कोरोना की दूसरी लहर को लेकर कई प्रकार की आशंकाएं हैं। हम क्या करें? वास्तव में संकट गहरा है, पर उसका सामना करना है। क्या बड़े स्तर पर लॉकडाउन की वापसी होगी? पिछले साल कुछ ही जिलों में संक्रमण के बावजूद पूरा देश बंद कर दिया गया था। दुष्परिणाम हमने देख लिया। तमाम नकारात्मक बातों के बावजूद बहुत सी सकारात्मक बातें हमारे पक्ष में हैं। पिछले साल हमारे पास बचाव का कोई उपकरण नहीं था। इस समय कम से कम वैक्सीन हमारे पास है। जरूरत निराशा से बचने की है। निराशा से उन लोगों का धैर्य टूटता है, जो घबराहट और डिप्रैशन में हैं।
लॉकडाउन
समाधान नहीं
लॉकडाउन से कुछ देर के लिए राहत मिल सकती है, पर वह समाधान नहीं है। अब सरकारें आवागमन और अनेक गतिविधियों को जारी रखते हुए, ज्यादा प्रभावित-इलाकों को ‘कंटेनमेंट-ज़ोन’ के रूप में चिह्नित कर रही हैं। अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने हाल में लिखा है कि पिछले साल के लॉकडाउन ने सप्लाई चेन को अस्त-व्यस्त कर दिया, उत्पादन कम कर दिया, बेरोजगारी बढ़ाई और करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी छीन ली। सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा था। पिछले साल के विपरीत प्रभाव से मजदूर अभी उबरे नहीं हैं।
मुख्य आर्थिक सलाहकार
केवी सुब्रमण्यन के अनुसार भारत की व्यवस्था और अर्थव्यवस्था पिछले साल से बेहतर
स्थिति में है। इसकी वजह है कि टीका विकसित किया जा चुका है और टीकाकरण का काम चल
रहा है। पहला मकसद जिंदगियां बचाना है। महाभारत के अनुसार संकटग्रस्त जीवन को
बचाना धर्म का मूल है। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
धर्मगुरुओं से आग्रह किया है कि समय को देखते हुए वे कुंभ को प्रतीकात्मक बनाएं।
यह महत्वपूर्ण संदेश है।
लापरवाही
की देन
पिछले साल 16 सितंबर
को एक दिन में अधिकतम संक्रमण 97,894 होने के बाद इसमें कमी आने लगी और फरवरी में यह
संख्या 10 हजार से भी नीचे पहुँच गई। 16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन भी शुरू हो
गया। लोगों को लगा कि कोरोना खत्म हुआ। शुरू में वैक्सीन के प्रति वितृष्णा भी
पैदा की गई। दूसरे देशों में संक्रमण की दूसरी और तीसरी लहर आई, पर हमारे यहाँ
लोगों की लापरवाही बढ़ती चली गई।
मार्च के महीने में
कहानी बदल गई। संक्रमण के मामलों के 20,000 से 40,000 होने में आठ दिन लगे,
80,000 होने में 14 दिन और वहां से 1.60
लाख होने में सिर्फ 10 दिन। इतनी तेजी से संक्रमण बढ़ता रहा, तो स्थिति क्या होगी,
इसकी कल्पना करना मुश्किल है। सरकारी व्यवस्था कितनी भी मुकम्मल हो उसे चरमराने
में देर नहीं लगती है।
अगले चार सप्ताह काफी
अहम हैं। वैक्सीनेशन की वैश्विक गणना करने वाली वैबसाइट के अनुसार 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोविड-19 के
टीके लगाए गए हैं। इनमें 12
करोड़ से ज्यादा भारत में लगे हैं। भारत में हालांकि अमेरिका और चीन और ब्रिटेन के
बाद टीकाकरण शुरू हुआ है, पर
10 करोड़ की संख्या पार करने में भारत ने सबसे कम 85 दिन का समय लगाया, जबकि अमेरिका में 89 और चीन में 102 दिन
लगे।
तेज
टीकाकरण
भारत में इस समय हर
रोज औसतन 38 लाख से ज्यादा टीके लग रहे हैं। कुल वैक्सीनेशन के दृष्टिकोण से भारत
का स्थान दुनिया में इस समय तीसरा है और जिस गति से टीकाकरण हो रहा है, उम्मीद है कि हम शेष विश्व को पीछे छोड़
देंगे। तेज टीकाकरण के साथ-साथ चिकित्सा-व्यवस्था, वेंटीलेटर और ऑक्सीजन की
आपूर्ति बढ़ानी होगी। पिछले साल हमारी वेंटीलेटर-व्यवस्था कमजोर थी, अब उतनी कमजोर
नहीं है।
अखिल भारतीय
आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने 12 अप्रेल को एक
वर्चुअल-सम्मेलन में कहा कि दूसरी लहर आने की वजह यह है कि हम कोविड-19 से जुड़े
सेफ्टी-प्रोटोकॉल का पालन करने में कोताही बरतने लगे थे। यूरोप में भी यही हुआ था।
नए वेरिएंट की मृत्युदर ज्यादा नहीं है। पिछले के मुकाबले यह वेरिएंट ज्यादा
