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Friday, June 4, 2021

संधारणीय विकास में केरल सबसे आगे, सुधार के बावजूद बिहार सबसे पीछे

इंडियन एक्सप्रेस से साभार

संयुक्त राष्ट्र के 2030 के संधारणीय विकास लक्ष्यों के बरक्स भारत का नीति आयोग सभी राज्यों में हुए विकास के संकेतकों के सूचकांक को जारी करता है। भारत सूचकांक-2020-21 में केरल ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है तो बिहार ने सबसे ख़राब। अलबत्ता बिहार, असम और उत्तर प्रदेश ने पिछली रैंकिंग के मुक़ाबले अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। सतत विकास लक्ष्यों के इस सूचकांक (एसडीजी-इंडेक्स) में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गुरुवार को भारत-एसडीजी सूचकांक का तीसरा संस्करण जारी किया। केवल केंद्र शासित प्रदेशों में 79 अंक के साथ चंडीगढ़ शीर्ष पर रहा, जिसके बाद 68 अंक के साथ दिल्ली का स्थान रहा। राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी का औसत स्कोर 2020-21 में छह अंकों के सुधार के साथ 60 से बढ़कर 66 अंक हो गया है। नीति आयोग के अनुसार देश भर में मुख्य रूप से स्वच्छ जल एवं स्वच्छता और सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रदर्शन से प्रेरित होकर लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास किया गया।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट हमारे एसडीजी प्रयासों के दौरान तैयार की गई साझेदारी और उसकी मजबूती को दर्शाती है। इससे पता चलता है कि किस तरह मिलकर की गई पहलों के जरिए बेहतर नतीजे पाए जा सकते हैं।' नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने साझेदारियों की थीम को लेकर कहा, 'यह साफ है कि साथ मिलकर हम एक ज्यादा मजबूत और सतत भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जिसमें कोई पीछे नहीं छूटेगा।'

हिन्दू से साभार

अंकों के लिहाज से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शीर्ष पाँच स्थानों में 75 अंक पाकर केरल ने पहला स्थान हासिल किया है। 74 अंकों के साथ हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं। 52 अंकों के साथ बिहार सबसे आख़िरी पायदान पर है जबकि 56 अंकों के साथ झारखंड और 57 अंकों के साथ असम उसके ऊपर हैं।  

जहां 2019 में 65 से 99 अंक का स्कोर हासिल करने वाले सबसे आगे रहने वाले राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में 10 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश शामिल थे, वहीं इस बार इसमें 12 और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने इसमें जगह बनाई। उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, मिजोरम, पंजाब, हरियाणा, त्रिपुरा, दिल्ली, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने 65 से 99 अंक के दायरे में स्कोर हासिल कर दौड़ में आगे रहने वाले राज्यों का स्थान प्राप्त किया।

पिछली बार के मुक़ाबले इसबार किसी भी राज्य को 50 से कम अंक नहीं मिले हैं। 50 से कम अंक लाने वाले राज्यों को आकांक्षी (Aspirants) राज्यों की श्रेणी में रखा जाता है। पिछली बार (2019-20) में बिहार, उत्तर प्रदेश और असम इस श्रेणी में थे। अपने प्रदर्शन को सुधारते हुए इस बार 50 से ऊपर अंक लाकर ये राज्य कर्ता (Performer) राज्यों की श्रेणी में आ गए हैं।

इस रैंकिंग में 0-49 अंक लाने पर आकांक्षी, 50-64 अंक लाने पर कर्ता, 65-99 अंक लाने वाले राज्यों को अग्रणी या फ्रंट रनर और 100 अंक लाने वाले राज्यों को सफल या विजेता (Achiever) राज्यों की श्रेणी में रखा जाता है। अभी तक कोई भी राज्य सफल राज्य की श्रेणी तक नहीं पहुंचा है। इसबार सबसे ज़्यादा सुधार करने वाले राज्यों में हरियाणा, उत्तराखंड और मिजोरम हैं।

नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र (UN) की भारतीय शाखा के साथ मिलकर 2018 में सतत विकास लक्ष्य सूचकांक की शुरुआत की थी। इस इंडेक्स को सतत विकास लक्ष्य के 16 लक्ष्यों को पैमाना बनाकर तैयार किया जाता है। इसमें गरीबी निवारण, भूख को ख़त्म करना, स्वास्थ्य और जन-कल्याण, शिक्षा की गुणवत्ता, साफ़ पानी और सफ़ाई, साफ़ ऊर्जा और लैंगिक समानता जैसे लक्ष्य शामिल हैं। दरिद्रता-निवारण में तमिलनाडु और दिल्ली पहले पायदान पर हैं जबकि भूख को ख़त्म करने के मामले में केरल और चंडीगढ़ सबसे आगे हैं।  अच्छे स्वास्थ्य के लक्ष्य के मामले में गुजरात और दिल्ली ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।

स्वास्थ्य क्षेत्र के लक्ष्यों के लिहाज से गुजरात और दिल्ली क्रमशः राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सूची में पहले स्थान पर रहे, वहीं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र की दोनों श्रेणियों में क्रमशः केरल और चंडीगढ़ सबसे ऊपर रहे। दरिद्रता-निवारण के तहत तमिलनाडु और दिल्ली शीर्ष पर थे। विषमताओं में कमी के मामले में मेघालय और चंडीगढ़ ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। दोनों को 100 अंक मिले।

इस सूचकांक की शुरुआत दिसंबर 2018 में हुई थी और यह देश में एसडीजी पर प्रगति की निगरानी के लिए प्रमुख माध्यम बन गया है। इसके पहले संस्करण 2018-19 में 13 उद्देश्य, 39 लक्ष्यों और 62 संकेतकों को शामिल करके बेसलाइन रिपोर्ट तैयार की गई थी। इस सूचकांक का निर्माण 17 में से 13 एसडीजी (लक्ष्य 12, 13, 14 और 17 को छोड़कर) में किया गया था। अब इस तीसरे संस्करण में 17 ध्येय, 70 लक्ष्यों और 115 संकेतकों को शामिल किया गया।

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