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Friday, March 5, 2021

'फ्रीडम हाउस' की नजर में भारत अब ‘आंशिक-स्वतंत्र देश’




अमेरिकी थिंकटैंक फ्रीडम हाउस ने भारत को स्वतंत्र से आंशिक-स्वतंत्र देशों की श्रेणी में डाल दिया है। यह रिपोर्ट मानती है कि दुनियाभर में स्वतंत्रता का ह्रास हो रहा है, पर उसमें भारत का खासतौर से उल्लेख किया गया है। फ्रीडम हाउस एक निजी संस्था है और वह अपने आकलन के लिए एक पद्धति का सहारा लेती है। उसकी पद्धति को समझने की जरूरत है। भारत का श्रेणी परिवर्तन हमारे यहाँ चर्चा का विषय नहीं बना है, क्योंकि हमने लोकतंत्र और लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं को महत्व अपेक्षाकृत कम दिया है। हम उसके राजनीतिक पक्ष को आसानी से देख पाते हैं। मेरी समझ से फ्रीडम हाउस के स्वतंत्रता-सूचकांक के भी राजनीतिक निहितार्थ हैं। बेशक मानव-विकास, मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों को लेकर देश के भीतर सरकार के आलोचकों की बड़ी संख्या है, पर स्वतंत्रता हमारी बुनियाद में है।

अंग्रेजी के कुछ अखबारों को छोड़ आमतौर पर भारतीय मीडिया में इस रिपोर्ट को लेकर ज्यादा विवेचन हुआ नहीं है। हिंदी के अखबार यों भी गंभीर मसलों पर टिप्पणियाँ करने से बचते हैं। इस रिपोर्ट से हमारे ऊपर सीधे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, पर संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार से जुड़ी संस्थाओं में भारत को निशाने पर लिया जा सकेगा। ऐसा भी नहीं है कि रिपोर्ट में जिन तथ्यों का उल्लेख किया गया है, वे पूरी तरह आधारहीन हैं, पर उनसे जो निष्कर्ष निकाले गए हैं, उनमें कई प्रकार के छिद्र हैं।

आंतरिक राजनीति की प्रतिच्छाया

भारतीय राष्ट्र-राज्य को निशाने पर लेने वाली इस रिपोर्ट में भारत की आंतरिक राजनीति की प्रतिच्छाया भी नजर आती है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र तो है कि भारतीय पुलिस ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया है, पर इस बात का जिक्र नहीं है कि देश की अदालतों ने कई मौकों पर देशद्रोह के आरोपों को लेकर सरकार के विरुद्ध टिप्पणियाँ की हैं। तबलीगी जमात को लेकर आरोप लगे, पर अदालतों ने न केवल पुलिस की आलोचना की, साथ ही मीडिया को भी लताड़ बताई है। यह भी सच है कि देश में अनेक कठोर कानून बने हैं, पर उनके पीछे आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास है और इन कानूनों का सीधा रिश्ता 2014 के राजनीतिक बदलाव से नहीं है।  

'फ्रीडम हाउस' एक अमेरिकी शोध संस्थान है जो हर साल 'फ्रीडम इन द वर्ल्ड' रिपोर्ट निकालता है। इस रिपोर्ट में दुनिया के अलग-अलग देशों में राजनीतिक आजादी और नागरिक अधिकारों के स्तर की समीक्षा की जाती है। ताजा रिपोर्ट में संस्था ने भारत में अधिकारों और आजादी में आई कमी को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। इस रिपोर्ट को देखने और समझने के पहले इसकी अंक पद्धति पर भी एक नजर डालना उपयोगी होगा। 2021 की रिपोर्ट में 195 देशों और 15 इलाकों में 1 जनवरी 2020 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक हुए घटनाक्रमों का विश्लेषण किया गया है।

पीछे का नजरिया

'फ्रीडम हाउस' की दृष्टि भी भारतीय मीडिया, लेखकों, राजनीति और अमेरिका तथा अन्य देशों में रहने वाले भारतीयों की दृष्टि से प्रभावित होती है। क्या भारत का पूरा मीडिया गोदी-मीडिया है? क्या मीडिया में नागरिक-स्वतंत्रता के सवाल उठने बंद हो गए हैं? भारत के बारे में यह दृष्टि सन 1947 के बाद से ही बन रही है। कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में लेकर जाने के समय से। भारतीय स्वतंत्रता और खासतौर से विभाजन से जुड़ी ब्रिटिश राजनीति में भी उसके बीज छिपे हैं। 'फ्रीडम हाउस' के वैबपेज पर भारत का नक्शा इसकी गवाही देता है। उन्होंने जम्मू कश्मीर और लद्दाख को भारत के नक्शे से ही हटा दिया है। 

'फ्रीडम हाउस' के आकलन में दो प्रकार की स्वतंत्रताओं के आधार पर किसी देश की स्वतंत्रता का फैसला होता है। एक राजनीतिक स्वतंत्रता और दूसरे नागरिक स्वतंत्रता। राजनीतिक स्वतंत्रता यानी चुनाव और अन्य व्यवस्थाएं, जिसके लिए इस रेटिंग में 40 अंक रखे गए हैं। इनमें से भारत को 34 अंक दिए गए हैं। यानी राजनीतिक स्वतंत्रता में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है, पर नागरिक स्वतंत्रता में 60 में से 33 अंक मिले हैं। इस प्रकार कुल 67 अंक हैं। इनमें इंटरनेट पर लगी बंदिशें भी शामिल हैं, जो अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 की वापसी के बाद कश्मीर की घाटी में लगाई गई थीं।