संक्रमित करता है लेकिन मृत्युदर उतनी ज्यादा नहीं है। भले ही संक्रमण बढ़ा है,
पर भारत की स्थिति यूरोप के बहुत से
देशों से बेहतर है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के अनुसार, हमारी मृत्यु दर 1.27 प्रतिशत है,
जो दुनिया में सबसे कम है।
और उसकी उपलब्धता
महाराष्ट्र सरकार ने
हाथ खड़े कर दिए हैं। उसका कहना है कि हमारे पास वैक्सीन कम होती जा रही है।
उन्होंने हर रोज सात लाख टीके लगाने का कार्यक्रम बनाया है। उन्हें हर हफ्ते 40 से
45 लाख डोज़ की जरूरत है। ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र में संक्रमण अपने उच्चतम स्तर
पर पहुँच गया है। वहाँ पिछले दस दिनों से वहाँ संख्या 60 हजार के आसपास है।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल के अनुसार अब महाराष्ट्र में गिरावट आ
सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर 16 अप्रेल को पिछले 24 घंटे में 2 लाख 17 हजार नए
मामले आए थे, जबकि उसके पिछले सात दिन का औसत 1 लाख 75 हजार प्रतिदिन का था। इसमें
कब गिरावट आएगी, यह देखना है।
वैक्सीन की माँग को
देखते हुए केंद्र ने एकसाथ कई कदम उठाए हैं। पहला कदम है रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी
को अनुमति, दूसरे अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और जापान के नियामकों तथा विश्व
स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वीकृत विदेशी वैक्सीनों को भारत में ट्रायल के बगैर
आपातकालीन उपयोग की अनुमति।
सरकार ने स्वदेशी
कोवैक्सीन का उत्पादन दुगना करने के लिए भारत बायोटेक को 65 करोड़ रुपये के अनुदान
की घोषणा की है। इसके साथ ही सार्वजनिक-क्षेत्र के फार्मास्युटिकल उद्योगों को
वैक्सीन से जोड़ा जा रहा है। एक महीने के भीतर कोवैक्सीन का उत्पादन दुगना हो
जाएगा और जुलाई-अगस्त तक छह-सात गुना।
ऑक्सीजन
की सप्लाई
प्रधानमंत्री की
अध्यक्षता में शुक्रवार हुई समीक्षा-बैठक में सर्वाधिक प्रभावित 12 राज्यों में
अगले 15 दिनों में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया गया। इन राज्यों में
20, 25 और 30 अप्रेल की सम्भावित माँग का अनुमान लगाते हुए 4,880, 5619 और 6593
मीट्रिक टन ऑक्सीजन का आबंटन किया गया है। साथ ही मेडिकल ग्रेड की ऑक्सीजन के आयात
की व्यवस्था की गई है।
ऑक्सीजन की उपलब्धता
से ज्यादा बड़ी परेशान उसके परिवहन की है। जरूरत इस बात की है कि देशभर में
ऑक्सीजन के टैंकरों के आवागमन में किसी प्रकार की रुकावट न आने पाए। राज्य-सरकारों
की इसमें भूमिका है।
टीका
लगने पर भी कोरोना!
दिल्ली के सर गंगाराम
अस्पताल में 37 डॉक्टरों के संक्रमित होने की खबर है। ऐसा ही समाचार लखनऊ के
मेडिकल कॉलेज से मिला है। सबको हल्के लक्षण हैं। अस्पताल प्रशासन की ओर से दी गई
जानकारी के मुताबिक इन डॉक्टरों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी है।
विशेषज्ञों के अनुसार
वैक्सीन लगने के बावजूद कोरोना संक्रमित हो सकते है। कोरोना की सभी वैक्सीन
आपातकालीन उपाय के रूप में लगाई जा रही हैं। जो वैक्सीन दस-दस साल के शोध के बाद
लगाई जाती हैं, उनपर
भी यह बात लागू होती है। कोई भी वैक्सीन शत-प्रतिशत प्रभावी नहीं होती। वैक्सीन
लगने के बाद संक्रमित हो सकते है, लेकिन
बीमारी अपेक्षाकृत कम खतरनाक होगी। टीका लगने के बाद भी मास्क पहना, हाथ धोते रहना, भीड़ में कम जाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी
है।
अति उपयोगी। ।।। कोरोना के इस भीषण प्रकोप के समय ऐसी पठन सामग्री की शख्त आवश्यकता है।
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 19-04 -2021 ) को 'वक़्त का कैनवास देखो कौन किसे ढकेल रहा है' (चर्चा अंक 4041) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
उपयोगी पोस्ट
ReplyDeleteसार्थक आलेख।
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