सोमवार 9 अगस्त को कपिल सिब्बल के घर पर विरोधी-नेताओं की बैठक चर्चा का विषय बन गई है। 15 पार्टियों के क़रीब 45 नेता रात्रिभोज के लिए कपिल सिब्बल के घर पर जमा हुए। इनमें कुछ सांसद भी थे। इसके एक दिन पहले ही कपिल सिब्बल का 73वाँ जन्मदिन मनाया गया था। माना जाता है कि सोनिया गांधी को लिखे गए 23 नेताओं के पत्र के पीछे कपिल सिब्बल प्रमुख प्रस्तावक थे। उन्हें उन नेताओं में शुमार किया जाता है जो राहुल गांधी के तौर-तरीकों से असहमत हैं। इस बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर सुगबुगाहट है कि इस तरह से बैठक बुलाना क्या सही था?
हर रंग के विरोधी
बैठक में शामिल नेताओं में लालू यादव, शरद पवार, अखिलेश यादव, पी
चिदंबरम, डेरेक ओ’ब्रायन, कल्याण बनर्जी, सीताराम येचुरी, डी
राजा और संजय राउत, डीएमके के तिरुचि शिवा, जयंत
चौधरी, उमर अब्दुल्ला शामिल थे। इनके अलावा बीजेडी के पिनाकी मिश्रा, अकाली दल के नरेश गुजराल, और आम आदमी
पार्टी के संजय सिंह भी शामिल हुए। टीडीपी, टीआरएस
और वाईएसआर कांग्रेस और आरएलडी के नेता भी इनमें थे। इनमें वे पार्टियां शामिल
हैं, जो अमूमन विरोधी-दलों बैठकों बुलाई नहीं जातीं या फिर आती नहीं हैं। हाल में
राहुल गांधी ने नाश्ते पर बुलाया था तो आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हुई थी और
बीजेडी, टीडीपी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस को बुलाया नहीं गया था।
राहुल गांधी सोमवार को ही दो दिवसीय दौरे पर कश्मीर गए हैं और इस बीच ये डिनर हुआ है। इतने महत्वपूर्ण नेताओं की बैठक में उनकी अनुपस्थिति अटपटी लगती है। इस डिनर में कांग्रेस के जी-23 के कुछ सदस्य भी शामिल हुए, जिनमें गुलाम नबी आज़ाद, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर, मुकुल वासनिक, पृथ्वीराज चह्वाण और संदीप दीक्षित के नाम प्रमुख हैं। पी चिदंबरम भी मौजूद थे, हालांकि उनकी गिनती जी-23 में नहीं होती।
राहुल से असहमति
बैठक में चली बातचीत के बारे में जो बातें छनकर
बाहर आई हैं, उनके अनुसार बैठक में राहुल गांधी को लेकर नाराजगी व्यक्त की गई। बताते
हैं कि कपिल सिब्बल ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस के सिपाही
होने के नाते हम चाहते हैं कि बीजेपी के खिलाफ एक मज़बूत मोर्चा बने। सिब्बल की
बात का सभी नेताओं ने समर्थन किया। बैठक में कहा गया कि एकता को मजबूत करने के लिए
ऐसी बैठकें और आयोजित की जानी चाहिए। हमें भाजपा को 2022 में पहले उत्तर प्रदेश
में और फिर 2024 के आम चुनाव में हराना है।
सिब्बल की शुरुआती टिप्पणी के बाद सभी नेताओं
ने कहा कि उन्हें 2022 में उत्तर प्रदेश में और फिर 2024 के लोकसभा चुनावों में
भाजपा को हराने के लिए एक साथ आना होगा। सबसे लम्बी बात शरद पवार ने की। उन्होंने
कहा, मैं आपसे सहमत हूं। आप जो पार्टी के भीतर और बाहर जो भी मुद्दे उठाते हैं वे
सही हैं। इस पर सिब्बल ने कहा कि पार्टी के भीतर जो बातें हम उठाते हैं वह अलग
मामला है, लेकिन यहां सवाल विपक्षी एकता का है।
बहुत दिन बाद लालू
जेल से छूटने और स्वस्थ होने के बाद लालू यादव
का यह पहला सामूहिक डिनर था। उन्होंने भी सिब्बल से सहमति जताते हुए विपक्षी एकता
को मज़बूत करने की दिशा में क़दम उठाने की जरूरत बताई और कहा कि यहां बैठे लोगों
की वे ताकत हैं। हम जब भी मुश्किल में आते हैं तो सिब्बल साहेब को याद करते हैं।
कांग्रेस पार्टी इन लोगों के अनुभव का फ़ायदा उठाए।
पिनाकी मिश्रा ने कहा कि बीजेडी कई मुद्दों पर
कांग्रेस के साथ होना चाहती है, हमें पता नहीं कि बात किससे की जाए। अखिलेश यादव
ने कहा कि विपक्ष को कपिल सिब्बल, ग़ुलाम नबी आज़ाद और भूपेन्द्र सिंह
हुड्डा के अनुभव का फायदा उठाना चाहिए। अकाली दल की तरफ़ से कहा गया कि किसानों के
मुद्दे पर हम एकजुट हैं। वाईएसआर की तरफ़ से कहा गया कि हम देश की बेहतरी के लिए
पुरानी बातों को भूलने को तैयार हैं। सबने अहमद पटेल को भी याद किया और कहा कि
उनकी कमी खलती है। इस सब बातों के बीच सिब्बल और जी-23 के नेता कहते रहे कि हम सभी
कांग्रेस के सिपाही हैं।
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