रिपोर्ट में सबसे बड़ी संख्या आंशिक-स्वतंत्र देशों की है। इनमें हालांकि भारत का स्थान अपेक्षाकृत ऊँचा है, क्योंकि स्वतंत्र-देशों के लिए आवश्यक 70 अंकों से हमारे तीन अंक ही कम हैं, पर 37 अंक पाने वाला पाकिस्तान भी उसी आंशिक-स्वतंत्र श्रेणी में है, जिसमें भारत है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को 28 अंक और हमारे जम्मू कश्मीर को 27 अंक मिले हैं। दोनों नॉट फ्री इलाके हैं।  

2014 का बदलाव

भारत में सन 2014 के बाद हुए राजनीतिक बदलाव का उल्लेख 'फ्रीडम हाउस' की रिपोर्ट में कई बार हुआ है। देश के कई हिस्सों में गोरक्षा के नाम मुसलमानों पर हुए हमलों, नागरिकता कानून, नागरिकता रजिस्टर तथा सन 2020 के दिल्ली दंगों का उल्लेख भी है। पर यह मामला 2014 से ही जुड़ा हुआ नहीं है। सन 2002 के गुजरात दंगों के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर और खासतौर से अमेरिका में एक लॉबी बीजेपी के खिलाफ भी सक्रिय है। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि नरेंद्र मोदी का वीज़ा जिस समय अमेरिका में रद्द हुआ, उस समय देश में बीजेपी-विरोधी सरकार थी।

भारत के बारे में संस्थान ने कहा है कि भारत में एक बहुल-पार्टी लोकतंत्र है, बावजूद इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने भेदभाव वाली नीतियों और मुस्लिम आबादी को प्रभावित करने वाली बढ़ती हिंसा की अगुवाई की है। गैर सरकारी संगठनों को काम करने की स्वतंत्रता के सवाल पर भी विदेश से पैसे लेने के कानून में बदलाव और एमनेस्टी के दफ्तर भारत में बंद हो जाने की वजह से रिपोर्ट में भारत के अंक कम हुए हैं। अदालतों के स्वतंत्र होने के सवाल पर भी भारत के अंक गिरे हैं। इसके पीछे देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्य सभा का सदस्य बनाना, सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार के पक्ष में कई फैसले देने का पैटर्न और सरकार के खिलाफ फैसला देने वाले एक जज के ट्रांसफर जैसी घटनाओं को गिनाया गया है।

कोरोना-काल के उदाहरण

रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत का संविधान नागरिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है जिसमें अभिव्यक्ति की आज़ादी और धार्मिक आज़ादी शामिल हैं। लेकिन, पत्रकारों, ग़ैर-सरकारी संगठनों और सरकार की आलोचना करने वाले अन्य लोगों को परेशान किए जाने की घटनाओं में मोदी शासन में बहुत इज़ाफ़ा हुआ है।" नागरिकों को एक जगह से दूसरी जगह जाने की स्वतंत्रता के सवाल पर तालाबंदी के दौरान हुए प्रवासी श्रमिक संकट और पुलिस और 'विजिलांते' के हिंसक और भेद-भावपूर्ण बर्ताव की वजह से देश के अंक कम हुए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सत्ता पर काबिज 'हिंदू-राष्ट्रवादी ताकतों' ने मुसलमानों को बलि का बकरा बनाए जाने को बढ़ावा दिया, उन्हें अनुपातहीन रूप से कोरोना वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार बताया गया जिसकी वजह से उन पर भीड़ द्वारा हमले हुए।

इसके लिए संस्था ने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की आलोचना की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही देश में राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में कमी आई है। संस्था का आंकलन है कि भारत में मानवाधिकार संगठनों पर दबाव बढ़ा है, विद्वानों और पत्रकारों को डराने का चलन बढ़ा है और विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बना कर कई हमले किए गए हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस पतन की रफ्तार 2019 में मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद और तेज हो गई। संस्था देशों को 25 मानकों पर अंक देती है, जिनमें आजादी और अधिकारों से जुड़े कई सवाल शामिल हैं। आम लोगों द्वारा स्वतंत्रता से और बिना किसी डर के अपने विचार व्यक्त करने के सवाल पर में हाल के वर्षों में कई लोगों के खिलाफ राजद्रोह जैसे आरोप लगाने के चलन में आई बढ़ोतरी की वजह से भारत के अंक गिर गए हैं।

बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट में मानवाधिकार कार्यकर्ता आकार पटेल को उधृत किया है, ‘पिछले 5-6 साल से लगातार कई इंडेक्स में भारत की रेटिंग गिर रही है। चाहे वर्ल्ड बैंक की दो इंडेक्स, वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की 2-3 इंडेक्स, इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल समेत 40 ऐसे इंडेक्स हैं जहां पर 2014 से भारत की रेटिंग नीचे आई है। यह गवर्नेंस का मसला है। 2014 के पहले भारत में जो गवर्नेंस थी वैसी अब नहीं है।

 

शेखर गुप्ता का यह वीडियो भी देखें


https://www.youtube.com/watch?v=nwOGdxRnfK4

फैज़ान मुस्तफा के इस वीडियो को भी देखें


https://www.youtube.com/watch?v=Jwx-42cERCQ&t=285s

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (07-03-2021) को    "किरचें मन की"  (चर्चा अंक- 3998)     पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (07-03-2021) को    "किरचें मन की"  (चर्चा अंक- 3998)     पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  3. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    07/03/2021 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......


    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  4. जानकारी युक्त लेख ।

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  5. जानकारी देता आलेख। आभार।

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