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Thursday, August 12, 2021

संसदीय कर्म का ह्रास, जिम्मेदार कौन?


इस सप्ताह जिस मॉनसून-सत्र का समापन हुआ है, उसे पिछले दो दशक में लोकसभा के तीसरे सबसे कम और राज्यसभा में आठवें सबसे कम उत्पादक सत्र के रूप में याद किया जाएगा। संसदीय-कर्म के इस विचलन और विद्रूप के पीछे सरकार और विरोधी-दलों दोनों को जिम्मेदार माना जाना चाहिए। यानी मोटे तौर पर यह भारतीय-राजनीति का विद्रूप है, जो अक्सर दिखाई पड़ता है। सत्र समापन के बाद दोनों पक्षों के राजनेताओं का मुस्कराते हुए नजर आना क्या कहता है?

19 जुलाई से शुरू हुआ इस सत्र का समापन अपने निर्धारित समय से दो दिन पहले 11 अगस्त को हो गया। यह सत्र शुरू होने के पहले मीडिया में पेगासस जासूसी को लेकर एक खबर प्रकाशित हुई थी, जिसपर संसद में विचार के लिए विरोधी-दलों ने माँग की। सरकार ने इस माँग को स्वीकार नहीं किया, जिसके कारण विरोधी-दलों ने पेगासस, किसान-कानूनों तथा महंगाई (खासतौर से पेट्रोल की कीमतों) को लेकर संसद को चलने नहीं दिया।

राज्यसभा में कुछ विपक्षी सांसदों के आचरण को लेकर सभापति एम वेंकैया नायडू इतने आहत हुए कि उन्होंने बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही बयान पढ़कर इसकी भर्त्सना की। इस दौरान वे भावुक हो गए और लगभग रो पड़े। माना जा रहा है कि मंगलवार को सदन में हंगामा करने वाले विपक्षी-सदस्यों के खिलाफ वे कार्रवाई कर सकते हैं। सदन में कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने राज्यसभा में मेज पर खड़े होकर रूल बुक फेंक दी। वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने जमीन पर बैठकर नारेबाजी की। 

बुधवार को सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने एक दिन पहले की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि कल जो कुछ सदन में हुआ, उसकी निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मेरे पास इस कृत्य की निंदा करने के लिए कोई शब्द नहीं है। मुझे रात भर नींद नहीं आई। संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे जैसे विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थल हैं, वैसे ही देश के लोकतंत्र का मंदिर है हमारी संसद। टेबल एरिया, जहां महासचिव और पीठासीन पदाधिकारी बैठते हैं, उसे सदन का गर्भगृह माना जाता है। नायडू ने हंगामे का संदर्भ देते हुए कहा कि सदस्य सरकार को अपनी मांग को लेकर बाध्य नहीं कर सकते। इससे पहले राज्यसभा के नेता-प्रतिपक्ष के चैंबर में राज्यसभा और लोकसभा के विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई। कहा जा रहा है कि विपक्षी सांसदों ने अपनी आगे की रणनीति पर चर्चा की।

उधर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सत्र-समापन के बाद बुधवार को पक्ष और विपक्ष के नेताओं के साथ अपने संसद के कक्ष में बैठक की। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दोनों एक साथ नजर आए। बैठक में पीएम मोदी और सोनिया गांधी बगल के सोफे पर बैठे थे। बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और तृणमूल कांग्रेस, अकाली दल, वाईएसआर कांग्रेस और बीजद के नेता भी मौजूद थे।

सत्र के दौरान एक-दूसरे के प्रति कटुता दिखाने वाले सभी नेता ओम बिरला के कक्ष में मुस्कराते हुए नजर आए। सूत्रों का कहना है कि अध्यक्ष ने सभी दलों से भविष्य में सदन के कामकाज में सहयोग करने का आग्रह किया। बता दें कि सत्र के दौरान गतिरोध के लिए सरकार और विपक्षी दल एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे. विपक्ष ने पेगासस स्नूपिंग स्कैंडल, तेल की कीमतों और कोविड संकट सहित कई मुद्दों पर विरोध किया. विपक्ष ने सरकार पर बिना चर्चा के बिलों को पास करने का आरोप लगाया.

पत्रकारों से बात करते हुए, अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा ने महीने भर के सत्र में केवल 21 घंटे काम किया और इसकी उत्पादकता 22 प्रतिशत रही। मैं इस बात से आहत हूं कि सदन की कार्यवाही इस सत्र में अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई. मैं हमेशा यह देखने का प्रयास करता हूं कि सदन में अधिकतम कार्य हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो, लेकिन इस बार लगातार रुकावट आ रही थी. इसे हल नहीं किया जा सका।  

पीआरएस संसदीय रिसर्च के अनुसार लोकसभा में उत्पादकता 21 प्रतिशत और राज्यसभा में 29 प्रतिशत रही। 



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