधार पर कब्जा कर लिया है। अब सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी काबुल उससे बची हुई है। काबुल
के बाद कंधार ही अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। कंधार फतह करने से पहले
गुरुवार को तालिबान ने दो और प्रांतीय राजधानी गजनी और हेरात पर कब्जा कर लिया था।
इस तरह से आतंकवादी संगठन अब तक 12 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुका है। अब
उसका अगला टारगेट राजधानी काबुल है। तालिबानी काबुल से महज 130 किलोमीटर दूर हैं। तालिबान
ने अबतक जरांज, शबरग़ान, सर-ए-पुल,
कुंदुज, तालोकान, ऐबक,
फराह, पुल ए खुमारी, बदख्शां,
गजनी, हेरात और कंधार पर कब्जा कर लिया है। लश्करगाह
में भीषण लड़ाई जारी है।
उधर, अमेरिका काबुल
में दूतावास से कुछ और कर्मियों को वापस लाने के लिए अतिरिक्त सैनिक भेजने वाला है।
एक अधिकारी ने को इसकी जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि ये सैनिक अफगानिस्तान से
अमेरिकी नागरिकों की वापसी में मदद करेंगे। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने घोषणा
की कि अमेरिकी रक्षा विभाग काबुल से एम्बैसी के कर्मचारियों को निकालने के लिए
अफगानिस्तान में सेना भेजेगा। उन्होंने कहा अगले 24-48 घंटों में काबुल हवाई अड्डे
पर तीन बटालियनों को ट्रांसफर किया जाएगा, जिनमें लगभग 3,000 सैनिक होंगे।
पाकिस्तानी पत्रकार नजम सेठी के इस विश्लेषण को भी देखें
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