अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अंततः अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी की घोषणा बुधवार को कर दी। उन्होंने कहा कि यह अफगानिस्तान में अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई को खत्म करने का समय आ गया है। यह ऐसी जिम्मेदारी है जिसे मैं अपने उत्तराधिकारी पर नहीं छोड़ना चाहता। उन्होंने देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि अमेरिका इस जंग में लगातार अपने संसाधन झोंक नहीं सकता। इस घोषणा के बाद अब अफगानिस्तान को लेकर वैश्विक राजनीति का एक नया दौर शुरू होगा।
बाइडेन ने इस बात पर जोर दिया है कि उनका प्रशासन अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति-वार्ता का समर्थन करता रहेगा और अफगान सेना को प्रशिक्षित करने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में मदद करेगा। अब 1 मई से सेना को अफगानिस्तान से निकालना शुरू किया जाएगा, पर हम जल्दबाजी नहीं करेंगे। तालिबान को पता होना चाहिए कि अगर वे हम पर हमला करते हैं तो हम पूरी ताकत के साथ अपना और साथियों का बचाव करेंगे। उन्होंने यह भी कहा, हम इस इलाके के अन्य देशों खास तौर पर पाकिस्तान, रूस, चीन, भारत और तुर्की से और समर्थन की उम्मीद रखते हैं। अफगानिस्तान के भविष्य निर्माण में इनकी भी अहम भूमिका होगी। उनके इस बयान में तालिबान को परोक्ष चेतावनी पर ध्यान दें। साथ ही उन्होंने जिन देशों के समर्थन की आशा व्यक्त की है उसमें ईरान का नाम नहीं है।
उन्होंने कहा, अपने सहयोगियों और
साझेदारों, अपने सैन्य नेताओं एवं खुफिया पेशेवरों, अपने राजनयिकों, विकास विशेषज्ञों एवं कांग्रेस और
उपराष्ट्रपति के साथ परामर्श करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि यह
अफगानिस्तान में अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई के समापन का वक्त है, यह अमेरिकी सैनिकों के घर लौटने का समय है।
उन्होंने यह भी कहा कि हम वहां से निकलने में कोई जल्दबाजी नहीं करेंगे।
साथ ही हम अफगानिस्तान में फौजी हस्तक्षेप नहीं करेंगे, पर हमारा राजनयिक एवं
मानवीयता का कार्य जारी रहेगा। अफगानिस्तान सरकार को हम सहयोग देते रहेंगे।
बाइडेन ने कहा कि 20 साल पहले न्यूयॉर्क पर जो नृशंस हमला हुआ था, उसके कारण अमेरिका ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया था, लेकिन अब हम इस
बात की व्याख्या नहीं कर सकते कि हमारी सेना को बीस साल बाद भी अफगानिस्तान में
क्यों रहना चाहिए। मैं अमेरिका का चौथा राष्ट्रपति हूं जिसके कार्यकाल में
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं। दो रिपब्लिकन राष्ट्रपति और दो
डेमोक्रेट। मैं इस जिम्मेदारी को पांचवें राष्ट्रपति के लिए नहीं छोड़ूंगा।
नेटो के महासचिव ने कहा है कि हम अगले कुछ महीनों में अफगानिस्तान से सेना की पूरी वापसी कर लेंगे। अगर तालिबान हमारे सैनिकों पर हमला करता है तो उन्हें करारा जवाब मिलेगा। हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान एक बना रहे।
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