बुधवार 10 फरवरी को चीन ने दावा किया कि उसके अंतरिक्षयान तियानवेन-1 ने शाम 7.52 बजे (बीजिंग के समयानुसार) मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर लिया। करीब साढे़ छह महीने का सफर पूरा करने के बाद मंगल की कक्षा में पहुँचा 240 किलोग्राम वजन का यह यान चीन का पहला स्वतंत्र अभियान है, जिसे मंगल पर रोवर लैंड कराने और वहां के भूजल व पुरातन समय में जिंदगी के संभावित चिन्हों का डेटा एकत्र करने के अभियान पर भेजा गया है। अभी इस अभियान का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण काम बाकी है। वह है मंगल ग्रह पर रोवर को उतारना। मंगल पर यान उतारना खासा मुश्किल काम है। चीनी यान को उतारने के लिए पैराशूट, बैकफायरिंग रॉकेट और एयरबैग का इस्तेमाल किया जाएगा। अगले सप्ताह अमेरिकी यान पर्ज़वरेंस मंगल ग्रह पर उतरने वाला है, जिसे लेकर काफी उत्सुकता है।
इससे पहले 2011 में रूस के साथ मिलकर किया गया उसका संयुक्त
प्रयास विफल हो गया था। तियानवेन-1 यान मई या जून में मंगल ग्रह पर रोवर का कैप्सूल उतारने का प्रयास करेगा।
इसके बाद यह रोवर 90 दिन तक
मंगल की सतह का अध्ययन करेगा। यदि चीनी रोवर मंगल पर उतरने में कामयाब हुआ, तो वह
दुनिया का दूसरा ऐसा देश होगा। अब तक केवल अमेरिका ही आठ बार अपने रोवर मंगल पर
उतारने में कामयाब हुआ है। मंगल ग्रह हरेक दो साल बाद पृथ्वी के करीब आता है। धरती
से अभियान भेजने के लिए यह उपयुक्त समय होता है।
चीनी अंतरिक्ष यान से पहले मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात का ऑर्बिटर मंगल की कक्षा में पहुंचा था। अगले सप्ताह 18 फरवरी को अमेरिका भी अपने पर्ज़वरेंस रोवर को मंगल ग्रह की सतह पर उतारने का प्रयास करेगा। तीनों मंगल अभियान पिछले साल जुलाई में भेजे गए थे। रूस की तरफ से 19 अक्तूबर, 1960 को भेजे गए पहले मंगलयान के बाद पिछले 61 साल में अब तक 8 देश 58 बार इस लाल ग्रह के अध्ययन के लिए यान भेज चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा 29 बार अमेरिका ने और 22 बार रूस (पूर्व सोवियत संघ) और तीसरे नंबर पर ईयू ने 4 मिशन भेजे हैं। भारत, जापान, चीन और यूएई ने एक-एक मिशन भेजा है।
अमेरिकी अभियान पर्ज़वरेंस इस तरह उतरेगा मंगल पर
अगले चार साल में
पांच देश मंगल पर मिशन भेजने वाले हैं। सबसे पहले ईयू और रूस मिलकर 2022 में एक्सोमार्स नाम का लैंडर-रोवर भेजेंगे।
इसी साल जापान एक ऑर्बिटर और लैंडर भेजेगा। 2023 में अमेरिका का साइकी यान मंगल के बगल से निकलेगा।
भारत 2024 में मंगलयान-2
भेजेगा। इसमें एक ऑर्बिटर और संभवतः
एक लैंडर भी होगा।
संयुक्त अरब
अमीरात (यूएई) का पहला मंगल मिशन ‘होप प्रोब’ मंगलवार को 7 महीने बाद 49.4 करोड़ किमी की यात्रा कर मंगल की कक्षा में पहुंच
गया। सन 2014 में यूएई ने इस अभियान की घोषणा की थी। इसका संचालन मोहम्मद बिन रशीद
स्पेस सेंटर अमेरिका के कैलिफोर्निया विवि, बर्कले, एरिज़ोना स्टेट युनिवर्सिटी
तथा युनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो-बोल्डर के सहयोग से किया जा रहा है। यह यान एक जापानी
रॉकेट पर सवार होकर गया है। यूएई का यह चौथा अंतरिक्ष मिशन है। इसके पहले के तीनों
मिशन पृथ्वी की कक्षा तक सीमित थे।
मंगल मिशन आधुनिकता की ओर बढ़ते यूएई की महत्वाकांक्षा का प्रतीक भी है। इसके सफल होते ही यूएई ने कई
रिकॉर्ड भी बनाए। जैसे- उसने पहली कोशिश में अपना अंतरिक्षयान मंगल की कक्षा तक
पहुंचा दिया। इसके अलावा वह पहला मुस्लिम देश बना, जिसका मार्स मिशन सफल रहा। साथ ही मंगल की कक्षा तक
पहुंचने वाला वह दुनिया का 5वां
देश भी बन गया। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ, यूरोप और भारत
ही मंगल की कक्षा तक पहुंच सके हैं। यूएई की स्पेस एजेंसी के मुताबिक, होप यान 1.20 लाख किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगा रहा
है।
होप का लक्ष्य
मंगल का पहला ग्लोबल वैदर मैप भी तैयार करना है। यह मंगल के वातावरण का अध्ययन
करेगा। यह मंगल के हर हिस्से पर नजर रखेगा। यूएई के वैज्ञानिकों ने बताया कि होप
की रफ्तार तेज की तो वह मंगल से दूर निकल जाएगा। यदि होप धीमे जाता है, तो वह मंगल पर नष्ट हो सकता है।
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