गत 31 मार्च को खत्म
हुई वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 1.6 फीसदी रही। इस
प्रकार पूरे साल में कुल संकुचन -7.3 फीसदी रहा, जो प्रारंभिक अंदेशों की तुलना
में अर्थव्यवस्था के बेहतर स्वास्थ्य का संकेत दे रहा है। सन 2019-20 में जीडीपी
की संवृद्धि 4.0 फीसदी रही थी। भारत सरकार ने यह जानकारी दी है। चौथी तिमाही की
ग्रोथ अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 0.5 फीसदी की संवृद्धि से बेहतर रही।इन परिणामों के आने के पहले
विभिन्न एजेंसियों ने जो अनुमान
लगाए थे, वे इस प्रकार थे।
सकल घरेलू उत्पाद 2019-20
की जनवरी-मार्च अवधि में संवृद्धि 3 फीसदी थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO)
के अनुसार 2019-20 में वार्षिक संवृद्धि
4 फीसदी थी। NSO ने
इस साल जनवरी में जारी हुए राष्ट्रीय अकाउंट्स के पहले अग्रिम अनुमान में 2020-21
में जीडीपी में 7.7 फीसदी के संकुचन का आकलन किया था। NSO ने अपने दूसरे संशोधित अनुमान में 8
फीसदी की गिरावट का आकलन जताया था। यानी परिणाम सरकार के अनुमान से बेहतर रहे।
विनिर्माण
क्षेत्र का अच्छा प्रदर्शन
चौथी तिमाही में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ 14 फीसदी और यूटिलिटी सेक्टर की ग्रोथ 9.1 फीसदी रही। यूटिलिटी में गैस, बिजली, पानी की सप्लाई आती है। दूसरी तरफ सर्विसेज में 2.3 फीसदी की गिरावट आई। सर्विसेज में होटल, ट्रेड और ट्रांसपोर्ट जैसी चीजें आती हैं। हालांकि, कंस्ट्रक्शन और यूटिलिटी क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से पिछले वित्त वर्ष जीडीपी में अनुमान से कम गिरावट आई।
तीसरी
तिमाही से सुधार
पिछले वित्त वर्ष की
तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था फिर से संवृद्धि के रास्ते पर लौट आई थी। दिसंबर
तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 0.5 फीसदी थी। पहली तिमाही में करीब 24 फीसदी और दूसरी
तिमाही में 7.5 फीसदी का संकुचन हुआ था।
दूसरी
लहर का असर
माना जा रहा है कि
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी पर कोरोना की दूसरी लहर की मार पड़ेगी।
इस वजह से पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया गया है। ग्रोथ के
रास्ते पर लौट रही अर्थव्यवस्था को कोरोना की दूसरी लहर ने प्रभावित किया है।
हालांकि, दूसरी लहर का असर
सिर्फ अप्रैल-जून तिमाही पर ही रहेगा।
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