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Thursday, January 28, 2021

अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे 16 विरोधी दल

 


शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में कांग्रेस समेत देश के 16 विरोधी दलों ने किसान-आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रकट दिखाते हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है। 16 दलों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की जांच कराने की भी मांग की है। बहिष्कार करने वाले दल हैं कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) और एआईयूडीएफ।

संसद के इस सत्र में विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों, पूर्वी लद्दाख गतिरोध, अर्थव्यवस्था की स्थिति, महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। बजट सत्र की शुरुआत शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ होगी और 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा। अभिभाषण के बहिष्कार की घोषणा के साथ विरोधी दलों ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर भी सरकार को घेरते हुए इससे ठीक ढंग ने नहीं निपटने के आरोप लगाए हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी ने कृषि कानूनों का विरोध किया है और आगे भी करेगी। वाम दलों ने भी सरकार से तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरिक ओ ब्रायन ने हाल में कहा है कि सरकार संसद में एक और विधेयक लेकर आए जिसमें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रावधान किया जाए।

लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि इस बार बजट की प्रति, दस्तावेज और आर्थिक सर्वेक्षण सदन के पटल पर रखे जाने के बाद ऑनलाइन/डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे और कागज की प्रतियां उपलब्ध नहीं होगी । पिछली बार मानसून सत्र की तरह ही इस सत्र में भी कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा और लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्यवाही पांच-पांच घंटे की पालियों में संचालित होगी। राज्यसभा की कार्यवाही सुबह की पाली में और लोकसभा की कार्यवाही शाम की पाली में चलेगी।

कोविड-19 के कारण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जा सका था। बजट सत्र में प्रश्नकाल आयोजित होगा। समय की कमी के कारण पिछले सत्र में प्रश्नकाल नहीं हो सका। मानसून सत्र में दोनों सदनों की बैठक शनिवार और रविवार को भी हुई थी। लेकिन इन बार संसद की बैठक सप्ताहांत में नहीं होगी। लोकसभा सचिवालय के अनुसार, इस बार बजट सत्र में शुक्रवार को होने वाला गैर सरकारी कामकाज भी होगा। मानसून सत्र में गैर सरकारी कामकाज नहीं लिया जा सका था। सत्र के दौरान सरकार दो अध्यादेशों को कानून के रूप में पारित कराने का प्रयास भी करेगी। किसी अध्यादेश को सत्र शुरू होने के 42 दिनों के भीतर कानून के रूप में परिवर्तित कराना होता है अन्यथा इसकी मियाद समाप्त हो जाती है। हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश 2020, मध्यस्थता एवं सुलह संशोधन अध्यादेश 2020 तथा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन अध्यादेश 2021 जारी किया गया था। बजट सत्र का पहला हिस्सा 15 फरवरी को समाप्त होगा। दूसरा हिस्सा 8 मार्च से शुरू होकर 8 अप्रैल तक चलेगा।

बंगाल में अधूरी एकता

ऊपर जिन 16 पार्टियों के नाम हैं, वे राष्ट्रीय स्तर भाजपा के विरोध में एकजुट हैं, पर पश्चिम बंगाल में यह एकता अधूरी रहती है। अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस और वाम दलों के बीच गुरुवार को 193 सीटों पर सहमति बन जाने से यह बाज भी नजर आ रही है। कुल 92 सीटों पर कांग्रेस लड़ेगी और 101 पर वामदल। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में तृणमूल एवं भाजपा को मात देने के लिए बने गठबंधन ने 28 फरवरी को ब्रिगेड में शक्ति प्रदर्शन का भी फैसला किया।

पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा में नेता नेता विरोधी दल  अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि अब तक 193 सीटों पर बातचीत हो चुकी है। कुल 294 में से बची हुई 101 सीटों पर जल्दी ही सहमति बन जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि शीघ्र अगले दौर की बैठक होगी और गठबंधन की रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

 

 

चौधरी ने बताया कि पिछली बैठक में 77 सीटों पर सहमति बनी थी। इनमें से 44 सीटें कांग्रेस के हिस्से में आई थीं, जबकि 33 सीटें लेफ्ट को मिलीं थीं। इससे पहले सोमवार को गठबंधन की पहली बैठक में तय हुआ था कि जिस सीट पर जो पार्टी जीती है, उस पर वही चुनाव लड़ेगा। इनमें से वाममोर्चा की 33 और कांग्रेस की 44 सीटें थीं। कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस से कहा है कि 31 जनवरी तक गठबंधन की रूपरेखा तय हो जानी चाहिए।

वाम मोर्चा का कहना है कि अगर समय रहते सीटों पर फैसला हो जाए, तो गठबंधन मजबूत स्थिति में रहेगा। वाम मोर्चा चाहता है कि संयुक्त आंदोलन के तहत गठबंधन जनता का विश्वास हासिल करके चुनाव में जाए।

 

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