दिल्ली में अनलॉक के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है और सरकार को तथा जनता को सावधान करते हुए कहा है कि छोटी सी गलती भी तीसरी लहर को बुलावा देगी। अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मामले की रिपोर्ट भी मांगी है। दिल्ली में अनलॉक के बाद से ही बाजारों में उमड़ी भारी भीड़ के फोटो वॉट्सऐप पर प्रसारित हो रहे हैं। लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में हम बड़ी कीमत अदा कर चुके हैं। ऐसा कोई घर नहीं बचा, जो दूसरी लहर की चपेट में न आया हो।
हाईकोर्ट ने इन तस्वीरों
का स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका शुरू करते हुए केंद्र, दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस को नोटिस
जारी करते हुए स्टेटस रिपोर्ट तलब की है और सुनवाई के लिए 9 जुलाई की तारीख तय की
है। अदालत ने कहा है कि लोगों में डर होना चाहिए, लेकिन डर भीतर से आना चाहिए। यह चेतावनी
केवल दिल्ली के लिए नहीं, पूरे देश के लिए है। इस साल जनवरी-फरवरी में हम इसी तरह
से निर्द्वंद होकर मान बैठे थे कि कोरोना तो गया। पर वह धोखा था। उधर भारत सरकार
के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार सहित स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तीसरी लहर की चेतावनी
दी है। विशेषज्ञों ने कहा है कि लोग एहतियात
नहीं बरतेंगे, तो हालात फिर से खराब हो जाएंगे।
दूसरी
लहर काबू में
सच यह भी है कि कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ी है। इस हफ्ते नए मामलों का साप्ताहिक औसत साठ हजार के आसपास है, जो अगले हफ्ते पचास हजार के आसपास आने की उम्मीदें हैं। सक्रिय केसों की देश में संख्या साढ़े सात लाख के आसपास है, जिसमें तेज गिरावट है। उत्तर भारत में संक्रमण का असर काफी कम हुआ है, पर दक्षिण में अभी असर है। पर यह गिरावट लॉकडाउन और एहतियात का परिणाम है। हम फिर से बेखबर होंगे, तो महामारी का अगला हमला और ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी
तीसरी लहर से निपटने की तैयारी करने के लिए सरकार को निर्देश दिए हैं। 'क्रैश कोर्स' के जरिए नए फ्रंटलाइन वर्कर्स तैयार
करना और हर जिले में ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
सरकार की कोशिश अगले दो-तीन महीनों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका
लगाने की है।
उधर प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कह कि कोरोना वायरस हमारे बीच से गया नहीं है,
यह अभी मौजूद है। उसका म्यूटेंट नए रूप
में भी आ सकता है। उन्होंने कहा, टीकाकरण में अभी 45 साल से ऊपर के व्यक्तियों को
जिस तरीके की सहूलियत दी जा रही है वैसी ही सहूलियत 21 जून से 45 साल से कम उम्र
वाले लोगों को भी मिलेगी।
द.अफ्रीका
में खतरा
दक्षिण अफ्रीका में
आधिकारिक रूप से कोविड-19 की तीसरी लहर चल रही है। वहाँ अब एक्टिव केसों की संख्या
एक महीने के भीतर दुगनी हो रही है और पॉज़िटिविटी रेट 16 प्रतिशत के आसपास पहुँच
गया है, जो कुछ दिन पहले तक 9 प्रतिशत था। सारी दुनिया में तीसरी लहर को डर पैदा
हो गया है। ब्रिटेन में भी तीसरी लहर के शुरूआती संकेत हैं।
दक्षिण अफ्रीका के
राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर के मद्देनज़र महामारी को
फैलने से रोकने के लिए लगाई पाबंदियां और सख्त करने की घोषणा की है। दक्षिण
अफ्रीका के नौ में से चार प्रांतों में महामारी की तीसरी लहर के मामले आने पहले ही
शुरू हो गए और अन्य प्रांतों में भी संक्रमण फैल रहा है। दुनिया के किसी भी कोने
में बीमारी का फैलना हमारे लिए अशुभ संकेत है, क्योंकि भारतवासियों का दुनिया के
हर कोने से सम्पर्क है।
विश्व स्वास्थ्य
संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने शुक्रवार को एक संवाददाता
सम्मेलन में कहा कि डेल्टा वेरिएंट अपनी बढ़ी हुई संक्रामक क्षमता के साथ दुनिया
