अमेरिकी
राष्ट्रपति जो बाइडेन की अफगानिस्तान नीति अब स्पष्ट होने लगी है। अफगान मीडिया
टोलोन्यूज के अनुसार अमेरिका ने तालिबान सहित देश के सभी गुटों के साथ एक साझा
सरकार की पेशकश की है। इसके साथ ही अफगान समस्या को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का सुझाव भी दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के मामलों पर अमेरिका के विशेष
प्रतिनिधि जलमय खलीलज़ाद ने राष्ट्रपति अशरफ गनी और देश के अन्य शीर्ष नेताओं के
साथ हाल में बैठकों में इस प्रस्ताव पर चर्चा की। टोलोन्यूज ने खबर यह भी दी है कि
हाल में अफ़ग़ान राष्ट्रीय सुरक्षा बल जहाँ से भी हटे हैं, उन जगहों पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है।
हाल में सरकार ने कुछ इलाकों से सेना को हटाकर दूसरे इलाकों में तैनात किया है,
जिसपर तालिबान ने मौके पा फायदा उठाया है।जलमय खलीलज़ाद
खलीलज़ाद हाल में काबुल में थे जहां उन्होंने पिछले साल तालिबान के साथ हुए अमेरिकी समझौते पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रपति गनी और अफगानिस्तान हाई काउंसिल ऑफ नेशनल रिकांसिलिएशन के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की। अमेरिकी प्रस्ताव में दोहा में चल रही शांति वार्ता को दरकिनार करने और तालिबान की भागीदारी के साथ एक अंतरिम सरकार का खाका तैयार करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय वार्ता शुरू करना शामिल है, जो अफगानिस्तान के पारंपरिक लोया जिरगा की मंजूरी दे सकती है।
दोहा में अंतर-अफगान
शांति वार्ता पिछले साल सितंबर में तालिबान और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प
के बीच हुए समझौते के बाद शुरू हुई थी जिसके अनुसार अमेरिका ने मई 2021 के अंत तक
देश से अपनी सेनाओं को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी। इस तरह सरकार के साथ अंतर-अफगान
वार्ता में भाग लेने के लिए तालिबान सहमत हो गए थे। अमेरिका और तालिबान के बीच इस
समझौते का परिणाम अभी अनिश्चित है, क्योंकि जो बाइडेन के चुनाव जीतने के बाद उनके
प्रशासन ने अफ़गानिस्तान से अपनी सेनाओं को पूरी तरह से वापस लेने पर आपत्ति जताई
है।
तालिबान ने अफ़ग़ान
सरकार के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा है और देश के उत्तर-पूर्व और दक्षिण के एक
बड़े हिस्से पर कब्जा किए हुए है। इसने शांति प्रक्रिया के साथ काबुल और अन्य
सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्रों में नागरिकों और सशस्त्र बलों पर कई हमले किए हैं।
मंगलवार 2 मार्च को काबुल के पूर्व में जलालाबाद शहर में हथियारबंद आतंकवादियों
द्वारा एक मीडिया संगठन में काम करने वाली तीन युवतियों को गोलियों से भून दिया
था। ये युवतियां काम के बाद घर लौट रही थीं।
राष्ट्रपति गनी के
कार्यालय ने अभी तक इस प्रस्ताव पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। अतीत में वे इस तरह के प्रस्तावों
को लेकर यह कहते हुए आलोचनात्मक रहे थे कि जब तक वे जीवित हैं तब तक अफगानिस्तान
में किसी भी सरकार का हिस्सा तालिबान नहीं होगा।
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