भर में कोरोना महामारी फैलाने के लिए जिम्मेदार बनता जा रहा है। यही वेरिएंट भारत
में सबसे पहले मिला था। ब्रिटेन में डेल्टा वैरिएंट तेजी से पाँव पसार रहा है। वहाँ
सात दिन में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 33,630 हो गई है
जबकि कुल मरीजों का आंकड़ा 75,953 हो गया है। ब्रिटेन में कोरोना के 99 फीसदी
मामले डेल्टा वैरिएंट के हैं। पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड (पीएचई) के अनुसार टीके के दो
डोज डेल्टा वेरिएंट की चपेट में आने के बाद अस्पताल में भरती होने के खतरे से 90
फीसदी तक बचाते हैं। लोग बिना किसी भ्रम के जल्द से जल्द टीका लगवाएं। डेल्टा वेरिएंट
श्रीलंका में भी मिला है। अंदेशा है कि शरद यानी अक्तूबर-नवंबर में जर्मनी में यह
वेरिएंट प्रभावी होगा। जर्मनी के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण प्रमुख ने लोगों से अपील
की है कि वे मास्क का उपयोग करें और जल्द से जल्द टीका लगवा लें।
तीसरी
तिमाही
समाचार एजेंसी
रॉयटर्स ने दुनिया के स्वास्थ्य-विशेषज्ञों के एक सर्वे से निष्कर्ष निकाला है कि भारत
में तीसरी लहर अक्तूबर में आ सकती है। इसमें माना गया है कि इस बार इसे ठीक से
नियंत्रित किया जा सकेगा और महामारी एक और साल के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए
ख़तरा रहेगी।
दुनिया के चालीस विशेषज्ञों
के बीच 3 से 17 जून के बीच हुए सर्वे में सामान्य निष्कर्ष है कि टीकाकरण के कारण
ताज़ा लहर में थोड़ी सुरक्षा रहेगी। सर्वे में शामिल 85 फीसदी विशेषज्ञों का कहना
है कि अगली लहर अक्तूबर में आएगी जब कि तीन का कहना है कि यह अगस्त के शुरू में और
सितंबर के मध्य में हो सकती है। तीन मानते हैं कि यह नवंबर से फ़रवरी के बीच में आ
सकती है।
अलबत्ता 70 फ़ीसदी
विशेषज्ञ मानते हैं कि कोई भी नई लहर इस बार पिछले की तुलना में अच्छी तरह से नियंत्रित
होगी। एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुसार, यह काफी नियंत्रित होगी और
मामले बहुत कम होंगे क्योंकि अधिक टीकाकरण हो चुका होगा और दूसरी लहर से बहुत हद
तक प्राकृतिक इम्युनिटी भी आ चुकी होगी। सर्वे में पूछा गया कि 18 साल या उससे कम
उम्र के बच्चों को ज्यादा ख़तरा होगा तो 40 में से 26 ने इसका जवाब हाँ में दिया, लेकिन
14 विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को ख़तरा नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि बच्चों को संक्रमण हो सकता है, पर विश्लेषण बताता है
कि उनके स्वास्थ्य पर कम ख़तरा है।
तीन
जरूरी काम
तीसरी लहर आए या न आए
हमें तीन काम जरूर करने चाहिए। 1. चिकित्सा सेवाओं जैसे एंबुलेंस, ऑक्सीजन, ज़रूरी दवाओं और अस्पताल में इलाज की
कीमत पर सीमा निर्धारित होनी चाहिए और एक पारदर्शी राष्ट्रीय मूल्य नीति बनानी
चाहिए। अस्पताल में इलाज कराना लोगों की जेब पर भारी नहीं पड़ना चाहिए और इसका
खर्च मौजूदा स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को उठाना चाहिए। 2. वैक्सीनेशन की गति बढ़ानी
चाहिए। वैक्सीन की आपूर्ति के साथ इसका दायरा बढ़ाना चाहिए। अभी हम हर रोज 30-35
लाख टीके लगा रहे हैं। इसे 70 लाख से एक करोड़ के स्तर पर ले जाना चाहिए।
यह काफी मुश्किल काम
है, क्योंकि वैक्सीन उपलब्ध हो, तब भी लोग आगे नहीं आएंगे, तो लक्ष्य पूरा नहीं
होगा। देहाती इलाकों में गलतफहमियाँ हैं। 3.जनता को जागरूक बनाने के प्रयासों में
तेजी लानी चाहिए। चाहे वह टीकाकरण के लिए हो या ‘मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग’ के लिए। इन बातों के अलावा समाज के
कमजोर तबकों को संरक्षण देने के प्रयास लगातार होने चाहिए। अर्थव्यवस्था के पहिए
को रोका नहीं जा सकता, इसलिए अगला एक साल चुनौतियों से भरा है। हमारे प्रयास सफल
हुए तो यकीनन तीसरी लहर कभी नहीं आएगी।
आँखें खोलती सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई आदरणीय।
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